सॉम्यब्रता ने पति अर्णब का बचाव किया, सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखने पर दुष्यंत दवे को दिया जवाब

Written by sabrang india | Published on: November 11, 2020
वरिष्ठ अधिवक्ता और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष  दुष्यंत दवे ने अर्नब गोस्वामी की ज़मानत याचिका को सुप्रीम कोर्ट में ‘तत्काल सुनवाई’ के लिए सूचीबद्ध करने को लेकर सवाल उठाया था। इसको लेकर रिपब्लिक टीवी के अर्नब गोस्वामी की पत्नी सॉम्यब्रता रे गोस्वामी ने सुप्रीम कोर्ट को चिट्ठी लिखी है जिसमें उन्होंने दुष्यंत दवे को जवाब दिया है।



सॉम्यब्रता ने लिखा है, 'मैंने दुष्यंत दवे की चिट्ठी पढ़ी, मैं हैरान हूं, ये डराने वाला है। ना तो मैं दवे को जानती हूं और ना ही उनसे कभी मिली हूं। लेकिन जिस तरह दवे मेरे पति की याचिका को सलेक्टिव होकर टारगेट कर रहे हैं उसके जवाब में मुझे ये बताना ही होगा कि जब कई मामलों को कोर्ट के सामने वरीयता देते हुए पेश किया गया तो वो चुप रहे।'

अपनी चिट्ठी में उन्होंने तीन मामलों का ज़िक्र किया है। अगस्त 2019: रोमिला थापर की ओर से दायर याचिका। इसे जिस दिन दर्ज किया गया उसी दिन सुनवाई के लिए सूची में शामिल कर लिया गया। दवे इस मामले में उनके वकील थे।

इस केस का हवाला देकर वह लिखती हैं- ‘’ये याचिका पीड़ित की ओर से नहीं थी बल्कि ‘समाजिक कार्यकर्ताओं की ओर से थी जो उन लोगों के मानवाधिकार बचाने को लेकर थी जिनपर नक्सली गतिविधियों में शामिल रहने के आरोप थे’’

2 जून, 2020: विनोद दुआ की याचिका जिसमें उन्होंने अपने ख़िलाफ़ एक एफ़आईआर को चुनौती दी थी। इसकी सुनवाई रविवार को की गई थी।

3अप्रैल 2020: वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण की याचिका जो उन्होंने गुजरात पुलिस की एफ़आईआर के ख़िलाफ़ दायर की थी। ये याचिका 30 अप्रैल को दायर हुई और 1 मई को इस पर सुनवाई हुई।



इससे पहले वरिष्ठ अधिवक्ता और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दुष्यंत दवे ने शीर्ष अदालत के सेक्रेटरी जनरल को पत्र लिखकर रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ़ अर्णब गोस्वामी की अंतरिम ज़मानत याचिका को 'चयनित तरीक़े' से 11 नवंबर को ‘तत्काल सुनवाई’ के लिए सूचीबद्ध किये जाने को लेकर आपत्ति जताई है। अर्णब गोस्वामी की याचिका पर सुनवाई उनके याचिका दायर करने के अगले दिन ही हो रही है।

दुष्यंत दवे ने अपनी आपत्ति जताते हुए सेक्रेटरी जनरल से सवाल किया है कि हज़ारों लोग लंबे समय से जेलों में बंद हैं और उनके मामले हफ़्ते, महीने तक पड़ा रहता है, लेकिन ये मामला कैसे और क्यों तुरंत ही सूचीबद्ध हो जाता है।

उन्होंने सेक्रेटरी जनरल से पूछा है कि क्या मामले को "तत्काल सुनवाई के लिए" चीफ़ जस्टिस की ओर से आदेश के बाद सूचीबद्ध किया गया है या ये फ़ैसला सेक्रेटरी जनरल ने खुद लिया है?

बाकी ख़बरें