केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने भारतीय न्यायपालिका को बदनाम करने और आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के जजों के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट को निशाना बनाने के आरोप में 17 लोगों पर मुकदमा दर्ज किया है।
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लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने वाईएसआरसीपी नेताओं द्वारा कोर्ट के खिलाफ की गई अपमानजनक टिप्पणियों के खिलाफ दर्ज मामलों की सीबीआई जांच का आदेश देते हुए दिए गए थे, निर्देश की पृष्ठभूमि में यह कार्यवाई की गई है।
राज्य सीआईडी द्वारा जांच पर नाराजगी व्यक्त करते हुए हाईकोर्ट ने कुछ जजों और पूरी न्यायपालिका के खिलाफ सोशल मीडिया पर वाईएसआर कांग्रेस नेताओं द्वारा की गई कथित अपमानजनक टिप्पणियों की जांच सीबीआई को सौंपने का निर्देश दिया था।
केंद्रीय एजेंसी ने सोमवार को राज्य सीआईडी द्वारा जांच किए जा रहे 12 मामलों को आरोपों की प्रकृति और कार्यशैली की समानता को देखते हुए जोड़ दिया।
इन मामलों को आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल की ओर से दी गई शिकायतों के आधार पर दर्ज किया गया था। शिकायत में कहा गया था कि राज्य सरकार में प्रमुख पदों पर बैठे लोगों ने साक्षात्कारों/सोशल मीडिया पोस्ट/ भाषणों में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों पर इरादतन, जाति और भ्रष्टचार के आधार पर आदेश / निर्णय देने का आरोप लगाया था। यह भी आरोप लगाया गया कि कुछ पोस्ट अपमानजनक, जान से मारने की धमकी देने वाली और डराने वाली थी।
जिन अभियुक्तों के खिलाफ धारा 153 (ए), 504, 505 (2), 506 और आईपीसी और आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है उनमें कोंडा रेड्डी धामिरेड्डी, मणि अन्नपुरेड्डी, सुधीर पामुला, आदर्श रेड्डी, अभिषेक रेड्डी, शिवा रेड्डी, श्रीधर रेड्डी अवथु, जलगम वेंकट सत्या नारायण, जी श्रीधर रेड्डी, लिंगा रेड्डी, चंदू रेड्डी, श्रीनाथ सुसवारम, किशोर रेड्डी दरीसा, चिरंजीवी रेड्डी, लिंगा रेड्डी राजशेखर और के गौथमी के नाम शामिल हैं जबकि 17वां आरोपी अज्ञात है।
बता दें कि इससे पहले आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने भारत के मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र लिखा था, जिसमें आरोप लगाया गया कि आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के कुछ जज राज्य में मुख्य विपक्षी दल तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) का पक्ष ले रहे हैं।
शिकायत में आरोप लगाया गया कि जस्टिस रमना हाईकोर्ट की बैठकों को प्रभावित कर रहे हैं, जिसमें टीडीपी के लिए महत्वपूर्ण मामलो में जजों का रोस्टर भी शामिल है। उन्होंने सीजेआई से मामले को देखने और कदम उठाने पर विचार करने का अनुरोध किया था। 10 अक्टूबर को मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी के प्रधान सलाहकार अजय केल्लम (आईएएस) ने मीडिया को पत्र की सामग्री जारी की थी।
सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ 'जनता और मीडिया में झूठी, अस्पष्ट और सनसनीखेज जनता और मीडिया में खुलेआम टिप्पणियां और राजनीतिक आरोप लगाने' के लिए रेड्डी के खिलाफ दो याचिकाएं दायर की गई हैं। सोमवार को जस्टिस यूयू ललित ने उन याचिकाओं पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया।
जस्टिस ललित ने कहा, 'मुझे कठिनाई है, मैं इस मामले को नहीं सुन सकता। एक वकील के रूप में, मैंने मुकदमों में इस मामले में पार्टियों का प्रतिनिधित्व किया है। हम कहेंगे कि इसे उस बेंच के समक्ष रखें जिसका हिस्सो ललित न हों... हम भारत के चीफ जस्टिस से उचित निर्देश लेने के लिए और इसे जल्द से जल्द उचित कोर्ट के समक्ष सूचीबद्ध करने के लिए रजिस्ट्री को निर्देशित करते हैं।'
