केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से बड़े लोन डिफॉल्टरों के नाम को उजागर करने का आदेश दिया है। लखनऊ की नूतन ठाकुर की याचिका पर सुनवाई करते हुए CIC ने RBI को यह निर्देश जारी किया है। नूतन ठाकुर ने अपनी याचिका में उन मीडिया रिपोर्ट्स का जिक्र किया है जिनके अनुसार वर्ष 2017 में RBI के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने एक लेक्चर में कहा था कि, “कुछ लोन डिफॉल्टर्स के खातों को बैंक के पास रिजोल्यूशन के लिए भेज दिया गया है।“
गौरतलब है कि RBI के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने कहा था कि “RBI ने बैंकों को कुल 25 फीसदी एनपीए वाले 12 बड़े खातों के खिलाफ दिवालिया आवेदन दायर करने का निर्देश दिया था। साथ ही रिज़र्व बैंक को अब सलाह दी जाती है कि, वह दिसंबर 2017 तक कुछ अन्य खातों को भी रिजॉल्व करे। अगर बैंक समय सीमा के अंदर व्यवहार्य संकल्प योजना को लागू करने में विफल रहते हैं तो इन मामलों को भी IBC के तहत रिजोल्यूशन के लिए संदर्भित किया जाएगा।”
विरल आचार्य के इस बयान पर सामाजिक कार्यकर्ता ने उन डिफॉल्टर्स की सूची जानने के लिए याचिका दायर की थी।
नूतन ठाकुर की याचिका पर RBI ने ‘गोपनीयता’ का हवाला देते हुए विवरण प्रदान करने से इनकार कर दिया था। जिसके बाद ठाकुर ने CIC के सामने अपनी मांग रखी। CIC के सूचना आयुक्त सुरेश चंद्रा ने भी कहा है कि “मामला RBI अधिनियम की धारा 45 सी और ई के तहत आता है, जिसके अनुसार सभी बैंकों द्वारा जमा की गई क्रेडिट जानकारी गोपनीय मानी जाएगी।“
फिलहाल सुरेश चंद्रा ने कहा कि “पूरी फाइलों के खुलासे से उन कर्जदारों के नाम भी सामने आ सकते हैं जो विलफुल डिफॉल्टरों की सूची में शामिल नहीं हैं। परंतु RBI को ऐसे बड़े विलफुल डिफाल्टर्स के नाम उजागर करने होंगे जिनकी वजह से समाज को नुकसान पहुंचा है।
गौरतलब है कि RBI के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने कहा था कि “RBI ने बैंकों को कुल 25 फीसदी एनपीए वाले 12 बड़े खातों के खिलाफ दिवालिया आवेदन दायर करने का निर्देश दिया था। साथ ही रिज़र्व बैंक को अब सलाह दी जाती है कि, वह दिसंबर 2017 तक कुछ अन्य खातों को भी रिजॉल्व करे। अगर बैंक समय सीमा के अंदर व्यवहार्य संकल्प योजना को लागू करने में विफल रहते हैं तो इन मामलों को भी IBC के तहत रिजोल्यूशन के लिए संदर्भित किया जाएगा।”
विरल आचार्य के इस बयान पर सामाजिक कार्यकर्ता ने उन डिफॉल्टर्स की सूची जानने के लिए याचिका दायर की थी।
नूतन ठाकुर की याचिका पर RBI ने ‘गोपनीयता’ का हवाला देते हुए विवरण प्रदान करने से इनकार कर दिया था। जिसके बाद ठाकुर ने CIC के सामने अपनी मांग रखी। CIC के सूचना आयुक्त सुरेश चंद्रा ने भी कहा है कि “मामला RBI अधिनियम की धारा 45 सी और ई के तहत आता है, जिसके अनुसार सभी बैंकों द्वारा जमा की गई क्रेडिट जानकारी गोपनीय मानी जाएगी।“
फिलहाल सुरेश चंद्रा ने कहा कि “पूरी फाइलों के खुलासे से उन कर्जदारों के नाम भी सामने आ सकते हैं जो विलफुल डिफॉल्टरों की सूची में शामिल नहीं हैं। परंतु RBI को ऐसे बड़े विलफुल डिफाल्टर्स के नाम उजागर करने होंगे जिनकी वजह से समाज को नुकसान पहुंचा है।