पीएम केअर्स में डायवर्ट हो रहा सीएसआर फंड, संकट में सोशल सेक्टर के एनजीओ

Written by sabrang india | Published on: August 7, 2020
नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए उपाय के नाम पर आया पीएम केअर्स फंड शुरुआत से विवादों में रहा है। अब खबर है कि सोशल सेक्टर के एनजीओ को कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलटी यानि सीएसआर के अंतर्गत मिलने वाला फंड काफी कम हो गए हैं। उसकी वजह यह है कि सीएसआर के तहत मिलने वाले डोनेशन फंड को पीएम केअर्स फंड में डायवर्ट कर दिया जा रहा है।  



समाचार वेबसाइट 'द क्विंट' ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि इसके चलते सोशल सेक्टर के एनजीओ किस तरह से आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक सोशल एक्टिविस्ट और नीति आयोग के सदस्य अमोद कंठ ने कहा कि सीएसआर के अंतर्गत 2018-19 में देशभर में 11,800 करोड़ रुपये खर्च किए गए, लेकिन अप्रैल 2020 से सीएसआर डोनेशन के 10,000 करोड़ रुपये पीएम केअर्स फंड में डाले गए।

अमोद कंठ ने कहा कि एक पीएसयू (सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई) ने हमें पहले 2.5 लाख रुपये दिए, लेकिन जब हमने 2.5 लाख रुपये की दूसरी किस्त मांगी, तो उन्होंने कहा कि हमने उस पैसे को पीएम केअर्स फंड में दे दिया है। ये इस बात का एक संकेत है कि कैसे पैसे को पीएम केअर्स फंड में भेजा जा रहा है।”

प्रयास एनजीओ के डायरेक्टर विश्वजीत घोषाल कहते हैं, "अचानक से हम महसूस कर रहे हैं कि अधिकांश पैसे देने वाले दबाव में हैं, PM CARES फंड के कारण या देश के प्रति प्रतिबद्धता के कारण, उनका रिस्पॉन्स या हमारे लिए सपोर्ट 50% हो गया है।"

अमोद आगे कहते हैं, हमें सीएसआर फंड से मिलने वाले पैसे में भारी कटौती की गई है। (वित्तीय) सहायता जो हमारे पास आ रही है या अन्य वॉलंटरी ऑर्गनाइजेशन के पास जा रही है, वो काफी कम हो रही है. इसका एक बड़ा कारण पीएम केअर्स फंड है। हमें बताया गया है कि 10,000 करोड़ से ज्यादा पीएम केअर्स फंड में गए हैं।

सरकार ने कोविड-19 राहत कार्यों के लिए पीएम केअर्स फंड लॉन्च किया था। अमोद कंठ कहते हैं कि अचानक से सरकार एक कार्यक्रम बनाती है, पीएम केअर्स फंड की तरह और उस कार्यक्रम के भीतर आप फंड को डायवर्ट करते हैं। ये गलत है। कंपनी अधिनियम 2013 के तहत सीएसआर की संपूर्ण भावना और प्रोविजन अलग हैं। ये उन संगठनों के लिए है, जो सेवाएं देते हैं। मुझे लगता है कि इस साल, फंडिंग में निश्चित रूप से 40-50% की कटौती हुई है। हम बहुत परेशानी में हैं। हम नहीं जानते कि स्थिति से कैसे निपटा जाए क्योंकि हमारी फंडिंग और संसाधन बिल्कुल बंधे हुए हैं।

अशोका यूनिवर्सिटी के एक सर्वे में अप्रैल-मई 2020 में 50 एनजीओ के प्रमुख से बात की गई। रिपोर्ट के मुताबिक- 'सीएसआर फंडिंग पर निर्भर एनजीओ चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. कॉरपोरेट फंड वर्तमान सीएसआर फंडिंग के एक बड़े हिस्से को तत्काल राहत कार्यों के लिए कहीं और पैसे भेज रहे हैं, जिसमें PM CARES फंड भी शामिल है. इसके अलावा, आने वाले दिनों में कम वित्तीय मुनाफे से सीएसआर बजट भी बहुत कम हो जाएगा।'

'प्रयास' में काम करने वाली देवी के तीन बच्चे प्रयास में ट्यूशन के लिए आते हैं। महामारी की वजह से देवी के पास कोई काम नहीं है। देवी की तरह ही वहां कई लोग हैं। उन्हें उम्मीद है कि प्रयास की तरह ही एनजीओ उनकी मदद करेंगे।

फंड की कमी को देखते हुए प्रयास और दूसरे एनजीओ अपने प्रोजेक्ट को जारी रखने के लिए दूसरे रास्ते की तलाश कर रहे हैं। विश्वजीत घोषाल कहते हैं, “हमें फंड और संसाधन जुटाने के अन्य क्षेत्रों का पता लगाने की जरूरत है ताकि हमारे कार्यक्रमों को जारी रखा जाए। हम अपने गवर्निंग बोर्ड के सदस्यों के पास जा रहे हैं और उनका समर्थन प्राप्त कर रहे हैं। हम प्रत्येक व्यक्ति, शुभचिंतक, समर्थक के रूप में एक-दूसरे से संपर्क कर रहे हैं क्योंकि अब हर पैसा मायने रखता है और एक-एक पैसे की हमारे लिए कीमत है।”

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