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लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने वाईएसआरसीपी नेताओं द्वारा कोर्ट के खिलाफ की गई अपमानजनक टिप्पणियों के खिलाफ दर्ज मामलों की सीबीआई जांच का आदेश देते हुए दिए गए थे, निर्देश की पृष्ठभूमि में यह कार्यवाई की गई है।
राज्य सीआईडी द्वारा जांच पर नाराजगी व्यक्त करते हुए हाईकोर्ट ने कुछ जजों और पूरी न्यायपालिका के खिलाफ सोशल मीडिया पर वाईएसआर कांग्रेस नेताओं द्वारा की गई कथित अपमानजनक टिप्पणियों की जांच सीबीआई को सौंपने का निर्देश दिया था।
केंद्रीय एजेंसी ने सोमवार को राज्य सीआईडी द्वारा जांच किए जा रहे 12 मामलों को आरोपों की प्रकृति और कार्यशैली की समानता को देखते हुए जोड़ दिया।
इन मामलों को आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल की ओर से दी गई शिकायतों के आधार पर दर्ज किया गया था। शिकायत में कहा गया था कि राज्य सरकार में प्रमुख पदों पर बैठे लोगों ने साक्षात्कारों/सोशल मीडिया पोस्ट/ भाषणों में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों पर इरादतन, जाति और भ्रष्टचार के आधार पर आदेश / निर्णय देने का आरोप लगाया था। यह भी आरोप लगाया गया कि कुछ पोस्ट अपमानजनक, जान से मारने की धमकी देने वाली और डराने वाली थी।
जिन अभियुक्तों के खिलाफ धारा 153 (ए), 504, 505 (2), 506 और आईपीसी और आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है उनमें कोंडा रेड्डी धामिरेड्डी, मणि अन्नपुरेड्डी, सुधीर पामुला, आदर्श रेड्डी, अभिषेक रेड्डी, शिवा रेड्डी, श्रीधर रेड्डी अवथु, जलगम वेंकट सत्या नारायण, जी श्रीधर रेड्डी, लिंगा रेड्डी, चंदू रेड्डी, श्रीनाथ सुसवारम, किशोर रेड्डी दरीसा, चिरंजीवी रेड्डी, लिंगा रेड्डी राजशेखर और के गौथमी के नाम शामिल हैं जबकि 17वां आरोपी अज्ञात है।
बता दें कि इससे पहले आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने भारत के मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र लिखा था, जिसमें आरोप लगाया गया कि आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के कुछ जज राज्य में मुख्य विपक्षी दल तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) का पक्ष ले रहे हैं।
शिकायत में आरोप लगाया गया कि जस्टिस रमना हाईकोर्ट की बैठकों को प्रभावित कर रहे हैं, जिसमें टीडीपी के लिए महत्वपूर्ण मामलो में जजों का रोस्टर भी शामिल है। उन्होंने सीजेआई से मामले को देखने और कदम उठाने पर विचार करने का अनुरोध किया था। 10 अक्टूबर को मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी के प्रधान सलाहकार अजय केल्लम (आईएएस) ने मीडिया को पत्र की सामग्री जारी की थी।
सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ 'जनता और मीडिया में झूठी, अस्पष्ट और सनसनीखेज जनता और मीडिया में खुलेआम टिप्पणियां और राजनीतिक आरोप लगाने' के लिए रेड्डी के खिलाफ दो याचिकाएं दायर की गई हैं। सोमवार को जस्टिस यूयू ललित ने उन याचिकाओं पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया।
जस्टिस ललित ने कहा, 'मुझे कठिनाई है, मैं इस मामले को नहीं सुन सकता। एक वकील के रूप में, मैंने मुकदमों में इस मामले में पार्टियों का प्रतिनिधित्व किया है। हम कहेंगे कि इसे उस बेंच के समक्ष रखें जिसका हिस्सो ललित न हों... हम भारत के चीफ जस्टिस से उचित निर्देश लेने के लिए और इसे जल्द से जल्द उचित कोर्ट के समक्ष सूचीबद्ध करने के लिए रजिस्ट्री को निर्देशित करते हैं।'