आज हिन्दुस्तान टाइम्स में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से एक्सक्लूसिव बातचीत है। अखबार ने इसी को लीड बनाया है और इसे अंदर के पन्ने पर जारी रखा है जो आठ कॉलम में वित्त मंत्री की फोटो के साथ लगभग आधे पन्ने (से कुछ कम) में छपा है। पहले पन्ने पर लीड का शीर्षक हिन्दी में कुछ इस तरह होगा, “42.7 प्रतिशत की अधिकतम कराधान दर आदर्श नहीं है : वित्त मंत्री”। इससे लगता है कि इंटरव्यू में कुछ खास नहीं है और शीर्षक नकारात्मक ही है जो एक्सक्लूसिव इंटरव्यू का नहीं होना चाहिए। जिसे नहीं पता था कि अधिकतम कराधान 42.7 सात प्रतिशत है – अब वह भी जान गया और यह आदर्श नहीं है, इसे बताएं या नहीं – क्या फर्क पड़ता है। इंटरव्यू के पहले हिस्से का उपशीर्षक है, सीतारमण ने कहा, उपयुक्त समय पर दर कम हो जाएगी। यह भी कोई खास बात नहीं है। और इंटरव्यू एक्सक्लूसिव है इसलिए लीड बनाने के सिवा कोई कारण नहीं है।
अंदर के पन्ने पर इस इंटरव्यू के बाकी हिस्से का दूसरा शीर्षक है, “हमलोगों ने अपने लिए हासिल करने योग्य लक्ष्य रखा है”। कहने की जरूरत नहीं है कि यह किसी और लक्ष्य के बारे में भी हो तो अभी पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य प्रचार और चर्चा में है। अर्थव्यवस्था की खराब हालत को लेकर यह पूछा जाता रहा है कि किसी बोल्ड या निर्भीक कदम के बिना यह कैसे हासिल होगा। बजट पर मेरी पहली प्रतिक्रिया भी यही रही है। मेरा मानना है कि अर्थव्यवस्था की यह खराब हालत मुख्यरूप से नोटबंदी और जीएसटी जैसे निर्भीक या बोल्ड कदम के कारण है और इसे ठीक करने के लिए ऐसा ही कुछ करना होगा जो बजट में नहीं है। इसलिए बजट की निन्दा हो रही है और बचाव की कोशिशें भी।
दोनों में ना कुछ गलत है ना बुराई पर अखबारों की निष्पक्षता दांव पर है इसलिए इस पूरे मामले को उस लिहाज से भी देखने की जरूरत है। बजट पर राज्यसभा में चर्चा चल ही रही हो तो हिन्दुस्तान टाइम्स जैसा एक्सक्लूसिव इंटरव्यू अटपटा है। खासकर इसलिए भी कि पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कल ही राज्यसभा में कहा, वित्त मंत्री जी मेरी क्लास लीजिए और बताइए कि सरकार का लक्ष्य कैसे पूरा होगा। दैनिक भास्कर के अनुसार, उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य हकीकत से परे है और जीएसटी को 3.38 प्रतिशत से बढ़ाकर 45 प्रतिशत कैसे करेगी। पूर्व वित्त मंत्री ने गुरुवार को बजट पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए सरकार पर कई सवाल खड़े किए। उन्होंने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर साहसी और ढांचागत सुधार के कदम उठाने से हिचकिचाने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि इनकम टैक्स से लेकर कस्टम और जीएसटी तक के अनुमान वास्तविकता से परे हैं।
दैनिक भास्कर में बिजनेस पन्ने पर इस खबर को पढ़ने के बाद मैंने इसे हिन्दुस्तान टाइम्स में ढूंढ़ना शुरू किया। यहां यह खबर निर्मला सीतारमण के इंटरव्यू के दोनों हिस्सों के साथ नहीं है। बिजनेस पन्ने पर भी नहीं है। आप जानते होंगे कि हिन्दुस्तान टाइम्स की बिजनेस खबरें समूह के बिजनेस अखबार ‘मिन्ट’ से पावर्ड यानी शक्तिप्राप्त होती हैं। ढूंढ़ते हुए यह खबर मुझे देसी खबरों के पन्ने पर दो कॉलम में मिली। शीर्षक है (अनुवाद मेरा), चिदंबरम ने कहा, “लोकसभा में बड़े जनादेश के बाद निर्भीक बजट की अपेक्षा थी”। शीर्षक समेत कोई 17 सेंटीमीटर के डबल कॉलम (34 सेंमी) खबर में 10 सेंटीमीटर का एक बॉक्स है, “भाजपा ने डिप्टी स्पीकर से मांग की, मीडिया पर टिप्पणी हटाई जाए”। चिदंबरम ने पहले कहा था कि अंतरराष्ट्रीय संगठन “पालतू” भारतीय टेलीविजन न्यूज चैनल नहीं देखते हैं और भाजपा लोकतंत्र का सम्मान करे। इस खबर के अनुसार, भाजपा के अनिल बलूनी ने चिदंबरम की टिप्पणी को भारतीय मीडिया का अपमान बताया। टिप्पणी अखबारों में छपी है इसलिए हटाई नहीं गई होगी। हिन्दुस्तान टाइम्स ने बजट पर प्रतिक्रिया की अपनी इस खबर में शीर्षक के अलावा जो मुख्य बात छापी है वह यह कि बजट भाषण में कुल राजस्व, कुल व्यय, वित्तीय घाटा, राजस्व घाटा, अतिरिक्त राजस्व की व्यवस्था या वित्तीय छूट का खुलासा नहीं किया गया है। चिदंबरम ने कहा कि अर्थव्यवस्था कमजोर है और बजट भाषण बेस्वाद (नीरस)।
