इकाना अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम-लखनऊ अब अटलबिहारी बाजपेयी अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम के नाम से जाना जाएगा क्योंकि इस निमित्त महामहिम राज्यपाल महोदय ने सहर्ष अनुमति दे दी है। भारतीय जनता पार्टी सरकार को इस नामकरण हेतु बधाई एवं साधुवाद!
याद करिए वह सनातन परंपरा जिसमे घर आप बनवाते हैं और उसमें गृह प्रवेश की तिथि पुरोहित बताता है,शादी आप करते हैं और शादी का लग्न-मुहूर्त पुरोहित बताता है,बच्चा आप पैदा करते हैं और उसका नामकरण पुरोहित करता है, पुरखे आपके मरते हैं और उन्हें स्वर्ग भेजने का इंतजाम पुरोहित करता है। ऐसी मानसिक गुलामी पूरी दुनिया के किसी हिस्से में नही होगी।
यूपी में 05 साल तक सरकार पिछड़े वर्ग (जबकि पिछड़ा होने का भान इन्हें सरकार से हटने के बाद हुआ) के युवा इंजीनियर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जी की थी जिन्होंने एक से एक शानदार काम किये लेकिन उनका नामकरण सनातन परंपरा के तहत खुद न करके उसे हिंदुत्व के अलमबरदारों के जिम्मे छोड़ दिया।चूंकि ये युवा मुख्यमंत्री भक्त प्रह्लाद की तरह विष्णु को मानने वाले हैं।जब विष्णु को मानेगे तो विष्णु की परंपरा तो माननी ही पड़ेगी।विष्णु की परंपरा में नामकरण से लेकरगृह प्रवेश/शुभ लग्न-मुहूर्त बताने तक का सारा काम पुरोहित के जिम्मे होता है।विष्णु की परंपरा में फल पैदा करना जजमान का काम है और भोग लगाना पुरोहित का।इसी परंपरा का निर्वाह हमारे हुए युवा मुख्यमंत्री रहे अखिलेश यादव जी ने नामकरण का काम पुरोहितों के जिम्मे छोड़ दिया जिसको अब हिंदुत्व वादी लोग पूरा कर रहे हैं।
पिछड़े हैं तो पिछड़े रहेंगे ही।आप जब सनातन परंपरा में अपने बेटा-बेटी का नाम नही रख सकते थे तो अन्य संस्थानों का नाम आप कैसे रखेंगे, यह तो सरासर अपमान हो जाता वैष्णव धर्म का इसलिए आपने इकाना स्टेडियम हो या एक्सप्रेस वे, नाम न रख कर अपने धर्म का पालन ही किया हैं, कोई आलोचना करे तो करे।मैं तो इसे शानदार विष्णु भक्ति ही कहूंगा। प्रह्लाद की कोई जितनी न आलोचना करे पर वह महान हरिभक्त तो था ही। जय हो विष्णु भक्ति की!
याद रखिये, दोष आज नाम रखने वालों का नही है,दोष उनका है जिन्हें काम करने के बाद नाम रखने की फुर्सत न थी या जो लोग इन चीजों की अहमियत न समझते थे।जिन्हें इसकी अहमियत पता है वे तो इसे अंजाम तक पँहुचाएँगे ही। पुनः भाजपा के लोगो को इस नामकरण हेतु बधाई!
(यह आर्टिकल चंद्रभूषण सिंह यादव की फेसबुक से साभार लिया गया है. लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं.)
याद करिए वह सनातन परंपरा जिसमे घर आप बनवाते हैं और उसमें गृह प्रवेश की तिथि पुरोहित बताता है,शादी आप करते हैं और शादी का लग्न-मुहूर्त पुरोहित बताता है,बच्चा आप पैदा करते हैं और उसका नामकरण पुरोहित करता है, पुरखे आपके मरते हैं और उन्हें स्वर्ग भेजने का इंतजाम पुरोहित करता है। ऐसी मानसिक गुलामी पूरी दुनिया के किसी हिस्से में नही होगी।
यूपी में 05 साल तक सरकार पिछड़े वर्ग (जबकि पिछड़ा होने का भान इन्हें सरकार से हटने के बाद हुआ) के युवा इंजीनियर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जी की थी जिन्होंने एक से एक शानदार काम किये लेकिन उनका नामकरण सनातन परंपरा के तहत खुद न करके उसे हिंदुत्व के अलमबरदारों के जिम्मे छोड़ दिया।चूंकि ये युवा मुख्यमंत्री भक्त प्रह्लाद की तरह विष्णु को मानने वाले हैं।जब विष्णु को मानेगे तो विष्णु की परंपरा तो माननी ही पड़ेगी।विष्णु की परंपरा में नामकरण से लेकरगृह प्रवेश/शुभ लग्न-मुहूर्त बताने तक का सारा काम पुरोहित के जिम्मे होता है।विष्णु की परंपरा में फल पैदा करना जजमान का काम है और भोग लगाना पुरोहित का।इसी परंपरा का निर्वाह हमारे हुए युवा मुख्यमंत्री रहे अखिलेश यादव जी ने नामकरण का काम पुरोहितों के जिम्मे छोड़ दिया जिसको अब हिंदुत्व वादी लोग पूरा कर रहे हैं।
पिछड़े हैं तो पिछड़े रहेंगे ही।आप जब सनातन परंपरा में अपने बेटा-बेटी का नाम नही रख सकते थे तो अन्य संस्थानों का नाम आप कैसे रखेंगे, यह तो सरासर अपमान हो जाता वैष्णव धर्म का इसलिए आपने इकाना स्टेडियम हो या एक्सप्रेस वे, नाम न रख कर अपने धर्म का पालन ही किया हैं, कोई आलोचना करे तो करे।मैं तो इसे शानदार विष्णु भक्ति ही कहूंगा। प्रह्लाद की कोई जितनी न आलोचना करे पर वह महान हरिभक्त तो था ही। जय हो विष्णु भक्ति की!
याद रखिये, दोष आज नाम रखने वालों का नही है,दोष उनका है जिन्हें काम करने के बाद नाम रखने की फुर्सत न थी या जो लोग इन चीजों की अहमियत न समझते थे।जिन्हें इसकी अहमियत पता है वे तो इसे अंजाम तक पँहुचाएँगे ही। पुनः भाजपा के लोगो को इस नामकरण हेतु बधाई!
(यह आर्टिकल चंद्रभूषण सिंह यादव की फेसबुक से साभार लिया गया है. लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं.)