कश्मीर में 10,000 अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात करने से संबंधित अटकलें कल के मुकाबले आज के अखबारों में ज्यादा है। यह एक गंभीर मसला है। कल के अखबारों में अटकलों के साथ खबर थी कि यह सामान्य तैनाती है। ऐसा होता तो आज इस पर विराम लग जाना चाहिए था। पर अटकलें बढ़ गई हैं और सूत्रों के अनुसार दी गई खबरों के बीच आधिकारिक सूत्र की खबर या आधिकारिक सूचना तलाशने की मेरी कोशिश नाकाम रही। दूसरी ओर, महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि, धारा 35ए से छेड़छाड़ बारूद में आग लगाने जैसा (नवोदय टाइम्स) है। अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती को लेकर आशंकाएं रविवार को गहरी हो गईं जब यह पता चला कि स्थानीय रेलवे पुलिस ने कानून व्यवस्था की स्थिति लंबे समय तक खराब रहने की पूर्व सूचना देने वाली एडवाइजरी जारी की है जिसमें कर्मचारियों से कहा गया है कि वे भोजन पानी की व्यवस्था कर लें औऱ रिश्तेदारों को सुरक्षित स्थानों पर भेज दें (द टेलीग्राफ)।
अखबार ने लिखा है, कुछ घंटे बाद ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह बताने की कोशिश की कि केंद्रीय शासन में कश्मीर सामान्य स्थिति की ओर बढ़ रहा ह। आधिकारिक बयानों में धारा 35ए से संबंधित डर को कम करने की कोशिश की गई है। उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि सरकार डर फैला रही है। ... अनुमान है कि 15 अगस्त को अमरनाथ यात्रा खत्म होने के बाद अनुच्छेद 35ए को खत्म किया जा सकता है। बाद में एसएसपी रेलवे, कश्मीर ने आदेश जारी करने वाले कार्यवाहक डिविजनल सिक्यूरिटी कमिश्नर (एसडीएससी) को पत्र लिखकर इस बात से इनकार किया कि संबंधित आदेश के लिए कथित सूचनाएं उन्होंने दी थी। अखबार ने लिखा है, अधिकारियों ने बताया कि एसडीएससी अध्ययन अवकाश पर हैं और कार्यवाहक एसडीएससी ने अनधिकृत आदेश जारी कर दिया है जो उनकी अपनी समझ पर आधारित है, जिसका कोई आधार नहीं है। एक अधिकारी ने कहा कि आईजी रेलवे सुरक्षा बल को सुधारात्मक कार्रवाइयों के लिए कश्मीर भेजा जा रहा है।
हिन्दुस्तान टाइम्स में पहले पन्ने पर इस संबंध में कोई खबर नहीं है। टाइम्स ऑफ इंडिया में टॉप पर तीन कॉलम में खबर है जिसका शीर्षक है, कश्मीर में सुरक्षाबलों का जुटान स्वतंत्रता दिवस पर आईएसआई की आतंकवादी साजिशों को नाकाम करने के लिए है। टेलीग्राफ के पहले पन्ने की खबर में यह ‘तथ्य’ नहीं है। पर टीओआई की खबर भी किसी अनाम शिखर के इंटेलीजेंस (खुफिया) अधिकारी के हवाले से है। सलीम पंडित की बाईलाइन वाली इस खबर से लगता है कि सुरक्षा बलों की तैनाती के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा होगा। हालांकि, इस खबर का उपशीर्षक है, इसका (सुरक्षा बलों की तैनाती) संबंध धारा 35ए को खत्म करने की किसी योजना से नहीं है। अखबार ने इस खबर के साथ दो कॉलम की एक और खबर छापी है जिसका शीर्षक है, जम्मू और कश्मीर विधानसभा चुनाव अक्तूबर और नवंबर में संभावित। यह भी अखिलेश सिंह और सलीम पंडित की बाईलाइन वाली खबर है, इसके मुताबिक, भाजपा ने मंगलवार को जम्मू और कश्मीर के अपने कोर ग्रुप की बैठक बुलाई है इससे इस अटकल को दम मिला है कि राज्य में अक्तूबर नवंबर तक विधानसभा चुनाव होगें। उस समय तीन और राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हं और यह चुनाव उनके साथ ही हो सकता है।
