मध्य प्रदेश के गुना के करौद गांव में महज एक रुपये की माचिस के लिए एक पचास वर्षीय दलित की हत्या कर दी गई। पेशे से खेतिहर मजदूर लालजी राम अहिरवार कुछ लोगों के सात गांव के चबूतरे पर आराम कर रहे थे। तभी दो युवकों ने उनसे माचिस मांगी। मना करने पर विवाद बढ़ा तो उन्होंने लालजी राम के साथ मारपीट शुरू कर दी। इसके बाद गंभीर हालत में लालजी राम को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उनकी मौत हो गई।
गुना के एडीशनल एसपी टीएस बघेल ने बताया कि ये थाना बजरंगगढ़ के ग्राम करौद की घटना है। लालजी राम अहिरवार वहां चबूतरे पर बैठे थे, तभी आरोपी यश यादव और अंकेश यादव वहां पहुंचे। उन दोनों ने उनसे सिगरेट जलाने के लिए माचिस मांगी। लालजी राम ने उन्हें बताया कि उनके पास माचिस नहीं है। इसी बात पर दोनों ने झगड़ा करना शुरू कर दिया। बाद में लाठियों से उन पर प्राणघातक हमला किया गया। आरोपियों के खिलाफ पहले धारा 307 और एससी-एसटी एक्ट में मामला दर्ज किया गया था लेकिन बाद में हत्या की धाराएं जोड़ दी गईं।
शासन ने मृतक के परिजन को 8।25 हजार रुपये की आर्थिक सहायता मंजूर की। अंत्येष्टि के लिए भी 20 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी। एहतियात के तौर पर गांव में पुलिस बल तैनात किया गया है। वहीं मृतक का अंतिम संस्कार भी पुलिस की मौजूदगी में किया गया।
इससे पहले गुना में ही नवंबर के दूसरे सप्ताह में 28 साल के एक आदिवासी व्यक्ति को कथित तौर पर 5000 का ऋण नहीं चुका पाने की वजह से जिंदा जला दिया गया था। बाद में विपक्षी कांग्रेस ने दावा किया कि मृतक एक "बंधुआ मजदूर" था।
गुना के एडीशनल एसपी टीएस बघेल ने बताया कि ये थाना बजरंगगढ़ के ग्राम करौद की घटना है। लालजी राम अहिरवार वहां चबूतरे पर बैठे थे, तभी आरोपी यश यादव और अंकेश यादव वहां पहुंचे। उन दोनों ने उनसे सिगरेट जलाने के लिए माचिस मांगी। लालजी राम ने उन्हें बताया कि उनके पास माचिस नहीं है। इसी बात पर दोनों ने झगड़ा करना शुरू कर दिया। बाद में लाठियों से उन पर प्राणघातक हमला किया गया। आरोपियों के खिलाफ पहले धारा 307 और एससी-एसटी एक्ट में मामला दर्ज किया गया था लेकिन बाद में हत्या की धाराएं जोड़ दी गईं।
शासन ने मृतक के परिजन को 8।25 हजार रुपये की आर्थिक सहायता मंजूर की। अंत्येष्टि के लिए भी 20 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी। एहतियात के तौर पर गांव में पुलिस बल तैनात किया गया है। वहीं मृतक का अंतिम संस्कार भी पुलिस की मौजूदगी में किया गया।
इससे पहले गुना में ही नवंबर के दूसरे सप्ताह में 28 साल के एक आदिवासी व्यक्ति को कथित तौर पर 5000 का ऋण नहीं चुका पाने की वजह से जिंदा जला दिया गया था। बाद में विपक्षी कांग्रेस ने दावा किया कि मृतक एक "बंधुआ मजदूर" था।