पानी को तरस रही बनारस की जनता लेकिन पीएम के रोड शो के लिए 1.4 लाख लीटर पानी से धुलीं सड़कें

Written by sabrang india | Published on: April 27, 2019
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर से वाराणसी से नामांकन कर दिया है। पांच साल पहले मोदी ने अपने ख्वाबों से काशी वासियों को सपना दिखाया था कि वे इसे क्योटो बना देंगे। अभी बनारस क्योटो बनने की जिस चाल से विकास के रास्ते पर चल रहा है वह काफी विध्वंसकारी तो है ही, लोगों के लिए तकलीफदेह भी है। यहां लोग गंगा किनारे होते हुए भी पेयजल की किल्लत से जूझ रहे हैं। खैर एक बार फिर से प्रधानमंत्री ने पर्चा भर दिया है और उन्होंने भव्य रोड शो किया। कुंटलों गुलाब के फूल उनके काफिले पर बरसाए गए तो उनके लिए प्रशासन ने रोड को भी चमाचम बना दिया। जी हाँ ! और उन सड़कों की धुलाई के लिए एक-दो लीटर नहीं बल्कि 1.4 लाख लीटर पीने का पानी बहा दिया गया।

बनारस में प्रधानमंत्री मोदी का रोड शो चारों ओर सुर्खियों में है। रोड शो के दौरान उमड़ा जनसैलाब बहुत कुछ बयां कर रहा था। प्रधानमंत्री ने काशी का पुनः अभिवादन किया और साथ ही कहा कि 15-20 घंटे का रोड शो सिर्फ काशी ही कर सकता है। एक ओर सड़क पर शक्ति प्रदर्शन हुआ तो वहीं माँ गंगा के घाट पर आस्था का नजारा भी देखने तो मिला। मोदी ने पहले नागरिकों से रिकॉर्ड तोड़ मतदान करने की अपील की और बाद में बनारस से दोबारा मौका मिलने पर घर-घर पानी की सुविधा देने की बात भी कही।

मोदी के रोड शो की तैयारी में 1.4 लाख लीटर साफ पानी बर्बाद किया गया है। जो सड़कें बारिश होने पर खुद ही साफ हो जाती हैं उन्हें पीएम मोदी के लिए पानी से धोया गया और उनकी धुलाई में 1.4 लाख लीटर साफ पानी बहा दिया गया। गर्मी के मौसम में जहां पीने के पानी के लिए जगह जगह किल्लत मची हुई है वहां जमकर पानी की बर्बादी हुई। अफसरों की मानें तो उन्हें रोड शो के लिए सड़कें साफ करने का आदेश उच्च अधिकारियों से मिला था। जिसके बाद 400 मजदूर और 40 पानी के टैंकर सफाई के लिए लगाए गए थे।

सबरंग ने कुछ दिन पहले वाराणासी के सरायनंदन वार्ड के पंडिताना मोहल्ले की ग्राउंड रिपोर्ट जारी की थी। जहां पानी की किल्लत से मोहल्लेवासी पिछले सात साल से परेशान हैं। प्रशासन के दरवाजे पर बार बार दस्तक लगाने के बाद दो साल पहले पानी की पाइप तो लग गई पर उन्हें उस पाइप से आज तक एक बूंद भी नसीब नहीं हुई। बावजूद इसके सभी मोहल्ले वालों से पानी का टैक्स पिछले दो साल से लिया जा रहा है। अंततः परेशान होकर मोहल्ले वासियों ने NOTA का बटन दबाने का ऐलान किया है।   

पानी की किल्लत को लेकर राजस्थान में एक गांव ने चुनाव बहिष्कार का निर्णय लिया है। राजस्थान के ढिंगना गांव के समस्त निवासियों ने लोकसभा चुनाव का बहिष्कार का ऐलान किया है। गांव वालों का कहना है कि गांव में पिछले चार साल से पानी की समस्या है। हाल ही में चुनाव नजदीक आने पर दो महीनों से पानी के टैंकर पहुंचा दिये जा रहे हैं, पर पाइप लगने और स्कूल की नीव पड़ने के बाद भी न गांव में चार साल से पानी आया न स्कूल बन सका। प्रसाशन को दस्तक दे देकर हारे ग्रामीणों ने चुनाव बहिष्कार करके अपना आखरी दाव इस्तेमाल किया है।

इस सूची में सिर्फ पंडिताना मोहल्ला या ढिंगना गांव ही नहीं है। न जाने और कितने गआँव - मोहल्ला हैं जहां पानी की बुरी तरह किल्लत मची हुई है। यहाँ तक की प्रधानमंत्री मोदी जी के बनारस में ही मात्र 70% घरों में पानी जाता है। अन्य 30% घर आज भी कुआं, तालाब या हैंड पाइप के पानी के भरोसे रहते हैं।
 ऐसे में सवाल यह है कि जनता से भेंट करने के लिए प्यासी जनता के ही हिस्से का पानी यूं बर्बाद करना कितना सही है ?

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