ऐसी हालत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कहते रहे हैं कि उनकी सरकार अगले पांच वर्षों में 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य हासिल कर लेगी और ऐसा लक्ष्य तय करने पर सवाल उठाने वालों को उन्होंने 'पेशेवर निराशावादी' कहा है। द टेलीग्राफ की एक खबर के अनुसार, पूर्व वित्त मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने 5 ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्य और प्रधानमंत्री को अलग किया - उन्होंने कहा कि भारत स्वाभाविक प्रगति से 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा। इसमें इस बात का कोई मतलब नहीं है कि प्रधानमंत्री कौन है। चिदंबरम ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था 1990-91 में 325 बिलियन डॉलर की थी जो 2003-04 में दूनी हो गई। यूपीए सत्ता में आई तो अर्थव्यवस्था का आकार फिर दूना हो गया और 618 बिलियन डॉलर से बढ़कर चार साल में 1.22 ट्रिलियन हो गया। सितंबर 2017 में यह फिर दूना हो गया और 2.48 बिलियन डॉलर था। यह दूना होकर 5 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगा। इसके लिए किसी प्रधानमंत्री या वित्त मंत्री की जरूरत नहीं है। .... उन्होंने कहा कि कहा कि पैसे उधार देने वाला कोई भी आदमी इसे जानता है। इसी तरह, उधार लेने वाला भी इस बात को जानता है। उन्होंने इसका प्रभाव बताया कंपाउंडिंग यानी चक्रवृद्धि। अर्थव्यवस्था का साधारण विकास अगर 12 प्रतिशत हो तो यह छह साल में दूना होगा। अगर यह 11 प्रतिशत हो तो सात साल में दूना होगा। उन्होंने वित्तमंत्री से सार्वजनिक रूप से यह कहने की अपील की कि अर्थव्यवस्था (5 ट्रिलियन ही नही) 2028-29 तक फिर दूनी होकर 10 ट्रिलियन डॉलर और 2032-33 तक 20 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगी। 5 ट्रिलियन डॉलर का यह आंकड़ां क्यों महान है। अर्थव्यवस्था तो हमेशा छह या सात साल में दूनी हो जाएगी क्योंकि सामान्य विकास दर 11 या 12 प्रतिशत रहेगी। ... यह सामान्य गणित है।
इसके बावजूद, नवभारत टाइम्स में आज ही एक खबर है, इकनॉमी $5 ट्रिलियन पर पहुंचाने की बन रही स्ट्रैटेजी। जोसफ बर्नाड की यह खबर सूत्रों के हवाले से बताती है कि, सरकार ने हर साल 20 लाख करोड़ रुपये का निवेश हासिल करने का टारगेट है। इसके अलावा सरकार ने सभी प्रोजेक्ट्स को समय पर पूरा करने का लक्ष्य तय किया है। इसकी निगरानी के लिए टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा। यह अपनी रिपोर्ट वित्त मंत्रालय को देगी। इस रिपोर्ट की स्टडी वित्त मंत्रालय, नीति आयोग और पीएमओ की टीम करेगी। सरकार देश की इकनॉमी को 5 ट्रिलियन डॉलर बनाने के लिए तेजी से निवेश बढ़ाने और प्रोजेक्ट्स को समय पर पूरा करने पर ध्यान देगी। सरकार को लगता है कि अगर मार्केट में निवेश बढ़ा और सभी प्रोजेक्टस समय पर पूरे हुए तो देश की इकनॉमी में तेजी आना तय है। अखबार ने यह भी बताया है, आम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि भारत की इकनॉमी इस साल 3 ट्रिलियन डॉलर की बन जाएगी। साल 2025 तक हम 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएंगे। चीफ इकनॉमिक एडवाइजर कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन का कहना है कि वित्त वर्ष 2025 तक भारत की इकनॉमी को 5 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचाने के लिए 8 पर्सेंट ग्रोथ रेट की जरूरत है। उनके अनुसार, यह संभव है, क्योंकि देश में राजनीतिक स्थिरता है। इसकी इकनॉमी की ग्रोथ बढ़ाने में अहम भूमिका होती है। नवभारत टाइम्स में आर्थिक खबरों का पन्ना आधा ही है और यह दि इकनोमिक टाइम्स है। नवोदय टाइम्स में बिजनेस या व्यापार पन्ने पर 1.7 लाख करोड़ रुपए के गड़बड़झाला के सवाल पर सीतारमण क्या बोलीं उसपर खबर है और बताया गया है कि मामला क्या है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार, अनुवादक व मीडिया समीक्षक हैं।)
