शोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर केस में सभी आरोपी बरी, पत्नी कौशर बी की भी मिली थी लाश

Written by Sabrangindia Staff | Published on: December 21, 2018
नई दिल्ली। सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर केस में आज केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की एक विशेष अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिया. जज एसजे शर्मा ने अपने आदेश में कहा कि हमें इस बात का दुख है कि तीन लोगों ने अपनी जान खोई है. लेकिन कानून और सिस्टम को किसी आरोप को सिद्ध करने के लिए सबूतों की आवश्यकता होती है. सीबीआई इस बात को सिद्ध ही नहीं कर पाई कि पुलिसवालों ने सोहराबुद्दीन को हैदराबाद से अगवा किया था. इस बात का कोई सबूत नहीं है.

हालांकि, कोर्ट ने इस बात को माना है कि सोहराबुद्दीन की मौत गोली लगने के कारण ही हुई थी. लेकिन इस बात का कोई सबूत नहीं है. यही कारण है कि सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि सरकार और एजेंसियों ने इस केस की जांच करने में काफी मेहनत की, 210 गवाहों को पेश किया गया. लेकिन किसी भी तरह से सबूत सामने नहीं आ सके. जज ने फैसला सुनाते हुए कहा कि असहाय हैं.

बताते चलें कि 2005-06 के दौरान हुए इस एनकाउंटर में इस कथित गैंगस्टर सोहराबुद्दीन और तुलसीराम प्रजापति के मारे जाने से राजनीति काफी गर्मा गई थी. अब 13 साल बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया. इस मामले की आखिरी बहस 5 दिसंबर को खत्म हुई थी.

इस मामले में कुल 37 लोगों को आरोपी बनाया गया था, जबकि 2014 में 16 लोगों को बरी कर दिया गया था. बरी किए गए लोगों में भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह (तत्कालीन गृह मंत्री), पुलिस अफसर डी. जी. बंजारा जैसे बड़े नाम शामिल हैं. ये मामला पहले गुजरात में चल रहा था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इसे मुंबई ट्रांसफर कर दिया गया था.

गौरतलब है कि अभियोजन पक्ष का आरोप था कि सोहराबुद्दीन शेख का संबंध आतंकी संगठन से था और वह किसी बड़ी साजिश के तहत काम कर रहा था. सोहराबुद्दीन शेख का एनकाउंटर 2005 में हुआ था. इस मामले की जांच गुजरात में चल रही थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि गुजरात में इस केस को प्रभावित किया जा रहा है, इसलिए 2012 में इसे मुंबई ट्रांसफर कर दिया गया था.

इस मामले की सुनवाई पहले जज उत्पत कर रहे थे, हालांकि बाद में उनका ट्रांसफर कर दिया गया. उनके बाद इस मामले की सुनवाई जज बृजगोपाल लोया कर रहे थे, नियुक्ति के कुछ समय बाद ही उनकी मौत हो गई थी. जिसके बाद कुछ समय के लिए इस केस में मीडिया रिपोर्टिंग पर बैन लगाया था.

ये था पूरा मामला
गुजरात पुलिस ने नवंबर 2005 में सोहराबुद्दीन शेख के मुठभेड़ में मारे जाने का दावा किया था। पुलिस का कहना था कि उसके संबंध लश्‍कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों से थे और वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जो उस वक्‍त गुजरात के मुख्‍यमंत्री थे, की हत्‍या की साजिश कर रहा था।

वहीं सीबीआई ने कहा कि कथित गैंगस्‍टर सोहराबुद्दीन शेख 22 नवंबर, 2005 को अपनी पत्‍नी कौसर बी और सहयोगी तुलसीराम प्रजापति के साथ हैदराबाद से महाराष्‍ट्र के सांगली जा रहा था, जब गुजरात पुलिस ने उन्‍हें एक बस से अगवा कर लिया। सीबीआई के मुताबिक, चार दिन बाद 26 नवंबर, 2005 को सोहराबुद्दीन की अहमदाबाद के पास हत्‍या कर दी गई। इसके तीन दिन बाद 29 नवंबर को उसकी पत्‍नी कौसर बी, जो कथित तौर पर लापता हो गई थी, की बनासकांठा में रेप के हत्‍या हत्‍या कर दी गई और उसके शव को ठिकाने लगा दिया गया।

जांच एजेंसी ने कहा कि इस घटना के करीब साल भर बाद 27 दिसंबर, 2006 को प्रजापति को गुजरात और राजस्थान पुलिस ने दोनों राज्‍यों की सीमा पर स्थित चापरी के नजदीक मार गिराया। वहीं, पुलिस ने दावा किया कि तुलसीराम प्रजापति को कोर्ट में सुनवाई के बाद अहमदाबाद से राजस्‍थान ले जाया जा रहा था, जब उसने भागने की कोशिश की और पुलिस पर गोली चला दी। इसके बाद पुलिस की ओर से आत्‍मरक्षा में की गई कार्रवाई में वह मारा गया।

इस मामले में सीबीआई ने 38 लोगों को नामजद किया, जिनमें बीजेपी अध्‍यक्ष अमित शाह भी थे। शाह उस वक्‍त गुजरात के गृह मंत्री थे। शाह के अलावे राजस्थान के तत्कालीन गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया, गुजरात पुलिस के पूर्व प्रमुख पी सी पांडे और गुजरात पुलिस के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी डीजी वंजारा का नाम भी आरोपियों में शामिल था। हालांकि बाद में ये सभी सबूतों के अभाव में बरी हो गए। अमित शाह को मामले से बरी करते हुए कोर्ट ने साफ कहा कि उनका नाम इस मामले में राजनीतिक कारणों से घसीटा गया। राजनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील इस मामले को सितंबर 2012 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर गुजरात से मुंबई स्‍थानांतरित किया गया।

मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन ने 210 गवाहों से पूछताछ की। सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष के करीब 92 गवाह मुकर गए।
अभियोजन पक्ष के दो गवाहों आजम खान और महेंद्र जाला ने बुधवार को याचिका दायर कर कोर्ट से उनसे दोबारा पूछताछ किए जाने की अपील की थी। आजम खान ने अपनी याचिका में कहा कि सोहराबुद्दीन शेख पर गोली चलाने के आरोपी और पूर्व पुलिस इंस्पेक्टर अब्दुल रहमान ने उसे धमकी दी थी कि अगर उसने मुंह खोला तो उसे झूठे मामले में फंसा दिया जाएगा। हालांकि कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी।

साभार- मीडिया इनपुट्स

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