इंडियन एक्सप्रेस ने भाजपा के कोर ग्रुप की बैठक की सूचना को ज्यादा महत्व दिया है। अखबार ने एक्सप्लेन्ड एक्सप्रेस में लिखा है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा संसद में धारा 370 पर भाजपा का नजरिया स्पष्ट करने के बाद राज्य की सुरक्षा व्यवस्था में मामूली परिवर्तन पर भी केंद्र के 'एजंडा' को लेकर जोरदार अटकलें लगने लगती हैं। भाजपा की राज्य इकाई ने कुछ नहीं कहा है और उससे आशंकाओं को कम करने में कोई सहायता नहीं मिली है। अखबार ने अपनी इस खबर के साथ ‘मन की बात’ में कश्मीर की चर्चा का उल्लेख किया है और रेलवे कर्मचारियों को आपातस्थिति बताने वाली चिट्ठी तथा उसके निराधार होने की खबर है। लेकिन सुरक्षा बलों की तैनाती पर यहां भी कुछ अधिकृत या ठोस नहीं है।
हिन्दी अखबारों में दैनिक भास्कर ने कश्मीर के पूरे मामले को लीड बनाया है। फ्लैग शीर्षक है, “जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 35ए हटाने की अटकलों के बीच बयानबाजी तेज”। मुख्य शीर्षक हैं, “कश्मीर में नफरत फैलाने वाले नाकाम रहेंगे : मोदी” और दूसरी लाइन उसी फौन्ट साइज में, “35ए से छेड़छाड़ करने वाला जलकर राख होगा : मुफ्ती” और इंट्रो है, “घाटी में सुरक्षाबलों के 10 हजार जवान और भेजने की तैयारी पर विवाद”। अखबार ने इसके साथ एक बॉक्स में खबर छापी है, “प्रधानमंत्री बोले - शोपियां और पुलवामा के लोग विकास चाहते हैं, नफरत नहीं”। पर इसमें ये नहीं बताया है कि कहां बोले। इसके साथ खबर है, “विकास की ताकत गोलियों की ताकत से ज्यादा मजबूत : विकास की ताकत गोलियों और बमों से ज्यादा मजबूत है। ‘बैक टू विलेज’ कार्यक्रम के तहत अफसर पुलवामा, शोपियां, कुलगाम के संवेदनशील गांवों में पहुंचे थे। वहां लोग विकास चाहते हैं, नफरत नहीं। - नरेंद्र मोदी” पर यह नहीं बताया गया है कि ट्वीट किया, किसी रैली, भाषण सभा में बोले या ‘मन की बात’ है या अखबार से एक्सक्लूसिव बातचीत या पूछे गए किसी सवाल का जवाब।
राजस्थान पत्रिका में भी इस पर बैनर शीर्षक के साथ विस्तृत खबर है। हालांकि यह खबर 35ए खत्म होने तथा जम्मू और कश्मीर पर मोदी-शाह की बैठक की सूचना है और घोषणा के अभाव में अटकल ही है। हालांकि, इससे कश्मीर में सेना की तैनाती की बात समझ में आती है। इसमें एक फ्लैग शीर्षक है, बड़ा फैसला लिया तो प्रतिक्रिया पर लेंगे फीडबैक। इन दोनों ही खबरों से मैं यह नहीं समझ पा रहा हूं कि भाजपा के ‘एजंडा’ को लेकर लग रही अटकलों पर सरकार का रुख क्या है। कहने की जरूरत नहीं है कि दैनिक भास्कर ने तमाम उपलब्ध सूचनाओं को परोस दिया है। दूसरी ओर, राजस्थान पत्रिका ने अनुमान पर खबर दी है और इसमें भी मूल जिज्ञासा का पक्का जवाब नहीं है। कायदे से अखबारों को स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश अपनी ओर से करनी चाहिए थी और अगर की हो तथा उसमें सफलता नहीं मिली तो यह पाठकों को बताया जाना चाहिए कि आजकल बिना सूचना के अखबार मुमकिन हैं या अटकलों की पुष्टि अब भी नामुमकिन है।
