31 अगस्त 2019 को जब असम में अंतिम राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) प्रकाशित किया गया था, असम सरकार ने परिणामों पर नाराजगी व्यक्त की थी, शीर्ष मंत्री ने आरोप लगाया कि इसमें 'विदेशी' शामिल हैं। अब, असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल भी खुले तौर पर एनआरसी की निंदा करते हुए कोरस में शामिल हो गए हैं।

सोनोवाल 11 अक्टूबर को डिब्रूगढ़ में भाजपा असम महिला मोर्चा राज्य कार्यकारिणी की बैठक में बोल रहे थे, इस दौरान उन्होंने कहा, "असम के लोगों के आत्मसम्मान को ध्यान में रखते हुए, मुझे एनआरसी को अस्वीकार करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। हमने सुप्रीम कोर्ट से भी संपर्क किया था। हम इस दोषपूर्ण NRC को कभी स्वीकार नहीं करेंगे।”
सोनोवाल के पूरे भाषण को यहां सुना जा सकता है-
यह याद किया जा सकता है कि एनआरसी की अंतिम सूची प्रकासित होने के बाद असम सरकार और साथ ही कई अन्य स्थानायी संगठन जैसे ऑल असम स्टुडेंट्स यूनियन इसके परिणाम से अपसेट थे कि अंतिम सूची में 'विदेशियों' को गलत तरीके से शामिल किया गया था।
उस समय असम सरकार के ताकवर नेता हिमंत बिस्वा सरमा ने आरोप लगाया था कि एनआरसी में अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों के नाम शामिल किए गए। उन्होंने मांग की थी कि सीमावर्ती जिलों में 20 प्रतिशत नामों का पुन: सत्यापन किया जाए और 10 प्रतिशत नामों का सत्यापन अन्य जिलों में किया जाए।
NRC के साथ इस नाराजगी के कारण कई नाटक हुए, जिनमें धोखाधड़ी के आरोपों की एक श्रृंखला को सम्मिलित करना, धन का दुरुपयोग और पूर्व NRC राज्य समन्वयक प्रतीक हजेला के खिलाफ डेटा हेरफेर शामिल था, जिन्हें सुरक्षा चिंताओं के कारण राज्य से बाहर भेजना पड़ा था।
जब एनजीओ असम लोक निर्माण इस अभियान का फिर से सत्यापन करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने इस अनुरोध को खारिज कर दिया। अस्वीकृति का एक महत्वपूर्ण कारण तब एनआरसी के राज्य समन्वयक प्रतीक हजेला द्वारा प्रस्तुत की गई रिपोर्ट में कहा था कि 27 प्रतिशत का रिवेरीफिकेशन पहले ही हो चुका है! हजेला ने एक सीलबंद कवर में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी और यह रिपोर्ट इतनी मजबूत और सक्षम थी कि अटॉर्नी जनरल और सॉलिसीटर जनरल, जो क्रमश: असम सरकार की ओर से पेश हो रहे थे, ने इस विषय पर कोर्ट में एक भी शब्द नहीं कहा।
इसके अलावा किसी भी अन्य पार्टी ने रिवेरीफिकेसन की मांग का समर्थन नहीं किया।
लेकिन अब रिवेरीफिकेशन की मांग नए सिरे से उठने की संभावना है। नई दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के आवास पर 20 सितंबर को आयोजित बैठक में इस पर चर्चा की गई। बैठक में असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनावाल, राज्य मंत्री और पूर्वोत्तर डेमोक्रेटिक गठबंधन के संयोजक हिमंत बिस्वा सरमा, केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला, संयुक्त सचिव (उत्तर पूर्व) सत्यपाल गर्ग और असम के मुख्य सचिव कुमार संजय कृष्ण ने भाग लिया।

सोनोवाल 11 अक्टूबर को डिब्रूगढ़ में भाजपा असम महिला मोर्चा राज्य कार्यकारिणी की बैठक में बोल रहे थे, इस दौरान उन्होंने कहा, "असम के लोगों के आत्मसम्मान को ध्यान में रखते हुए, मुझे एनआरसी को अस्वीकार करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। हमने सुप्रीम कोर्ट से भी संपर्क किया था। हम इस दोषपूर्ण NRC को कभी स्वीकार नहीं करेंगे।”
सोनोवाल के पूरे भाषण को यहां सुना जा सकता है-
यह याद किया जा सकता है कि एनआरसी की अंतिम सूची प्रकासित होने के बाद असम सरकार और साथ ही कई अन्य स्थानायी संगठन जैसे ऑल असम स्टुडेंट्स यूनियन इसके परिणाम से अपसेट थे कि अंतिम सूची में 'विदेशियों' को गलत तरीके से शामिल किया गया था।
उस समय असम सरकार के ताकवर नेता हिमंत बिस्वा सरमा ने आरोप लगाया था कि एनआरसी में अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों के नाम शामिल किए गए। उन्होंने मांग की थी कि सीमावर्ती जिलों में 20 प्रतिशत नामों का पुन: सत्यापन किया जाए और 10 प्रतिशत नामों का सत्यापन अन्य जिलों में किया जाए।
NRC के साथ इस नाराजगी के कारण कई नाटक हुए, जिनमें धोखाधड़ी के आरोपों की एक श्रृंखला को सम्मिलित करना, धन का दुरुपयोग और पूर्व NRC राज्य समन्वयक प्रतीक हजेला के खिलाफ डेटा हेरफेर शामिल था, जिन्हें सुरक्षा चिंताओं के कारण राज्य से बाहर भेजना पड़ा था।
जब एनजीओ असम लोक निर्माण इस अभियान का फिर से सत्यापन करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने इस अनुरोध को खारिज कर दिया। अस्वीकृति का एक महत्वपूर्ण कारण तब एनआरसी के राज्य समन्वयक प्रतीक हजेला द्वारा प्रस्तुत की गई रिपोर्ट में कहा था कि 27 प्रतिशत का रिवेरीफिकेशन पहले ही हो चुका है! हजेला ने एक सीलबंद कवर में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी और यह रिपोर्ट इतनी मजबूत और सक्षम थी कि अटॉर्नी जनरल और सॉलिसीटर जनरल, जो क्रमश: असम सरकार की ओर से पेश हो रहे थे, ने इस विषय पर कोर्ट में एक भी शब्द नहीं कहा।
इसके अलावा किसी भी अन्य पार्टी ने रिवेरीफिकेसन की मांग का समर्थन नहीं किया।
लेकिन अब रिवेरीफिकेशन की मांग नए सिरे से उठने की संभावना है। नई दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के आवास पर 20 सितंबर को आयोजित बैठक में इस पर चर्चा की गई। बैठक में असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनावाल, राज्य मंत्री और पूर्वोत्तर डेमोक्रेटिक गठबंधन के संयोजक हिमंत बिस्वा सरमा, केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला, संयुक्त सचिव (उत्तर पूर्व) सत्यपाल गर्ग और असम के मुख्य सचिव कुमार संजय कृष्ण ने भाग लिया।