जमाल खाशोग्गी की मौत के भारत के लिए क्या मायने हैं?

Written by Girish Malviya | Published on: October 20, 2018
विश्व राजनीति में एक बेहद गंभीर संकट मंडरा रहा है, कल अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने कहा है कि वो मानते हैं कि लापता सऊदी पत्रकार जमाल ख़ाशोग्गी की मौत हो गई है.



मूल रूप से सऊदी नागरिक जमाल ख़ाशोग्गी  अमेरिका के वैध स्थाई नागरिक थे और वॉशिंगटन पोस्ट के लिए काम करते थे एक वक़्त जमाल सऊदी के शाही परिवार के सलाहकार हुआ करते थे। लेकिन धीरे-धीरे वो सऊदी सरकार के प्रखर आलोचक बन गए और साल 2017 में वह देश छोड़कर अमेरिका चले गए थे और वॉशिंगटन पोस्ट अख़बार के लिए लिखना शुरू किया। 

अपने पहले ही लेख में उन्होंने कहा कि मुझे और कई दूसरे लोगों को गिरफ़्तारी के डर से देश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। उन्होंने दावा किया है कि नए क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से असहमति जताने वालों पर कार्रवाइयां हुईं और दर्जनों लोगों को हिरासत में लिया गया

जमाल ख़ाशोग्गी उस दिन से गुमशुदा हैं जिस दिन वो अपने तलाक़ के दस्तावेज़ों लेने के लिए इस्तांबुल स्थित सऊदी के वाणिज्य दूतावास गए थे। वो तलाक़ लेकर तुर्की की ही एक महिला से शादी करना चाहते थे। उनकी मंगेतर हदीजे जेनगीज़ ने कहा कि वो दूतावास के बाहर खड़ी घंटों जमाल के वापस आने का इंतज़ार करती रहीं, लेकिन वो बाहर नहीं आए, सबसे पहले तुर्की की सरकार ने ही यह आरोप लगाया था कि सऊदी दूतावास के अंदर ही जमाल ख़ाशोग्गी की हत्या कर दी गई है लेकिन तब सऊदी सरकार ने इन आरोपों को झूठा करार दिया लेकिन अब पता चला है सऊदी अरब से लगभग 15 लोग ख़ाशोग्गी के सऊदी दूतावास पहुँचने से कुछ घंटे पहले ही दो प्राइवेट जेट के ज़रिए इस्तांबुल पहुँचे थे और उसी दिन उन्हीं विमानों से लौट गए थे इन्हीं खुफिया अधिकारियों पर हत्या का शक जताया जा रहा है.

कल अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने ये भी कहा कि अगर ये साबित हुआ कि ख़ाशोग्गी की हत्या में सऊदी अरब की भूमिका है तो इसके 'बहुत गंभीर' परिणाम होंगे.

इसके पहले अमरीकी वित्त मंत्री स्टीवन मनूशिन और ब्रिटेन के व्यापार मामलों के मंत्री लियम फॉक्स ने कहा कि वो सऊदी अरब में होने वाले निवेश सम्मेलन में हिस्सा नहीं लेंगे.

कुछ खबरें ऐसी भी आई है जिससे पता चलता है सऊदी अरब शासन स्वयं एक रिपोर्ट तैयार कर रहा है जिसमें वह स्वीकार करेगा कि पत्रकार जमाल ख़ाशोग्गी की मौत इस्तांबुल स्थित सऊदी वाणिज्य दूतावास में पूछताछ के दौरान हुई.

अब इस संकट के मायने भारत के संदर्भ में क्या हो सकते है ? यह समझना बेहद जरूरी है क्योंकि सऊदी अरब कच्चे तेल का सबसे बड़ा निर्यातक है. दोनों देशों के बीच चल रहे इस विवाद से वैश्विक तेल बाजार पर भी असर देखने को मिल सकता है, जानकारों का कहना है कि आने वाले दिनों में तेल की कीमतें इस बात पर भी निर्भर करेगा. यदि यह विवाद आगे आैर बड़ा होता है तो तेल का भाव 85 डाॅलर प्रति बैरल के पार जाना आप तय मानिए.

पुनश्च : अभी खबर आई है कि चौतरफा दबाव और करीब दो हफ्ते तक इनकार करते रहने के बाद आखिरकार सऊदी अरब ने मान लिया है कि लापता पत्रकार जमाल ख़ाशोग्गी की मौत हो चुकी है.

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