मोदी सरकार ने मात्र साढ़े 3 महीने में आरोग्य सेतु ऐप के प्रचार में खर्च किए 4.15 करोड़ रुपये, RTI से खुलासा

Written by sabrang india | Published on: September 9, 2020
नई दिल्ली। नागरिकों की निजी सुरक्षा को लेकर शुरू से विवादों घिरा आरोग्य सेतु ऐप एक बार फिर चर्चाओं में है। दरअसल केंद्र की मोदी सरकार ने इस ऐप के प्रचार प्रसार में करीब 4.15 करोड़ रूपये मात्र साढ़े तीन महीने के भीतर खर्च किए हैं। ये खुलासा आरटीआई से प्राप्त दस्तावेजों के सामने आने के बाद हुआ है। बता दें कि आरोग्य सेतु ऐप 'कोरोना के खिलाफ दृढ़ता से लड़ाई' के लिए सार्वजनिक साझेदारी से विकसित किया गया था। 



'द वायर' की एक रिपोर्ट के दावे के मुताबिक आरटीआई के जवाब में सूचना एवं प्रसार मंत्रालय के ब्यूरो ऑफ आउटरीच एंड कम्युनिकेशन (बीओसी) विभाग द्वारा मुहैया कराए गए आंकड़ों के मुताबिक 16 जुलाई 2020 तक इस ऐप के प्रचार-प्रसार के लिए सरकार ने 4.15 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। इसमें से 94.67 लाख रुपये प्रिंट मीडिया में विज्ञापन देने में खर्च किए गए हैं जबकि 3.20 करोड़ रुपये टेलीविजन के जरिये प्रचार करने में खर्च किए गए हैं। आरटीआई दायर करने वाले उत्तर प्रदेश निवासी अनिकेत गौरव को बीओसी ने यह भी बताया कि आरोग्य सेतु ऐप के लिए रेडियो और इंटरनेट के जरिये विज्ञापन में कोई राशि खर्च नहीं की गई है।



इस ऐप को अभी तक 15.50 करोड़ यूजर्स डाउनलोड कर चुके हैं। इस ऐप को जब लाया गया था तब सरकार ने दावा किया था कि यह ऐप कॉन्ट्रैक्ट ट्रेसिंग के जरिए उन सभी लोगों की डिटेल का रिकॉर्ड रखता है जिनके संपर्क में यूजर आता है। यदि उनमें से कोई कोविड 19 पॉजिटिव आता है तो उसके बारे में तुरंत ऐप के जरिए जानकारी दी जाती है ताकि लोग सोशल डिस्टेंसिंग बना सकें और सतर्क हो सकें। 

बता दें कि सरकार इस ऐप को डाउनलोड करने को लेकर बार-बार जोर देती रही है। 29 अगस्त को गृहमंत्रालय ने अनलॉक 4 के लिए अपनी गाइडलाइन में एक बार फिर इस ऐप को इस्तेमाल करने की बात को दोहराया। केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला द्वारा जारी दिशानिर्देशों में कहा गया कि एंप्लॉयर यानी कि नियोक्ता सभी ऑफिसों और कार्यस्थलों के कर्मचारियों के फोन में आरोग्य सेतु ऐप इंस्टॉल कराने की हरसंभव कोशिश करेंगे।

इसके अलावा जिला प्रशासन को भी कहा गया है कि वे निर्देश जारी कर लोगों से आरोग्य सेतु ऐप इंस्टाल करवाएं ताकि समय रहते खतरे का पता लगने पर स्वास्थ्य सेवाओं के उचित इंतजाम किए जा सकें। हालांकि इसके चलते ये भी देखने में आया है कि कुछ विभाग अति-उत्साह में आकर इस ऐप को इंस्टाल करने को अनिवार्य कर देते हैं और यदि जो इसका अनुपालन नहीं करते हैं उन्हें दंड का खामियाजा भी भुगतना पड़ता है।

आरोग्य सेतु ऐप के इस्तेमाल करने को अनिवार्य बनाए जाने को विशेषज्ञों ने पूरी तरह से अवैध करार दिया है. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बीएन श्रीकृष्णा ने कहा था कि इस तरह का कदम उठाना उचित नहीं है, क्योंकि इसे किसी कानून का समर्थन प्राप्त नहीं है।

देशव्यापी लॉकडाउन को बढ़ाए जाने के बाद एक मई को गृह मंत्रालय ने अपने दिशानिर्देशों में निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के कार्यालयों के कर्मचारियों के लिए आरोग्य सेतु ऐप को अनिवार्य बना दिया था।

जिसके बाद नोएडा पुलिस ने एक आदेश जारी कर तब कहा था कि आरोग्य सेतु के आवेदन नहीं करने पर छह महीने की कैद या 1,000 रुपये तक का जुर्माना होगा। हालांकि आलोचनाओं के बाद आगे चलकर मंत्रालय ने इसकी ‘अनिवार्यता’ खत्म कर इसे ‘निर्देशात्मक’ बना दिया।

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