अमेजन भारत मे बहुत तेजी के साथ पैर जमा रही है कल हाउडी मोदी प्रोग्राम में मोदीजी ने सिंगल ब्रांड रिटेल में 100 प्रतिशत fdi को एक बार फिर से आमंत्रित किया लेकिन अमेजन जैसी बड़ी ई-कामर्स कंपनियों के लिए भारत मे वह पहले ही रास्ता साफ कर चुके हैं।
कुछ दिनों पहले मोदीं सरकार ने सिंगल ब्रांड रिटेल में विदेशी कंपनियां फिजिकल आउटलेट से खोलने से पहले ऑनलाइन स्टोर शुरू करने की छूट दे दी ओर कहा कि जब पूरा धन्धा जम जाए तब 2 साल बाद फिजिकल स्टोर खोल लेना।
मोदी जी ने सिंगल ब्रांड रिटेल में विदेशी कंपनियों के लिए 30% लोकल सोर्सिंग के नियम भी आसान कर किए। पहले विदेशी रिटेलरों के लिए 30 पर्सेंट माल भारत के उद्यमियों से खरीदने की शर्त रखी गई थी, लेकिन अब इसका पालन करने के लिए उन्हें और पांच साल का वक्त दे दिया गया है।
अब एक्सपोर्ट के लिए खरीद भी लोकल सोर्सिंग में शामिल मान ली गयी है कोई कंपनी कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरिंग के लिए भी लोकल सोर्सिंग करती है तो उसे भी 30% की लिमिट में माना जाएगा। लोकल सोर्सिंग की समीक्षा साल दर साल नहीं बल्कि 5 साल में की जाएगी।
व्यापारियों की सबसे बड़ी संस्था कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने इस तरह की छूट का विरोध करते हुए कहा कि इससे लोकल स्टोर्स को नुकसान होगा लेकिन उन्हें अब कौन पूछता है? हर साल की तरह अमेजन ओर फ्लिपकार्ट एक बार फिर दीवाली मेगा सेल लगा रही है कैट इसका विरोध करता आया है लेकिन किसी को कोई फर्क नही पड़ता!
आपको याद होगा कि 2015 में लगभग एक दर्जन से अधिक ई-कॉमर्स कंपनियों भारत मे व्यापार कर रही थी लेकिन अमेजन, फ्लिपकार्ट के बाद भारत के ई-कॉमर्स सेक्टर में छोटी कंपनियों पर संकट आ गया है। पिछले कुछ सालो में शॉप क्लूज, क्राफ्ट्स विला, वूनिक, वूप्लर और एलनिक जैसी कई छोटी ऑनलाइन कंपनियां या तो अपना कारोबार बंद कर रही हैं या अपने बिजनेस मॉडल में बदलाव कर रही हैं।
टेलीकॉम सेक्टर की तरह ई-कॉमर्स में भी छोटी कंपनियों पर ताले लगने की नौबत आ गई है। अब भारत का बाजार अब पूरी तरह दो अमेरिकी कंपनियों के पास चला गया है. यानी देसी ई- कॉमर्स कंपनियों का सूर्य डूब चुका है अब यह स्थिति एकाधिकार की है ओर एकाधिकार किसी भी स्थिति में ग्राहक के हित मे नही है सरकार और बड़ी कम्पनियों के यह गठजोड़ लोकतंत्र के लिए भविष्य में सबसे बड़ा खतरा साबित होगा
रिलायंस फ्रेश की तरह एमेजॉन इंडिया भी बेंगलूरु में एमेजॉन फ्रेश स्टोर शुरू कर रही हैं....अमेजन फ्रेश के जरिए अमेजन डॉट इन पर प्राइम मेंबरों को सिर्फ 49 रुपये में दो घंटे वाली डिलीवरी सेवा मिलेगी। सभी ग्राहकों को 600 रुपये से ज्यादा के ऑर्डर पर फ्री डिलीवरी दी जाएगी. वहीं, 600 रुपये से कम के ऑर्डरों के लिए 29 रुपये डिलीवरी चार्ज वसूला जाएगा।
अमेजन ने भारत के ई-कामर्स बाजार पर कब्जा करने जा रहा है पिछले अगस्त में अमेज़न ने हैदराबाद में दुनिया का सबसे बड़े कैंपस खोला है। इसमें 18 लाख वर्ग फुट कार्यालय स्थल है और यह 30 लाख वर्गफुट क्षेत्र में बनी है। इमारत में एफिल टावर से 2.5 गुना ज्यादा स्टील लगी है। कुल क्षेत्र के लिहाज से यह दुनिया में अमेजन की सबसे बड़ी इमारत है। कंपनी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि यह अमेरिका के बाहर अमेजन के स्वामित्व वाला यह एकमात्र परिसर है। इसमें 15,000 कर्मचारी काम करेंगे। भारत में अमेजन के कर्मचारियों की संख्या 62,000 तक पहुंच गई है।
कुछ मूर्ख लोगो को यह बड़ी कम्पनियो का यह एकाधिकार अच्छा लगता है लेकिन सच तो यह है कि आने वाले समय मे प्रतिस्पर्धा कम होने से ग्राहक को उचित दाम नहीं मिलेंगे। सबसे ज्यादा असर रोजगार और नए उद्यमियों पर पड़ेगा। ई-कॉमर्स में कई संभावनाएं थी, इसलिए इसमें बड़े पैमाने पर स्टार्टअप्स आए। अब यह बंद होते हैं तो युवा उद्यमियों की कमर टूट जाएगी। जबकि इन कंपनियों में काम कर रहे कर्मचारियों की नौकरियां भी जाएंगी। बड़ी कंपनियां ऑटोमेशन पर काम करती हैं इसलिए यहां रोजगार के अवसर कम होंगे। कुल मिलाकर नुकसान सिर्फ हमारे छोटे ओर मध्यम श्रेणी के व्यापारियों को ही होना है देश का होना है।