अंदर के पन्ने पर इस इंटरव्यू के बाकी हिस्से का दूसरा शीर्षक है, “हमलोगों ने अपने लिए हासिल करने योग्य लक्ष्य रखा है”। कहने की जरूरत नहीं है कि यह किसी और लक्ष्य के बारे में भी हो तो अभी पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य प्रचार और चर्चा में है। अर्थव्यवस्था की खराब हालत को लेकर यह पूछा जाता रहा है कि किसी बोल्ड या निर्भीक कदम के बिना यह कैसे हासिल होगा। बजट पर मेरी पहली प्रतिक्रिया भी यही रही है। मेरा मानना है कि अर्थव्यवस्था की यह खराब हालत मुख्यरूप से नोटबंदी और जीएसटी जैसे निर्भीक या बोल्ड कदम के कारण है और इसे ठीक करने के लिए ऐसा ही कुछ करना होगा जो बजट में नहीं है। इसलिए बजट की निन्दा हो रही है और बचाव की कोशिशें भी।
दोनों में ना कुछ गलत है ना बुराई पर अखबारों की निष्पक्षता दांव पर है इसलिए इस पूरे मामले को उस लिहाज से भी देखने की जरूरत है। बजट पर राज्यसभा में चर्चा चल ही रही हो तो हिन्दुस्तान टाइम्स जैसा एक्सक्लूसिव इंटरव्यू अटपटा है। खासकर इसलिए भी कि पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कल ही राज्यसभा में कहा, वित्त मंत्री जी मेरी क्लास लीजिए और बताइए कि सरकार का लक्ष्य कैसे पूरा होगा। दैनिक भास्कर के अनुसार, उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य हकीकत से परे है और जीएसटी को 3.38 प्रतिशत से बढ़ाकर 45 प्रतिशत कैसे करेगी। पूर्व वित्त मंत्री ने गुरुवार को बजट पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए सरकार पर कई सवाल खड़े किए। उन्होंने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर साहसी और ढांचागत सुधार के कदम उठाने से हिचकिचाने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि इनकम टैक्स से लेकर कस्टम और जीएसटी तक के अनुमान वास्तविकता से परे हैं।
दैनिक भास्कर में बिजनेस पन्ने पर इस खबर को पढ़ने के बाद मैंने इसे हिन्दुस्तान टाइम्स में ढूंढ़ना शुरू किया। यहां यह खबर निर्मला सीतारमण के इंटरव्यू के दोनों हिस्सों के साथ नहीं है। बिजनेस पन्ने पर भी नहीं है। आप जानते होंगे कि हिन्दुस्तान टाइम्स की बिजनेस खबरें समूह के बिजनेस अखबार ‘मिन्ट’ से पावर्ड यानी शक्तिप्राप्त होती हैं। ढूंढ़ते हुए यह खबर मुझे देसी खबरों के पन्ने पर दो कॉलम में मिली। शीर्षक है (अनुवाद मेरा), चिदंबरम ने कहा, “लोकसभा में बड़े जनादेश के बाद निर्भीक बजट की अपेक्षा थी”। शीर्षक समेत कोई 17 सेंटीमीटर के डबल कॉलम (34 सेंमी) खबर में 10 सेंटीमीटर का एक बॉक्स है, “भाजपा ने डिप्टी स्पीकर से मांग की, मीडिया पर टिप्पणी हटाई जाए”। चिदंबरम ने पहले कहा था कि अंतरराष्ट्रीय संगठन “पालतू” भारतीय टेलीविजन न्यूज चैनल नहीं देखते हैं और भाजपा लोकतंत्र का सम्मान करे। इस खबर के अनुसार, भाजपा के अनिल बलूनी ने चिदंबरम की टिप्पणी को भारतीय मीडिया का अपमान बताया। टिप्पणी अखबारों में छपी है इसलिए हटाई नहीं गई होगी। हिन्दुस्तान टाइम्स ने बजट पर प्रतिक्रिया की अपनी इस खबर में शीर्षक के अलावा जो मुख्य बात छापी है वह यह कि बजट भाषण में कुल राजस्व, कुल व्यय, वित्तीय घाटा, राजस्व घाटा, अतिरिक्त राजस्व की व्यवस्था या वित्तीय छूट का खुलासा नहीं किया गया है। चिदंबरम ने कहा कि अर्थव्यवस्था कमजोर है और बजट भाषण बेस्वाद (नीरस)।
