दलितों के बाल काटने पर नाई को मिली सजा, गांववालों ने 50000 का लगाया जुर्माना, परिवार का बहिष्कार

Written by sabrang india | Published on: November 21, 2020
कर्नाटक के मैसूर से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, यहां कथित तौर पर दलितों के बाल काटने से खफा गांववालों ने एक नाई पर पचास हजार रूपये का जुर्माना लगाया। यहीं गांववालों के द्वारा उनके परिवार का भी सामाजिक बहिष्कार किया गया।  



नानजनगुगु इलाके के हल्लारे गांव में रहने वाले मल्लिकार्जुन शेट्टी पेशे से नाई हैं। उन्होंने अपनी आपबीती बताते हुए कहा कि यह पहली बार नहीं है जब गांववालों ने उनपर इतना बड़ा जुर्माना लगाया है इससे पहले भी दो बार वह जुर्माना भर चुके हैं।

पेशे से नाई मल्लिकार्जुन शेट्टी के मुताबिक उनके ऊपर तीसरी बार 50,000 का जुर्माना सिर्फ इसलिए लगाया गया क्योंकि उन्होंने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदाय (एससी-एसटी) के लोगों के बाल काटे थे।

मल्लिकार्जुन के मुताबिक दलितों को बाल काटने से नाराज गांववालों ने उनपर जुर्माना तो लगाया ही लेकिन साथ ही साथ उनके परिवार का भी सामाजिक बहिष्कार किया गया। यह पहली बार नहीं हुआ है ऐसा जुर्माना दो बार पहले भी मल्लिकार्जुन भर चुके हैं। एससी-एसटी समुदाय से जुड़े लोगों के बाल काटने और दाढ़ी बनाने के बाद से उन्हें धमकियां दी जा रही हैं। यहां तक कि गांव के चन्ना नाइक और दूसरे लोग उसे प्रताड़ित कर रहे हैं।

मल्लिकार्जुन के मुताबिक उन्होंने इस मामले की शिकायत उच्च अधिकारियों से की है, उनके परिवार को जान का खतरा है। मल्लिकार्जुन ने अधिकारियों से कहा है कि अगर उनकी की मदद नहीं की गई तो वह खुद परिवार के साथ आत्महत्या कर लेंगे। मल्लिकार्जुन और उनका परिवार गांववालों से बहुत परेशान हो चुका है। उनके पास न ही जुर्माने की रकम भरने का पैसा है और न ही सामाजिक बहिष्कार झेलने का क्षमता।

अधिकारियों को दी गई लिखित शिकायत में मल्लिकार्जुन ने कहा है कि नीची जाति के लोगों के बाल काटने के बाद उनपर जुर्माना लगाया गया है साथ ही चन्ना नाइक और कुछ अन्य लोगों ने उन्हें धमकी भी दी।

बता दें कि हाल ही में कर्नाटक के समाज कल्याण विभाग ने एक प्रस्ताव बनाया है। इसमें कई स्थानों पर सरकारी सलून खोलने की मांग की गई है क्योंकि जातिगत भेदभाव के चलते दलित समुदाय के लोगों के बाल और दाढ़ी नहीं काटे जाते।

बाकी ख़बरें