नई दिल्ली। पहले से ही मंदी के दौर से गुजर रही भारतीय अर्थव्यवस्था कोविड 19 लॉकडाउन में निम्नतम स्तर पर पहुंच चुकी है। मौजूदा वित्त वर्, में पहली तिमाही के लिए जीडीपी के आंकड़ों को जारी किया गया है। एनएसओ की ओर से जारी इन आंकड़ों के मुताबिक इस तिमाही में जीडीपी का आंकड़ा -23.9 प्रतिशत रहा। देश की आजादी के बाद यह पहली बार है जब जीडीपी इस स्तर तक पहुंच गई है।

वहीं इसको लेकर सरकार की आर्थिक नीतियों की आलोचना भी शुरू हो गई है। वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने भी तंज कसा है। उन्होंने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा कि पहली तिमाही की जीडीपी -23.9 प्रतिशत, मोदी जी आपका कोई विकल्प नहीं है। आज जीडीपी के आंकड़े आए हैं। भारत की किसी भी पीढ़ी ने ये आंकड़े नहीं देखे होंगे। 5 अगस्त को नए भारत के उदय के बाद इन आंकड़ों ने रंग में भंग डाल दिया है। इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही की जीडीपी -23.9 प्रतिशत आई है। सावधान हो जाएं। आर्थिक निर्णय सोच समझ कर लें। बल्कि अब यही ठीक रहेगा कि सुशांत सिंह राजपूत का ही कवरेज देखते रहिए। यह बर्बादी की ऐसी सतह है जहां से आप अब बेरोज़गारी के प्रश्नों पर विचार कर कुछ नहीं हासिल कर सकते। इसका मतलब है कि पढ़ने वाला और लिखने वाला दोनों में से कोई नहीं बचेगा। साधु मरिहें जोगी मरिहें, मरिहें संत कबीर। साधो....
रवीश ने आगे लिखा, 'अर्थव्यवस्था के बारे में अभी तक झूठ बोला जा रहा है। जो है उसे नहीं बोला जा रहा है। जो होगा या जो नहीं होगा उसके बारे में अनर्गल बातें हो रही हैं कि आपके ज़िले में पेठा बनता है या पुड़िया बनती है, खाजा बनता है या खिलौौना बनाता है, उसके निर्यात से भारत आत्मनिर्भर बनेगा। कमाल है।'
'कोरोना से लड़ाई का एलान हुआ। 64, 500 से अधिक लोग मर गए। हम वो लड़ाई हार गए। देश को तमाम मुद्दों में भटकाया गया। अर्थव्यवस्था के इस हाल में नौजवान पीढ़ी और हम सभी किस हद तक बर्बाद होंगे कल्पना नहीं कर सकते हैं। बेशक मोदी जी बिहार चुनाव की जीत के बाद वाहवाही में लग जाएंगे, उन्हें ऐसी वाहवाहियां बहुत मिली हैं मगर नतीजा क्या निकल रहा है। नतीजा यही निकल रहा है कि नौजवानों के पास नौकरी नहीं, जिनके पास नौकरी थी वो चली गई। जिनके पास है, वो जाने वाली है। गोदी मीडिया लगाकर जनता को बेवकूफ बनाने का खेल बंद हो जाना चाहिए।'
वहीं वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने भी इसे लेकर ट्वीट किया है। राजदीप ने लिखा 1996 लेकर अबतक की यह सबसे बड़ी गिरावट है। 2019-20 के पहली तिमाही के आंकड़ों के मुक़ाबले 23.9% की गिरावट है।

वहीं इसको लेकर सरकार की आर्थिक नीतियों की आलोचना भी शुरू हो गई है। वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने भी तंज कसा है। उन्होंने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा कि पहली तिमाही की जीडीपी -23.9 प्रतिशत, मोदी जी आपका कोई विकल्प नहीं है। आज जीडीपी के आंकड़े आए हैं। भारत की किसी भी पीढ़ी ने ये आंकड़े नहीं देखे होंगे। 5 अगस्त को नए भारत के उदय के बाद इन आंकड़ों ने रंग में भंग डाल दिया है। इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही की जीडीपी -23.9 प्रतिशत आई है। सावधान हो जाएं। आर्थिक निर्णय सोच समझ कर लें। बल्कि अब यही ठीक रहेगा कि सुशांत सिंह राजपूत का ही कवरेज देखते रहिए। यह बर्बादी की ऐसी सतह है जहां से आप अब बेरोज़गारी के प्रश्नों पर विचार कर कुछ नहीं हासिल कर सकते। इसका मतलब है कि पढ़ने वाला और लिखने वाला दोनों में से कोई नहीं बचेगा। साधु मरिहें जोगी मरिहें, मरिहें संत कबीर। साधो....
रवीश ने आगे लिखा, 'अर्थव्यवस्था के बारे में अभी तक झूठ बोला जा रहा है। जो है उसे नहीं बोला जा रहा है। जो होगा या जो नहीं होगा उसके बारे में अनर्गल बातें हो रही हैं कि आपके ज़िले में पेठा बनता है या पुड़िया बनती है, खाजा बनता है या खिलौौना बनाता है, उसके निर्यात से भारत आत्मनिर्भर बनेगा। कमाल है।'
'कोरोना से लड़ाई का एलान हुआ। 64, 500 से अधिक लोग मर गए। हम वो लड़ाई हार गए। देश को तमाम मुद्दों में भटकाया गया। अर्थव्यवस्था के इस हाल में नौजवान पीढ़ी और हम सभी किस हद तक बर्बाद होंगे कल्पना नहीं कर सकते हैं। बेशक मोदी जी बिहार चुनाव की जीत के बाद वाहवाही में लग जाएंगे, उन्हें ऐसी वाहवाहियां बहुत मिली हैं मगर नतीजा क्या निकल रहा है। नतीजा यही निकल रहा है कि नौजवानों के पास नौकरी नहीं, जिनके पास नौकरी थी वो चली गई। जिनके पास है, वो जाने वाली है। गोदी मीडिया लगाकर जनता को बेवकूफ बनाने का खेल बंद हो जाना चाहिए।'
वहीं वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने भी इसे लेकर ट्वीट किया है। राजदीप ने लिखा 1996 लेकर अबतक की यह सबसे बड़ी गिरावट है। 2019-20 के पहली तिमाही के आंकड़ों के मुक़ाबले 23.9% की गिरावट है।