ऐसी हालत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कहते रहे हैं कि उनकी सरकार अगले पांच वर्षों में 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य हासिल कर लेगी और ऐसा लक्ष्य तय करने पर सवाल उठाने वालों को उन्होंने 'पेशेवर निराशावादी' कहा है। द टेलीग्राफ की एक खबर के अनुसार, पूर्व वित्त मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने 5 ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्य और प्रधानमंत्री को अलग किया - उन्होंने कहा कि भारत स्वाभाविक प्रगति से 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा। इसमें इस बात का कोई मतलब नहीं है कि प्रधानमंत्री कौन है। चिदंबरम ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था 1990-91 में 325 बिलियन डॉलर की थी जो 2003-04 में दूनी हो गई। यूपीए सत्ता में आई तो अर्थव्यवस्था का आकार फिर दूना हो गया और 618 बिलियन डॉलर से बढ़कर चार साल में 1.22 ट्रिलियन हो गया। सितंबर 2017 में यह फिर दूना हो गया और 2.48 बिलियन डॉलर था। यह दूना होकर 5 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगा। इसके लिए किसी प्रधानमंत्री या वित्त मंत्री की जरूरत नहीं है। .... उन्होंने कहा कि कहा कि पैसे उधार देने वाला कोई भी आदमी इसे जानता है। इसी तरह, उधार लेने वाला भी इस बात को जानता है। उन्होंने इसका प्रभाव बताया कंपाउंडिंग यानी चक्रवृद्धि। अर्थव्यवस्था का साधारण विकास अगर 12 प्रतिशत हो तो यह छह साल में दूना होगा। अगर यह 11 प्रतिशत हो तो सात साल में दूना होगा। उन्होंने वित्तमंत्री से सार्वजनिक रूप से यह कहने की अपील की कि अर्थव्यवस्था (5 ट्रिलियन ही नही) 2028-29 तक फिर दूनी होकर 10 ट्रिलियन डॉलर और 2032-33 तक 20 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगी। 5 ट्रिलियन डॉलर का यह आंकड़ां क्यों महान है। अर्थव्यवस्था तो हमेशा छह या सात साल में दूनी हो जाएगी क्योंकि सामान्य विकास दर 11 या 12 प्रतिशत रहेगी। ... यह सामान्य गणित है।
इसके बावजूद, नवभारत टाइम्स में आज ही एक खबर है, इकनॉमी $5 ट्रिलियन पर पहुंचाने की बन रही स्ट्रैटेजी। जोसफ बर्नाड की यह खबर सूत्रों के हवाले से बताती है कि, सरकार ने हर साल 20 लाख करोड़ रुपये का निवेश हासिल करने का टारगेट है। इसके अलावा सरकार ने सभी प्रोजेक्ट्स को समय पर पूरा करने का लक्ष्य तय किया है। इसकी निगरानी के लिए टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा। यह अपनी रिपोर्ट वित्त मंत्रालय को देगी। इस रिपोर्ट की स्टडी वित्त मंत्रालय, नीति आयोग और पीएमओ की टीम करेगी। सरकार देश की इकनॉमी को 5 ट्रिलियन डॉलर बनाने के लिए तेजी से निवेश बढ़ाने और प्रोजेक्ट्स को समय पर पूरा करने पर ध्यान देगी। सरकार को लगता है कि अगर मार्केट में निवेश बढ़ा और सभी प्रोजेक्टस समय पर पूरे हुए तो देश की इकनॉमी में तेजी आना तय है। अखबार ने यह भी बताया है, आम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि भारत की इकनॉमी इस साल 3 ट्रिलियन डॉलर की बन जाएगी। साल 2025 तक हम 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएंगे। चीफ इकनॉमिक एडवाइजर कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन का कहना है कि वित्त वर्ष 2025 तक भारत की इकनॉमी को 5 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचाने के लिए 8 पर्सेंट ग्रोथ रेट की जरूरत है। उनके अनुसार, यह संभव है, क्योंकि देश में राजनीतिक स्थिरता है। इसकी इकनॉमी की ग्रोथ बढ़ाने में अहम भूमिका होती है। नवभारत टाइम्स में आर्थिक खबरों का पन्ना आधा ही है और यह दि इकनोमिक टाइम्स है। नवोदय टाइम्स में बिजनेस या व्यापार पन्ने पर 1.7 लाख करोड़ रुपए के गड़बड़झाला के सवाल पर सीतारमण क्या बोलीं उसपर खबर है और बताया गया है कि मामला क्या है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार, अनुवादक व मीडिया समीक्षक हैं।)