नई दिल्ली। सामाजिक कार्यकर्ता और हरियाणा सरकार में मंत्री रहे स्वामी अग्निवेश का अभी शुक्रवार 11 सितंबर की शाम को निधन हो गया है। स्वामी अग्निवेश भारत के एक सामाजिक कार्यकर्ता, सुधारक, राजनेता व सन्त पुरुष के तौर पर जाने जाते हैं। 80 वर्षीय अग्निवेश पिछले लंबे समय से बीमार चल रहे थे। वे अपनी तल्ख टिप्पणियों के लिए अकसर हिंदूवादियों के निशाने पर रहते थे।

स्वामी अग्निवेश लीवर की समस्या से पीड़ित थे। उनका लीवर का ट्रांसप्लांट होना था, डोनर भी मिले लेकिन इसी बीच वे कोरोना पीड़ित हो गए। अंतिम समय पर स्थिति ज्यादा खराब होने पर उन्हें वेंटीलेटर पर रखा गया था।
उनके निधन के बाद बंधुआ मुक्ति मोर्चा कार्यवाहक अध्यक्ष स्वामी आर्यवेश और महासचिव विट्ठल राव की ओर से एक बयान जारी किया गया है जिसके मुताबिक 'स्वामी अग्निवेश को लीवर खराब होने के कारण आईएलडीएस अस्पताल दिल्ली में भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों की एक टीम ने अपने स्तर पर सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया है। आईएलबीएस के निदेशक डॉ. शिव सरवीन ने 6.45pm, 11 सितंबर 2020 को घोषित किया कि हमारा सबसे प्रिय और सबसे अच्छा दोस्त अब नहीं रहे।'
उन्होंने बताया कि उनके पार्थिव शरीर को कल सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक अंतिम सार्वजनिक श्रद्धांजलि के लिए दिल्ली जंतर-मंतर रोड, 7 जंतर-मंतर रोड स्थित कार्यालय में रखा जाएगा। हम अपने सभी मित्रों से अनुरोध करते हैं कि कोविद शासन का पालन करते हुए, उपर्युक्त पते पर अपनी अंतिम श्रद्धांजलि अर्पित करें। उनका अंतिम संस्कार 12 सितंबर की शाम को 4 बजे अग्निलोक आश्रम, बहलपा, जिला गुरुग्राम में संपन्न होगा।
2018 में 17 जुलाई को स्वामी अग्निवेश को झारखंड के पाकुड़ में आयोजित पहाड़िया महासम्मेलन में हिस्सेदारी के दौरान भाजपाई गुंडों ने अपना निशाना बनाया था। भाजपा की स्टूडेंट विंग अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद व भारतीय जनता युवा मोर्चा के गुंडे स्वामी अग्निवेश के पाकुड़ दौरे का विरोध कर रहे थे। विरोधस्वरूप उन्हें काले झंडे दिखाते हुए उनके साथ मारपीट की और उन्हें मरणासन्न होने तक पीटा। बमुश्किल उनकी जान बच पाई थी।

स्वामी अग्निवेश लीवर की समस्या से पीड़ित थे। उनका लीवर का ट्रांसप्लांट होना था, डोनर भी मिले लेकिन इसी बीच वे कोरोना पीड़ित हो गए। अंतिम समय पर स्थिति ज्यादा खराब होने पर उन्हें वेंटीलेटर पर रखा गया था।
उनके निधन के बाद बंधुआ मुक्ति मोर्चा कार्यवाहक अध्यक्ष स्वामी आर्यवेश और महासचिव विट्ठल राव की ओर से एक बयान जारी किया गया है जिसके मुताबिक 'स्वामी अग्निवेश को लीवर खराब होने के कारण आईएलडीएस अस्पताल दिल्ली में भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों की एक टीम ने अपने स्तर पर सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया है। आईएलबीएस के निदेशक डॉ. शिव सरवीन ने 6.45pm, 11 सितंबर 2020 को घोषित किया कि हमारा सबसे प्रिय और सबसे अच्छा दोस्त अब नहीं रहे।'
उन्होंने बताया कि उनके पार्थिव शरीर को कल सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक अंतिम सार्वजनिक श्रद्धांजलि के लिए दिल्ली जंतर-मंतर रोड, 7 जंतर-मंतर रोड स्थित कार्यालय में रखा जाएगा। हम अपने सभी मित्रों से अनुरोध करते हैं कि कोविद शासन का पालन करते हुए, उपर्युक्त पते पर अपनी अंतिम श्रद्धांजलि अर्पित करें। उनका अंतिम संस्कार 12 सितंबर की शाम को 4 बजे अग्निलोक आश्रम, बहलपा, जिला गुरुग्राम में संपन्न होगा।
2018 में 17 जुलाई को स्वामी अग्निवेश को झारखंड के पाकुड़ में आयोजित पहाड़िया महासम्मेलन में हिस्सेदारी के दौरान भाजपाई गुंडों ने अपना निशाना बनाया था। भाजपा की स्टूडेंट विंग अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद व भारतीय जनता युवा मोर्चा के गुंडे स्वामी अग्निवेश के पाकुड़ दौरे का विरोध कर रहे थे। विरोधस्वरूप उन्हें काले झंडे दिखाते हुए उनके साथ मारपीट की और उन्हें मरणासन्न होने तक पीटा। बमुश्किल उनकी जान बच पाई थी।