कोरोना के बहाने शाहीन बाग, मस्जिदों को निशाना बना रहा आज तक चैनल

Written by Sabrangindia Staff | Published on: March 19, 2020
कोरोना वायरस को लेकर आज तक समाचार चैनल का कम्यूनल एजेंडा सामने आया है। चैनल ने एक शो ही इस पर कर दिया कि जब मंदिर बंद हैं तो मस्जिद और गुरुद्वारे क्यों खुले हैं।



ऐसे दौर में जब भारत में कोरोना वायरस का प्रकोप बढ़ रहा है, कुछ मीडिया हाउस अपने सांप्रदायिक एजेंडे को लागू करने में तत्परता से लगे हैं। एक हिंदी समाचार चैनल आज तक जो कि सांप्रदायिक शो के लिए जाना जाता है, अब कोरोना के बहाने अल्पसंख्यकों और नागरिकता कानून पर विद्वेष फैलाता नजर आ रहा है।   

चैनल की कार्यकारी संपादक अंजना ओम कश्यप द्वारा प्रस्तुत किया गया प्राइमटाइम शो हल्ला बोल भारत के सभी प्रमुख मंदिरों के साथ शुरू किया गया, जिनमें से ज्यादातर ट्रस्ट के माध्यम से चलते हैं - सिद्धिविनायक मंदिर, अक्षरधाम मंदिर, वैष्णोदेवी मंदिर, शिरडी साईं धाम, त्रयंबकेश्वर मंदिर, वृंदावन में इस्कॉन मंदिर। महामारी को देखते हुए इन सभी मंदिरों ने अपने दरवाजे जनता के लिए बंद कर दिए हैं। ऐसे में चैनलों ने सांप्रदायिक दृष्टिकोण से प्रोग्राम करने शुरू कर दिये। 



इस शो में दिखाया गया कि किस तरह से काशी विश्वनाथ मंदिर और गंगा आरती में लोगों की संख्या कम कर दी गई। इसके साथ ही श्रद्धालुओं में भी कमी आ रही है। इसके साथ ही शो में बताया गया कि मंदिरों के मैनेजमेंट ने रेस्पॉन्सिबल स्टेप उठाते हुए मंदिरों के दरवाजे बंद कर दिए लेकिन तभी चैनल अपने मुख्य एजेंडे पर आ जाता है।

शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों को निशाना बनाते हुए कहा गया कि मंदिरों के दरवाजे बंद हैं तो मस्जिद और गुरुद्वारे क्यों खुले हैं। इसके साथ ही महामारी के दौर में विरोध प्रदर्शनों की क्या जरूरत है। इस मामले पर शो की एंकर का ज्यादा जोर रहा। 



शो की एंकर ने इस बात पर ज्यादा जोर दिया कि सीएम केजरीवाल द्वारा जारी एडवाइजरी के बावजूद लोग शाहीन बाग में प्रदर्शन कर रहे हैं। हालांकि वे दर्शकों को यह बताने में विफल रहीं कि एडवाइजरी जारी होने के बाद से वहां मुश्किल से 50 लोग मौजूद हैं। 

यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि दिल्ली सरकार के आदेशों को ध्यान में रखते हुए, शाहीन बाग प्रदर्शनकारियों ने विरोध स्थल पर लोगों की संख्या को कम करने के लिए कड़े कदम उठाए हैं, इसके अलावा इसे साफ करने के लिए भी। इसके अलावा यहां वॉलंटियर लगे हैं जो धरना स्थल पर टैंपरेचर चेक करने के बाद ही किसी को अंदर आने देते हैं। यहां बच्चों की उपस्थिति को खत्म कर दिया गया है। साथ ही
पूरे क्षेत्र में स्वच्छता पर खासा ध्यान दिया जा रहा है। 

शो प्रस्तोता यह उल्लेख करना भी भूल गईं कि सीएम की सलाह में शादियों को बख्शा गया है। शादी में शामिल होने वाले लोगों की संख्या लगभग 100 हो सकती है, जबकि शो प्रस्तुत करने के समय, शाहीन बाग़ में लोगों की संख्या 40 से कम थी। शादियों को उन सामुदायिक आयोजनों के रूप में नहीं गिना जाता जहाँ वायरस का खतरा वास्तविक है भी?

मीडिया ने शाहीन बाग को एक बार फिर से कोरोना वायरस के डर से लोगों के जीवन के लिए एकमात्र खतरा बताते हुए निशाना बनाया है।

इसके साथ ही शो की एंकर ने सिर्फ यह बताया कि किस तरह से मंदिर बंद कर दिए गए हैं। यह नहीं बताया कि काशी विश्वनाथ मंदिर पूरी तरह से बंद नहीं किया गया है। यह भी नहीं बताया कि यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ किस तरह से कोरोना के बावजूद अयोध्या में राम नवमी की तैयारी करा रहे हैं। यह भी नहीं बताया कि शादियों में लोगों की भीड़ रोकने के क्या इंतजाम हैं, वे सिर्फ यह बताने में
मगशूल रहीं कि शाहीन बाग खतरा है और मस्जिद व गुरुद्वारे खुले हैं। 

 

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