नवभारत टाइम्स में पहले पन्ने से पहले के अधपन्ने पर एक खबर है, “कश्मीर में नफरत फैलाने वालों की खैर नहीं”। इसके साथ जो खबर है वह इस प्रकार है, “10 हजार जवानों की तैनाती और विशेष दर्जे से छेड़छाड़ की खबरों के बीच पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती केंद्र पर बरसीं। कहा कि आर्टिकल 35ए के साथ छेड़छाड़ बारूद को हाथ लगाने जैसा होगा। इसके लिए जो हाथ उठेगा वो हाथ नहीं, पूरा जिस्म जलकर राख होगा। सरकारी सूत्रों ने साफ किया कि पाकिस्तानी सेना की मदद से आतंकी कश्मीर में बड़े हमले की तैयारी में है। उसे नाकाम करने के लिए जवानों की तैनाती हुई है।” शीर्षक किस हिस्से में है यह मैं नहीं ढूंढ पाया। कश्मीर से संबंधित यह अंश खबर में जरूर है, “पीएम ने ‘मन की बात’ में जम्मू-कश्मीर में चलाए जा रहे ‘गांव की ओर लौट चले’ कार्यक्रम का जिक्र किया। मोदी ने कहा कि इसमें अधिकारी उन गांवों में भी गए, जो हमेशा पड़ोसी मुल्क की गोलीबारी के साये में रहते हैं। शोपियां, पुलवामा, कुलगाम, अनंतनाग जैसे आतंक प्रभावित गांवों में अधिकारियों का भव्य स्वागत और इस कार्यक्रम में आम लोगों की भागीदारी दिखाती है कि कश्मीरी भाई-बहन सुशासन चाहते हैं। इससे साबित होता है कि विकास की शक्ति, बम-बंदूक की ताकत पर हमेशा भारी पड़ती है।”
दैनिक हिन्दुस्तान में पहले पन्ने पर सेना की तैनाती से संबंधित कुछ नहीं है। कश्मीर की खबर से लगता है इसे सुबह ही लिखकर रख लिया गया होगा और टॉप पर नरेन्द्र मोदी की फोटो के साथ दो कॉलम में चिपका दिया है। शीर्षक है, "संदेश : मोदी बोले, कश्मीरी मुख्यधारा में आने को बेताब"। अमर उजाला में भी कश्मीर की खबर के नाम पर पहले पन्ने पर ‘मन की बात’ ही है। यहां मुख्य शीर्षक अलग है, “बंदूक पर विकास भारी .... नफरत फैलाने वाले कामयाब नहीं होंगे”।
दैनिक जागरण ने 'मन की बात' को ही लीड बना दिया है। शीर्षक है, "कश्मीर में बम-बंदूक पर भारी विकास"। इसके साथ ही कश्मीर की एक और खबर है, आतंकी हमले के खतरे को देखते हुए कश्मीर में अतिरिक्त बल की तैनाती। स्पष्ट है कि अखबार ने इस खबर से अतिरिक्त बल की तैनाती पर विवाद और अटकलों को कम करने की कोशिश की है। पर खबर हवा-हवाई ही है और अनाम शीर्ष सरकारी सूत्रों के हवाले से ही है। खबर इस प्रकार है, पाकिस्तान स्थित आतंकी समूह कश्मीर घाटी में बड़ा हमला करने की फिराक में हैं। आतंकियों और उनके आका के मंसूबों को नाकाम करने के लिए ही सरकार ने कश्मीर घाटी में अतिरिक्त जवानों को भेजा है। सरकारी सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी।
