शिक्षा सुधार पर लिखा था लेख, कंपनी से बेइज्जती नहीं सह पाए पत्रकार कौशलेंद्र प्रपन्ना

Written by sabrang india | Published on: September 14, 2019
शिक्षक और पत्रकार कौशलेंद्र प्रपन्ना की आज 14 सितंबर को दिल्ली के रोहिणी स्थित सरोज अस्पताल में एक घंटा पहले निधन हो गया। यह जानकारी कौशलेंद्र प्रपन्ना के बड़े भाई और दिल्ली विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर राघवेंद्र प्रपन्ना ने दी। 45 वर्षीय प्रपन्ना को पिछले 5 सितंबर को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया था।



उनके मित्र और पत्रकार दीपक कुमार कहते हैं कि एक शिक्षक, ​शिक्षक दिवस पर भर्ती हुआ और हिंदी दिवस पर उसकी इस व्यवस्था ने जान ले ली। कौशलेंद्र प्रपन्ना बेहद संवेदनशील और शिक्षा सुधार को लेकर देश के उन चंद लोगों में शामिल थे जो भारतीय शिक्षा और उसकी पद्धति को बेहतर बनाना चाहते थे।

आरोप है कि शिक्षा सुधार पर लेख लिखने के कारण उनके संस्थान टेक महिंद्रा फाउंडेशन जिसमें वह पिछले छह वर्षों से काम कर रहे थे, के कुछ ​​अधिकारियों उन्हें बेइज्जत किया था और वह सदमे में आईसीयू में भर्ती हुए थे। वे टेक महिंद्रा फाउंडेशन में पिछले 6 साल से वाइस प्रेसीडेंट एजुकेशन थे।

कौशलेंद्र प्रपन्ना के परिवार में उनकी पत्नी विशाखा अग्रवाल और 8 महीने की बेटी है। हिंदी दैनिक इकोनॉमिक टाइम्स में उन्होंने करीब डेढ़ साल नौकरी की। उसके बाद वह पिछले छह सालों से टेक महिंद्रा फाउंडेशन में वाइस प्रेसीडेंट एजुकेशन थे।

इससे पहले प्रपन्ना दिल्ली सरकार के स्कूल में बतौर शिक्षक नौकरी कर चुके हैं। उन्होंने शिक्षा सुधार और उन्नति पर कई किताबें लिखी हैं और भारत के सैकड़ों स्कूलों का दौरा किया। शिक्षा की पद्धति को कैसे बेहतर बनाया जाये इसके लिए उन्होंने जापान, इंडोनेशिया और चीन की यात्रा भी की थी।

आरोप है कि शिक्षा सुधार पर लेख लिखने के कारण उनके संस्थान टेक महिंद्रा फाउंडेशन जिसमें वह पिछले छह वर्षों से काम कर रहे थे, के कुछ ​​अधिकारियों उन्हें बेइज्जत किया था और वह सदमे में आईसीयू में भर्ती हुए थे। वे टेक महिंद्रा फाउंडेशन में पिछले 6 साल से वाइस प्रेसीडेंट एजुकेशन थे।

कौशलेंद्र प्रपन्ना के परिवार में उनकी पत्नी विशाखा अग्रवाल और 8 महीने की बेटी है। हिंदी दैनिक इकोनॉमिक टाइम्स में उन्होंने करीब डेढ़ साल नौकरी की। उसके बाद वह पिछले छह सालों से टेक महिंद्रा फाउंडेशन में वाइस प्रेसीडेंट एजुकेशन थे।

इससे पहले प्रपन्ना दिल्ली सरकार के स्कूल में बतौर शिक्षक नौकरी कर चुके हैं। उन्होंने शिक्षा सुधार और उन्नति पर कई किताबें लिखी हैं और भारत के सैकड़ों स्कूलों का दौरा किया। शिक्षा की पद्धति को कैसे बेहतर बनाया जाये इसके लिए उन्होंने जापान, इंडोनेशिया और चीन की यात्रा भी की थी।


 

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