प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना से लड़ने के लिये 'पीएम केयर्स' (प्राइम मिनिस्टर्स सिटीजन असिस्टेंस एंड रिलीफ इन इमर्जेंसी सिचुएशन) फंड के नाम से एक नए ट्रस्ट का गठन किया है शुरुआती जानकारी के अनुसार पता चला है कि प्रधानमंत्री इस पीएम-केयर ट्रस्ट के अध्यक्ष होंगे और इसके सदस्यों में विदेश मंत्री, गृह मंत्री और वित्त मंत्री शामिल हैं।
लेकिन इस प्रक्रिया को अपनाने की जरूरत समझ नही आती? जब पहले से ही 'प्रधानमंत्री राहत कोष नाम का एक फंड है। 1948 से ये कोष आपदा में काम कर रहा है। इस फण्ड की अपनी वेबसाइट है, 2019 तक उसकी ऑडिट मौजूद है। देश के हर राष्ट्रीय बैंक में इसका खाता है। उप प्रधानमंत्री/गृह मंत्री, रक्षा मंत्री के अलावा FICCI का प्रतिनिधि उसमे है। टाटा ट्रस्ट का एक प्रतिनिधि है। फिर अलग से PMCARES की ज़रूरत क्यों पड़ रही है न इसकी कोई कोई वेबसाइट है न स्पष्ट ढांचा ओर न गाइडलाइंस।
जबकि प्रधान मंत्री राष्ट्रीय राहत कोष की धनराशि का क्या इस्तेमाल किया जाएगा इसके स्पष्ट दिशा निर्देश मौजूद हैं प्रमुखतया बाढ़, चक्रवात और भूकंप आदि जैसी प्राकृतिक आपदाओं में मारे गए लोगों के परिजनों तथा बड़ी दुर्घटनाओं एवं दंगों के पीड़ितों को तत्काल राहत पहुंचाने के लिए किया जाता है। इसके अलावा, बीमारियों के उपचार के लिए भी इस कोष से सहायता दी जाती रही है।
कांग्रेसी सांसद शशि थरूर ने भी पूछा है कि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष का नाम बदलकर पीएम-केयर भी किया जा सकता था आखिर यह नया फंड बनाने की जरूरत क्या थी।
प्रधानमंत्री राहत कोष में पहले से ही 3800 करोड़ की रकम पड़ी हुई है लेकिन मित्र मुकेश असीम ने इस फण्ड की बेलेंस शीट का अध्ययन कर बताया कि उसे तो पहले ही ठिकाने लगाया जा चुका है।
बहुत सम्भव है कि इस नए फण्ड को नियंत्रक एंव महालेखा परीक्षक या कैग की परिधि से बाहर रखा जाए ओर इस वजह से कोष से किए गए ख़र्च और उनके इस्तेमाल पर किसी की नज़र न पड़े कोई ऑडिट न हो यह भी संभावना जताई जा रही हैं कि इस फंड से संबंधित सूचनाएं सूचना के अधिकार कानून के दायरे में न आए,।।।प्रधानमंत्री राहत कोष के बारे में यह स्पष्ट किया जा चुका था। प्रथम सूचना आयुक्त हबीबुल्ला ने शैलेष गांधी बनाम पीएमओ केस में फैसला दिया था, चूंकि प्रधानमंत्री राहत कोष का संचालन पीएमओ करता है, इसलिए सूचना मुहैया कराई जानी चाहिए।
खोजी पत्रकार मित्र नवनीत चतुर्वेदी जब से पीएम-केयर फण्ड बना है तभी से उस प्रक्रिया में आ रही अनियमितताओं का पर्दा फाश कर रहे हैं
पहले यह खबर आई थी कि पीएम केयर्स फंड में किए गए डोनेशन के बदले सिर्फ 50 फीसदी के डिडक्शन का ही फायदा दिया जा रहा है लेकिन नवनीत जी बता रहे हैं कि अब 100 प्रतिशत छूट देने की तरफ कदम उठा लिए गए हैं।
नवनीत चतुर्वेदी ने पीएम केअर फण्ड के कागजातों की छानबीन कर पता लगाया कि यह फंड को 27 मार्च को ही बनाया गया था, उसी दिन इसकी ट्रस्ट डीड रजिस्टर्ड हुई, उसी दिन उसका पैन कार्ड नम्बर भी के लिया गया और उसी दिन इसको आयकर विभाग से 80जी छूट का प्रमाणपत्र हासिल हो गया।
जब देश के प्रधानमंत्री खुद इन्वॉल्व हो उनके लिए कानून व प्रक्रिया को हर तरह से तोड़ा मरोड़ा जा सकता है!! एक ही दिन में उन्हें 80G से छूट का प्रमाणपत्र आयकर विभाग से दिया जा सकता है।
अब नया यह हो रहा है कि पीएम केअर फण्ड को विदेशी चंदा लेने में जो FCRA का नियम बाधक बना हुआ है उस नियम से इस पीएम केअर को एक्सेम्पट कर दिया गया है। नियम यह है कि किसी भी संस्था को विदेश से चंदा लेने के लिए अपनी 3 साल की ऑडिटेड बैलेंस शीट देनी होती है,, यह शर्त पीएम केअर फण्ड पूरी नही कर रहा था अतः उस नियम से इस फण्ड को व्यापक राष्ट्रहित में एक्सेम्पट कर दिया गया है।