अखबार आगे लिखता है, शीर्ष सरकारी सूत्रों ने बताया कि आतंकी हमले के बारे में इनपुट मिलने के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद निरोधक ग्रिड के अधिकारियों के साथ बैठकर कश्मीर घाटी में सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की। एनएसए के आकलन के बाद ही सरकार ने वहां अतिरिक्त जवानों की तैनाती की जरूरत महसूस की। एनएसए डोभाल राज्य के हालात पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों को आतंकी हमले के इनपुट मिले थे। सुरक्षा बलों ने भी इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि पाक सेना समर्थित आतंकी गुट कश्मीर घाटी में हमले की योजना बना रहे हैं, जिससे अर्धसैनिक बलों की 100 कंपनियां वहां तैनात की गई हैं। इसे आप ऊपर की खबरों के साथ पढ़ेंगे तो बेहतर तय कर पाएंगे कि इस सूचना का क्या करना है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार, अनुवादक व मीडिया समीक्षक हैं।)
अखबार ने लिखा है, कुछ घंटे बाद ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह बताने की कोशिश की कि केंद्रीय शासन में कश्मीर सामान्य स्थिति की ओर बढ़ रहा ह। आधिकारिक बयानों में धारा 35ए से संबंधित डर को कम करने की कोशिश की गई है। उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि सरकार डर फैला रही है। ... अनुमान है कि 15 अगस्त को अमरनाथ यात्रा खत्म होने के बाद अनुच्छेद 35ए को खत्म किया जा सकता है। बाद में एसएसपी रेलवे, कश्मीर ने आदेश जारी करने वाले कार्यवाहक डिविजनल सिक्यूरिटी कमिश्नर (एसडीएससी) को पत्र लिखकर इस बात से इनकार किया कि संबंधित आदेश के लिए कथित सूचनाएं उन्होंने दी थी। अखबार ने लिखा है, अधिकारियों ने बताया कि एसडीएससी अध्ययन अवकाश पर हैं और कार्यवाहक एसडीएससी ने अनधिकृत आदेश जारी कर दिया है जो उनकी अपनी समझ पर आधारित है, जिसका कोई आधार नहीं है। एक अधिकारी ने कहा कि आईजी रेलवे सुरक्षा बल को सुधारात्मक कार्रवाइयों के लिए कश्मीर भेजा जा रहा है।
हिन्दुस्तान टाइम्स में पहले पन्ने पर इस संबंध में कोई खबर नहीं है। टाइम्स ऑफ इंडिया में टॉप पर तीन कॉलम में खबर है जिसका शीर्षक है, कश्मीर में सुरक्षाबलों का जुटान स्वतंत्रता दिवस पर आईएसआई की आतंकवादी साजिशों को नाकाम करने के लिए है। टेलीग्राफ के पहले पन्ने की खबर में यह ‘तथ्य’ नहीं है। पर टीओआई की खबर भी किसी अनाम शिखर के इंटेलीजेंस (खुफिया) अधिकारी के हवाले से है। सलीम पंडित की बाईलाइन वाली इस खबर से लगता है कि सुरक्षा बलों की तैनाती के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा होगा। हालांकि, इस खबर का उपशीर्षक है, इसका (सुरक्षा बलों की तैनाती) संबंध धारा 35ए को खत्म करने की किसी योजना से नहीं है। अखबार ने इस खबर के साथ दो कॉलम की एक और खबर छापी है जिसका शीर्षक है, जम्मू और कश्मीर विधानसभा चुनाव अक्तूबर और नवंबर में संभावित। यह भी अखिलेश सिंह और सलीम पंडित की बाईलाइन वाली खबर है, इसके मुताबिक, भाजपा ने मंगलवार को जम्मू और कश्मीर के अपने कोर ग्रुप की बैठक बुलाई है इससे इस अटकल को दम मिला है कि राज्य में अक्तूबर नवंबर तक विधानसभा चुनाव होगें। उस समय तीन और राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हं और यह चुनाव उनके साथ ही हो सकता है।
