दिल्ली की एक अदालत ने मानवाधिकार रक्षक और जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी की छात्रा गुलफिशा फातिमा को फरवरी में उत्तर पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा से जुड़े एक मामले में शनिवार को जमानत दे दी। हालांकि, गुलफिशा फातिमा तिहाड़ जेल में रहेगी, क्योंकि वह यूएपीए मामले में न्यायिक हिरासत में है, जिसकी विशेष सेल द्वारा जांच की जा रही है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने जाफराबाद क्षेत्र में दंगों से संबंधित एक मामले में फातिमा को 30 हजार रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की जमानत देने पर रिहा करने का आदेश दिया।
जाफराबाद क्षेत्र में हुए दंगे की घटना में गोली लगने से एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। इससे पहले जेएनयू छात्राओं देवांगना कलिता और नताशा नरवाल को मामले में जमानत दे दी गई थी।
गौरतलब है कि संशोधित नागरिकता कानून के समर्थकों और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसा के बाद 24 फरवरी को उत्तर पूर्वी दिल्ली में भड़की सांप्रदायिक हिंसा में 53 लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 200 अन्य घायल हो गये थे।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने जाफराबाद क्षेत्र में दंगों से संबंधित एक मामले में फातिमा को 30 हजार रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की जमानत देने पर रिहा करने का आदेश दिया।
जाफराबाद क्षेत्र में हुए दंगे की घटना में गोली लगने से एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। इससे पहले जेएनयू छात्राओं देवांगना कलिता और नताशा नरवाल को मामले में जमानत दे दी गई थी।
गौरतलब है कि संशोधित नागरिकता कानून के समर्थकों और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसा के बाद 24 फरवरी को उत्तर पूर्वी दिल्ली में भड़की सांप्रदायिक हिंसा में 53 लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 200 अन्य घायल हो गये थे।