कुछ दिनों पहले मोदीं सरकार ने सिंगल ब्रांड रिटेल में विदेशी कंपनियां फिजिकल आउटलेट से खोलने से पहले ऑनलाइन स्टोर शुरू करने की छूट दे दी ओर कहा कि जब पूरा धन्धा जम जाए तब 2 साल बाद फिजिकल स्टोर खोल लेना।
मोदी जी ने सिंगल ब्रांड रिटेल में विदेशी कंपनियों के लिए 30% लोकल सोर्सिंग के नियम भी आसान कर किए। पहले विदेशी रिटेलरों के लिए 30 पर्सेंट माल भारत के उद्यमियों से खरीदने की शर्त रखी गई थी, लेकिन अब इसका पालन करने के लिए उन्हें और पांच साल का वक्त दे दिया गया है।
अब एक्सपोर्ट के लिए खरीद भी लोकल सोर्सिंग में शामिल मान ली गयी है कोई कंपनी कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरिंग के लिए भी लोकल सोर्सिंग करती है तो उसे भी 30% की लिमिट में माना जाएगा। लोकल सोर्सिंग की समीक्षा साल दर साल नहीं बल्कि 5 साल में की जाएगी।
व्यापारियों की सबसे बड़ी संस्था कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने इस तरह की छूट का विरोध करते हुए कहा कि इससे लोकल स्टोर्स को नुकसान होगा लेकिन उन्हें अब कौन पूछता है? हर साल की तरह अमेजन ओर फ्लिपकार्ट एक बार फिर दीवाली मेगा सेल लगा रही है कैट इसका विरोध करता आया है लेकिन किसी को कोई फर्क नही पड़ता!
आपको याद होगा कि 2015 में लगभग एक दर्जन से अधिक ई-कॉमर्स कंपनियों भारत मे व्यापार कर रही थी लेकिन अमेजन, फ्लिपकार्ट के बाद भारत के ई-कॉमर्स सेक्टर में छोटी कंपनियों पर संकट आ गया है। पिछले कुछ सालो में शॉप क्लूज, क्राफ्ट्स विला, वूनिक, वूप्लर और एलनिक जैसी कई छोटी ऑनलाइन कंपनियां या तो अपना कारोबार बंद कर रही हैं या अपने बिजनेस मॉडल में बदलाव कर रही हैं।
टेलीकॉम सेक्टर की तरह ई-कॉमर्स में भी छोटी कंपनियों पर ताले लगने की नौबत आ गई है। अब भारत का बाजार अब पूरी तरह दो अमेरिकी कंपनियों के पास चला गया है. यानी देसी ई- कॉमर्स कंपनियों का सूर्य डूब चुका है अब यह स्थिति एकाधिकार की है ओर एकाधिकार किसी भी स्थिति में ग्राहक के हित मे नही है सरकार और बड़ी कम्पनियों के यह गठजोड़ लोकतंत्र के लिए भविष्य में सबसे बड़ा खतरा साबित होगा
रिलायंस फ्रेश की तरह एमेजॉन इंडिया भी बेंगलूरु में एमेजॉन फ्रेश स्टोर शुरू कर रही हैं....अमेजन फ्रेश के जरिए अमेजन डॉट इन पर प्राइम मेंबरों को सिर्फ 49 रुपये में दो घंटे वाली डिलीवरी सेवा मिलेगी। सभी ग्राहकों को 600 रुपये से ज्यादा के ऑर्डर पर फ्री डिलीवरी दी जाएगी. वहीं, 600 रुपये से कम के ऑर्डरों के लिए 29 रुपये डिलीवरी चार्ज वसूला जाएगा।
अमेजन ने भारत के ई-कामर्स बाजार पर कब्जा करने जा रहा है पिछले अगस्त में अमेज़न ने हैदराबाद में दुनिया का सबसे बड़े कैंपस खोला है। इसमें 18 लाख वर्ग फुट कार्यालय स्थल है और यह 30 लाख वर्गफुट क्षेत्र में बनी है। इमारत में एफिल टावर से 2.5 गुना ज्यादा स्टील लगी है। कुल क्षेत्र के लिहाज से यह दुनिया में अमेजन की सबसे बड़ी इमारत है। कंपनी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि यह अमेरिका के बाहर अमेजन के स्वामित्व वाला यह एकमात्र परिसर है। इसमें 15,000 कर्मचारी काम करेंगे। भारत में अमेजन के कर्मचारियों की संख्या 62,000 तक पहुंच गई है।
कुछ मूर्ख लोगो को यह बड़ी कम्पनियो का यह एकाधिकार अच्छा लगता है लेकिन सच तो यह है कि आने वाले समय मे प्रतिस्पर्धा कम होने से ग्राहक को उचित दाम नहीं मिलेंगे। सबसे ज्यादा असर रोजगार और नए उद्यमियों पर पड़ेगा। ई-कॉमर्स में कई संभावनाएं थी, इसलिए इसमें बड़े पैमाने पर स्टार्टअप्स आए। अब यह बंद होते हैं तो युवा उद्यमियों की कमर टूट जाएगी। जबकि इन कंपनियों में काम कर रहे कर्मचारियों की नौकरियां भी जाएंगी। बड़ी कंपनियां ऑटोमेशन पर काम करती हैं इसलिए यहां रोजगार के अवसर कम होंगे। कुल मिलाकर नुकसान सिर्फ हमारे छोटे ओर मध्यम श्रेणी के व्यापारियों को ही होना है देश का होना है।