कोई अभी तक नही बता रहा है कि इस फंड में आने वाली रकम को किस तरह से डिस्ट्रीब्यूट किया जाएगा, क्या इसकी रेवड़ियां अपनो अपनों को बांटी जाएगी या बीजेपी से इतर राज्य सरकारों को इनमें से कुछ मिलेगा क्योकि नेशनल डिजास्टर फण्ड में रकम के डिस्ट्रीब्यूशन में भी ऐसी ही कुछ बाते सामने आई है।
लेकिन इस प्रक्रिया को अपनाने की जरूरत समझ नही आती? जब पहले से ही 'प्रधानमंत्री राहत कोष नाम का एक फंड है। 1948 से ये कोष आपदा में काम कर रहा है। इस फण्ड की अपनी वेबसाइट है, 2019 तक उसकी ऑडिट मौजूद है। देश के हर राष्ट्रीय बैंक में इसका खाता है। उप प्रधानमंत्री/गृह मंत्री, रक्षा मंत्री के अलावा FICCI का प्रतिनिधि उसमे है। टाटा ट्रस्ट का एक प्रतिनिधि है। फिर अलग से PMCARES की ज़रूरत क्यों पड़ रही है न इसकी कोई कोई वेबसाइट है न स्पष्ट ढांचा ओर न गाइडलाइंस।
जबकि प्रधान मंत्री राष्ट्रीय राहत कोष की धनराशि का क्या इस्तेमाल किया जाएगा इसके स्पष्ट दिशा निर्देश मौजूद हैं प्रमुखतया बाढ़, चक्रवात और भूकंप आदि जैसी प्राकृतिक आपदाओं में मारे गए लोगों के परिजनों तथा बड़ी दुर्घटनाओं एवं दंगों के पीड़ितों को तत्काल राहत पहुंचाने के लिए किया जाता है। इसके अलावा, बीमारियों के उपचार के लिए भी इस कोष से सहायता दी जाती रही है।
कांग्रेसी सांसद शशि थरूर ने भी पूछा है कि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष का नाम बदलकर पीएम-केयर भी किया जा सकता था आखिर यह नया फंड बनाने की जरूरत क्या थी।
प्रधानमंत्री राहत कोष में पहले से ही 3800 करोड़ की रकम पड़ी हुई है लेकिन मित्र मुकेश असीम ने इस फण्ड की बेलेंस शीट का अध्ययन कर बताया कि उसे तो पहले ही ठिकाने लगाया जा चुका है।
बहुत सम्भव है कि इस नए फण्ड को नियंत्रक एंव महालेखा परीक्षक या कैग की परिधि से बाहर रखा जाए ओर इस वजह से कोष से किए गए ख़र्च और उनके इस्तेमाल पर किसी की नज़र न पड़े कोई ऑडिट न हो यह भी संभावना जताई जा रही हैं कि इस फंड से संबंधित सूचनाएं सूचना के अधिकार कानून के दायरे में न आए,।।।प्रधानमंत्री राहत कोष के बारे में यह स्पष्ट किया जा चुका था। प्रथम सूचना आयुक्त हबीबुल्ला ने शैलेष गांधी बनाम पीएमओ केस में फैसला दिया था, चूंकि प्रधानमंत्री राहत कोष का संचालन पीएमओ करता है, इसलिए सूचना मुहैया कराई जानी चाहिए।
खोजी पत्रकार मित्र नवनीत चतुर्वेदी जब से पीएम-केयर फण्ड बना है तभी से उस प्रक्रिया में आ रही अनियमितताओं का पर्दा फाश कर रहे हैं
पहले यह खबर आई थी कि पीएम केयर्स फंड में किए गए डोनेशन के बदले सिर्फ 50 फीसदी के डिडक्शन का ही फायदा दिया जा रहा है लेकिन नवनीत जी बता रहे हैं कि अब 100 प्रतिशत छूट देने की तरफ कदम उठा लिए गए हैं।
नवनीत चतुर्वेदी ने पीएम केअर फण्ड के कागजातों की छानबीन कर पता लगाया कि यह फंड को 27 मार्च को ही बनाया गया था, उसी दिन इसकी ट्रस्ट डीड रजिस्टर्ड हुई, उसी दिन उसका पैन कार्ड नम्बर भी के लिया गया और उसी दिन इसको आयकर विभाग से 80जी छूट का प्रमाणपत्र हासिल हो गया।
जब देश के प्रधानमंत्री खुद इन्वॉल्व हो उनके लिए कानून व प्रक्रिया को हर तरह से तोड़ा मरोड़ा जा सकता है!! एक ही दिन में उन्हें 80G से छूट का प्रमाणपत्र आयकर विभाग से दिया जा सकता है।
अब नया यह हो रहा है कि पीएम केअर फण्ड को विदेशी चंदा लेने में जो FCRA का नियम बाधक बना हुआ है उस नियम से इस पीएम केअर को एक्सेम्पट कर दिया गया है। नियम यह है कि किसी भी संस्था को विदेश से चंदा लेने के लिए अपनी 3 साल की ऑडिटेड बैलेंस शीट देनी होती है,, यह शर्त पीएम केअर फण्ड पूरी नही कर रहा था अतः उस नियम से इस फण्ड को व्यापक राष्ट्रहित में एक्सेम्पट कर दिया गया है।
कोई अभी तक नही बता रहा है कि इस फंड में आने वाली रकम को किस तरह से डिस्ट्रीब्यूट किया जाएगा, क्या इसकी रेवड़ियां अपनो अपनों को बांटी जाएगी या बीजेपी से इतर राज्य सरकारों को इनमें से कुछ मिलेगा क्योकि नेशनल डिजास्टर फण्ड में रकम के डिस्ट्रीब्यूशन में भी ऐसी ही कुछ बाते सामने आई है।