इंडियन एक्सप्रेस ने भाजपा के कोर ग्रुप की बैठक की सूचना को ज्यादा महत्व दिया है। अखबार ने एक्सप्लेन्ड एक्सप्रेस में लिखा है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा संसद में धारा 370 पर भाजपा का नजरिया स्पष्ट करने के बाद राज्य की सुरक्षा व्यवस्था में मामूली परिवर्तन पर भी केंद्र के 'एजंडा' को लेकर जोरदार अटकलें लगने लगती हैं। भाजपा की राज्य इकाई ने कुछ नहीं कहा है और उससे आशंकाओं को कम करने में कोई सहायता नहीं मिली है। अखबार ने अपनी इस खबर के साथ ‘मन की बात’ में कश्मीर की चर्चा का उल्लेख किया है और रेलवे कर्मचारियों को आपातस्थिति बताने वाली चिट्ठी तथा उसके निराधार होने की खबर है। लेकिन सुरक्षा बलों की तैनाती पर यहां भी कुछ अधिकृत या ठोस नहीं है।
हिन्दी अखबारों में दैनिक भास्कर ने कश्मीर के पूरे मामले को लीड बनाया है। फ्लैग शीर्षक है, “जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 35ए हटाने की अटकलों के बीच बयानबाजी तेज”। मुख्य शीर्षक हैं, “कश्मीर में नफरत फैलाने वाले नाकाम रहेंगे : मोदी” और दूसरी लाइन उसी फौन्ट साइज में, “35ए से छेड़छाड़ करने वाला जलकर राख होगा : मुफ्ती” और इंट्रो है, “घाटी में सुरक्षाबलों के 10 हजार जवान और भेजने की तैयारी पर विवाद”। अखबार ने इसके साथ एक बॉक्स में खबर छापी है, “प्रधानमंत्री बोले - शोपियां और पुलवामा के लोग विकास चाहते हैं, नफरत नहीं”। पर इसमें ये नहीं बताया है कि कहां बोले। इसके साथ खबर है, “विकास की ताकत गोलियों की ताकत से ज्यादा मजबूत : विकास की ताकत गोलियों और बमों से ज्यादा मजबूत है। ‘बैक टू विलेज’ कार्यक्रम के तहत अफसर पुलवामा, शोपियां, कुलगाम के संवेदनशील गांवों में पहुंचे थे। वहां लोग विकास चाहते हैं, नफरत नहीं। - नरेंद्र मोदी” पर यह नहीं बताया गया है कि ट्वीट किया, किसी रैली, भाषण सभा में बोले या ‘मन की बात’ है या अखबार से एक्सक्लूसिव बातचीत या पूछे गए किसी सवाल का जवाब।
राजस्थान पत्रिका में भी इस पर बैनर शीर्षक के साथ विस्तृत खबर है। हालांकि यह खबर 35ए खत्म होने तथा जम्मू और कश्मीर पर मोदी-शाह की बैठक की सूचना है और घोषणा के अभाव में अटकल ही है। हालांकि, इससे कश्मीर में सेना की तैनाती की बात समझ में आती है। इसमें एक फ्लैग शीर्षक है, बड़ा फैसला लिया तो प्रतिक्रिया पर लेंगे फीडबैक। इन दोनों ही खबरों से मैं यह नहीं समझ पा रहा हूं कि भाजपा के ‘एजंडा’ को लेकर लग रही अटकलों पर सरकार का रुख क्या है। कहने की जरूरत नहीं है कि दैनिक भास्कर ने तमाम उपलब्ध सूचनाओं को परोस दिया है। दूसरी ओर, राजस्थान पत्रिका ने अनुमान पर खबर दी है और इसमें भी मूल जिज्ञासा का पक्का जवाब नहीं है। कायदे से अखबारों को स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश अपनी ओर से करनी चाहिए थी और अगर की हो तथा उसमें सफलता नहीं मिली तो यह पाठकों को बताया जाना चाहिए कि आजकल बिना सूचना के अखबार मुमकिन हैं या अटकलों की पुष्टि अब भी नामुमकिन है।
