नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन विधेयक पर असम में पिछले कई दिनों से प्रदर्शन हो रहा है। अब तक सैकड़ों प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया जा चुका है। ऐसे में मोदी सरकार द्वारा प्रसिद्ध गायक भूपेन हजारिका को भारत रत्न देने का ऐलान सुर्खियों में बना हुआ है। यूएसए में रह रहे भूपेन हजारिका के बेट तेज ने इस सम्मान को लेने से इंकार कर दिया है।
तेज ने यूएसए से एक बयान में कहा, “नागरिकता संशोधन बिल पूरी तरह से असम और उत्तर-पूर्व के खिलाफ है। वर्तमान संदर्भ में, यदि मेरे पिता जीवित होते, तो भारत रत्न को स्वीकार नहीं करते जो कि हाल ही में घोषित किया गया है। यह नागरिकता संशोधन बिल-2019 पारित करने और असम व उत्तर पूर्व के लोगों को शांत करने का एक राजनीतिक उपकरण है, जो हमारे संविधान के साथ-साथ असम और पूर्वोत्तर के लोगों की धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक भावना के खिलाफ है। ”
तेज हजारिका ने एक फेसबुक पोस्ट के जरिए स्थिति साफ की है। उन्होंने लिखा, 'कई पत्रकार मुझसे पूछ रहे हैं कि मैं अपने पिता को दिए गए भारत रत्न को स्वीकार करूंगा या नहीं? उन्हें बता दूं कि मुझे अभी तक इसको लेकर कोई निमंत्रण नहीं मिला है, तो अस्वीकार करने जैसा कुछ है ही नहीं अभी। दूसरी बात, केंद्र सरकार ने इस सम्मान को देने में जिस तरह की जल्दबाजी दिखाई है और जो समय चुना है वह और कुछ नहीं बस लोकप्रियता का फायदा उठाने का सस्ता तरीका है।'
तेज ने साफ किया कि वह अपने पिता को दिया गया भारत रत्न तभी लेंगे जब केंद्र सरकार नागरिकता (संशोधन) विधेयक को वापस लेगी। यह बिल मंगलवार को राज्यसभा में पेश किया जा सकता है। हालांकि परिवार इस पर एकमत नहीं है। भूपेन हजारिका के भाई समर हजारिका ने कहा, 'यह उनका (तेज का) निर्णय है, मेरा नहीं। खैर मुझे लगता है कि उन्हें भारत रत्न लेना चाहिए। वैसे भी इसमें बहुत देर हो चुकी है।'
हाल ही में गुवाहाटी दौरे पर पीएम मोदी ने कहा था कि जो सम्मान भूपेन हजारिका को बहुत पहले मिल जाना था, वे अब जाकर मिला है। पीएम मोदी ने यह भी कहा था कि नागरिकता कानून को लेकर कुछ लोग भ्रम फैला रहे हैं। केंद्र सरकार असम और पूर्वोत्तर के सभी राज्यों की सांस्कृति, भाषा और संसाधनों की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है।
भूपेन हजारिका असम के गीतकार, संगीतकार, गायक, कवि और फिल्म-निर्माता थे। उन्होंने असम और पूर्वोत्तर भारत के संस्कृति और लोक संगीत को हिंदी सिनेमा के माध्यम से दमदार तरीके से पेश किया था। भूपेन हजारिका को 1975 में सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशन के लिए राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार, संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (1987), पद्मश्री (1977), और पद्मभूषण (2001) से सम्मानित किया गया था।
क्या है नागरिकता संशोधन विधेयक?
दरअसल, नागरिकता संशोधन विधेयक, 2016 के तहत नागरिकता कानून, 1955 में संशोधन कर पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए गैर मुस्लिम धार्मिक अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है। इस कानून में इन देशों से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई जो बिना वैध यात्रा दस्तावेजों के भारत आए हैं, या जिनके वैध दस्तावेजों की समय सीमा खत्म हो गई है, उन्हें भारतीय नागरिकता प्राप्त करने लायक बनाता है।
क्यों हो रहा है विरोध?
नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में हाल ही में पूर्वोत्तर के तमाम क्षेत्रीय दलों ने गुवाहाटी में बैठक की थी। इसमें बीजेपी के सहयोगी दल भी शामिल हुए थे। इसके साथ ही असम स्टूडेंट यूनियन (आसू) और पूर्वोत्तर के अन्य संगठन भी लगातार बिल का विरोध कर रहे हैं। इन दलों और संगठनों का मानना है कि यह विधेयक उनकी सांस्कृतिक, भाषाई और पारंपरिक विरासत के साथ खिलवाड़ करता है। इसके साथ ही यह विधेयक धर्म के आधार पर नागरिकता देने की बात करता है, जबकि राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण यानी NRC में धर्म का कोई जिक्र नहीं।
तेज ने यूएसए से एक बयान में कहा, “नागरिकता संशोधन बिल पूरी तरह से असम और उत्तर-पूर्व के खिलाफ है। वर्तमान संदर्भ में, यदि मेरे पिता जीवित होते, तो भारत रत्न को स्वीकार नहीं करते जो कि हाल ही में घोषित किया गया है। यह नागरिकता संशोधन बिल-2019 पारित करने और असम व उत्तर पूर्व के लोगों को शांत करने का एक राजनीतिक उपकरण है, जो हमारे संविधान के साथ-साथ असम और पूर्वोत्तर के लोगों की धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक भावना के खिलाफ है। ”
तेज हजारिका ने एक फेसबुक पोस्ट के जरिए स्थिति साफ की है। उन्होंने लिखा, 'कई पत्रकार मुझसे पूछ रहे हैं कि मैं अपने पिता को दिए गए भारत रत्न को स्वीकार करूंगा या नहीं? उन्हें बता दूं कि मुझे अभी तक इसको लेकर कोई निमंत्रण नहीं मिला है, तो अस्वीकार करने जैसा कुछ है ही नहीं अभी। दूसरी बात, केंद्र सरकार ने इस सम्मान को देने में जिस तरह की जल्दबाजी दिखाई है और जो समय चुना है वह और कुछ नहीं बस लोकप्रियता का फायदा उठाने का सस्ता तरीका है।'
तेज ने साफ किया कि वह अपने पिता को दिया गया भारत रत्न तभी लेंगे जब केंद्र सरकार नागरिकता (संशोधन) विधेयक को वापस लेगी। यह बिल मंगलवार को राज्यसभा में पेश किया जा सकता है। हालांकि परिवार इस पर एकमत नहीं है। भूपेन हजारिका के भाई समर हजारिका ने कहा, 'यह उनका (तेज का) निर्णय है, मेरा नहीं। खैर मुझे लगता है कि उन्हें भारत रत्न लेना चाहिए। वैसे भी इसमें बहुत देर हो चुकी है।'
हाल ही में गुवाहाटी दौरे पर पीएम मोदी ने कहा था कि जो सम्मान भूपेन हजारिका को बहुत पहले मिल जाना था, वे अब जाकर मिला है। पीएम मोदी ने यह भी कहा था कि नागरिकता कानून को लेकर कुछ लोग भ्रम फैला रहे हैं। केंद्र सरकार असम और पूर्वोत्तर के सभी राज्यों की सांस्कृति, भाषा और संसाधनों की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है।
भूपेन हजारिका असम के गीतकार, संगीतकार, गायक, कवि और फिल्म-निर्माता थे। उन्होंने असम और पूर्वोत्तर भारत के संस्कृति और लोक संगीत को हिंदी सिनेमा के माध्यम से दमदार तरीके से पेश किया था। भूपेन हजारिका को 1975 में सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशन के लिए राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार, संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (1987), पद्मश्री (1977), और पद्मभूषण (2001) से सम्मानित किया गया था।
क्या है नागरिकता संशोधन विधेयक?
दरअसल, नागरिकता संशोधन विधेयक, 2016 के तहत नागरिकता कानून, 1955 में संशोधन कर पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए गैर मुस्लिम धार्मिक अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है। इस कानून में इन देशों से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई जो बिना वैध यात्रा दस्तावेजों के भारत आए हैं, या जिनके वैध दस्तावेजों की समय सीमा खत्म हो गई है, उन्हें भारतीय नागरिकता प्राप्त करने लायक बनाता है।
क्यों हो रहा है विरोध?
नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में हाल ही में पूर्वोत्तर के तमाम क्षेत्रीय दलों ने गुवाहाटी में बैठक की थी। इसमें बीजेपी के सहयोगी दल भी शामिल हुए थे। इसके साथ ही असम स्टूडेंट यूनियन (आसू) और पूर्वोत्तर के अन्य संगठन भी लगातार बिल का विरोध कर रहे हैं। इन दलों और संगठनों का मानना है कि यह विधेयक उनकी सांस्कृतिक, भाषाई और पारंपरिक विरासत के साथ खिलवाड़ करता है। इसके साथ ही यह विधेयक धर्म के आधार पर नागरिकता देने की बात करता है, जबकि राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण यानी NRC में धर्म का कोई जिक्र नहीं।