नवभारत टाइम्स में पहले पन्ने से पहले के अधपन्ने पर एक खबर है, “कश्मीर में नफरत फैलाने वालों की खैर नहीं”। इसके साथ जो खबर है वह इस प्रकार है, “10 हजार जवानों की तैनाती और विशेष दर्जे से छेड़छाड़ की खबरों के बीच पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती केंद्र पर बरसीं। कहा कि आर्टिकल 35ए के साथ छेड़छाड़ बारूद को हाथ लगाने जैसा होगा। इसके लिए जो हाथ उठेगा वो हाथ नहीं, पूरा जिस्म जलकर राख होगा। सरकारी सूत्रों ने साफ किया कि पाकिस्तानी सेना की मदद से आतंकी कश्मीर में बड़े हमले की तैयारी में है। उसे नाकाम करने के लिए जवानों की तैनाती हुई है।” शीर्षक किस हिस्से में है यह मैं नहीं ढूंढ पाया। कश्मीर से संबंधित यह अंश खबर में जरूर है, “पीएम ने ‘मन की बात’ में जम्मू-कश्मीर में चलाए जा रहे ‘गांव की ओर लौट चले’ कार्यक्रम का जिक्र किया। मोदी ने कहा कि इसमें अधिकारी उन गांवों में भी गए, जो हमेशा पड़ोसी मुल्क की गोलीबारी के साये में रहते हैं। शोपियां, पुलवामा, कुलगाम, अनंतनाग जैसे आतंक प्रभावित गांवों में अधिकारियों का भव्य स्वागत और इस कार्यक्रम में आम लोगों की भागीदारी दिखाती है कि कश्मीरी भाई-बहन सुशासन चाहते हैं। इससे साबित होता है कि विकास की शक्ति, बम-बंदूक की ताकत पर हमेशा भारी पड़ती है।”
दैनिक हिन्दुस्तान में पहले पन्ने पर सेना की तैनाती से संबंधित कुछ नहीं है। कश्मीर की खबर से लगता है इसे सुबह ही लिखकर रख लिया गया होगा और टॉप पर नरेन्द्र मोदी की फोटो के साथ दो कॉलम में चिपका दिया है। शीर्षक है, "संदेश : मोदी बोले, कश्मीरी मुख्यधारा में आने को बेताब"। अमर उजाला में भी कश्मीर की खबर के नाम पर पहले पन्ने पर ‘मन की बात’ ही है। यहां मुख्य शीर्षक अलग है, “बंदूक पर विकास भारी .... नफरत फैलाने वाले कामयाब नहीं होंगे”।
दैनिक जागरण ने 'मन की बात' को ही लीड बना दिया है। शीर्षक है, "कश्मीर में बम-बंदूक पर भारी विकास"। इसके साथ ही कश्मीर की एक और खबर है, आतंकी हमले के खतरे को देखते हुए कश्मीर में अतिरिक्त बल की तैनाती। स्पष्ट है कि अखबार ने इस खबर से अतिरिक्त बल की तैनाती पर विवाद और अटकलों को कम करने की कोशिश की है। पर खबर हवा-हवाई ही है और अनाम शीर्ष सरकारी सूत्रों के हवाले से ही है। खबर इस प्रकार है, पाकिस्तान स्थित आतंकी समूह कश्मीर घाटी में बड़ा हमला करने की फिराक में हैं। आतंकियों और उनके आका के मंसूबों को नाकाम करने के लिए ही सरकार ने कश्मीर घाटी में अतिरिक्त जवानों को भेजा है। सरकारी सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी।
अखबार आगे लिखता है, शीर्ष सरकारी सूत्रों ने बताया कि आतंकी हमले के बारे में इनपुट मिलने के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद निरोधक ग्रिड के अधिकारियों के साथ बैठकर कश्मीर घाटी में सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की। एनएसए के आकलन के बाद ही सरकार ने वहां अतिरिक्त जवानों की तैनाती की जरूरत महसूस की। एनएसए डोभाल राज्य के हालात पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों को आतंकी हमले के इनपुट मिले थे। सुरक्षा बलों ने भी इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि पाक सेना समर्थित आतंकी गुट कश्मीर घाटी में हमले की योजना बना रहे हैं, जिससे अर्धसैनिक बलों की 100 कंपनियां वहां तैनात की गई हैं। इसे आप ऊपर की खबरों के साथ पढ़ेंगे तो बेहतर तय कर पाएंगे कि इस सूचना का क्या करना है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार, अनुवादक व मीडिया समीक्षक हैं।)