चार साल पहले नहर और एनिकट के लिए 351.56 लाख का बजट स्वीकृत हुआ, 177.34 में एनिकट तैयार हुआ जो पहली बारिश में ही बह गया. नाहर बनाने का काम अब अभी अधूरा है. किसानों को अधिग्रहित ज़मीन का मुआवज़ा अब तक नहीं मिला है.
मुख्यमंत्री रमन सिंह अपने 15 बरस के कार्यकाल का बखान करने के लिए इन दिनों विकास यात्रा में मशगूल हैं. छत्तीसगढ़ के चौक चौराहों और सरकारी रथों पर चस्पा विज्ञापनों में जनता उलझी रहे इसकी कोशिश तो भरपूर हो रही है, पर यहां घोटाले भी कम नहीं हैं, एक शान्त हो तो दूसरा चीख़ उठता है.
विकास यात्रा के बीच छत्तीसगढ़ के कांकेर ज़िले में सिंचाई विभाग का घोटाला सामने आया है. ज़िला मुख्यालय से कुछ ही दूरी पर स्थित सिंगारभांट और मोह्पुर गाँव के बीच हटकुल नदी पर नहर और एनिकट के संयुक्त निर्माण हेतु चार साल पहले 351.56 लाख का बजट स्वीकृत किया गया था. इस एनिकट से 505 एकड़ के इलाके को सींचने का लक्ष्या रखा गया था. यहां के गांव वालों ने अखबारों से बात करते हुए बताया कि सिंचाई विभाग के अफसरों ने किसानों की अनुमति और मशविरे के बगैर ही नहर का खांका तैयार कर लिया. जिन इलाकों में सिंचाई की ज़रुरत है वहां ये नाहर पहुंच ही नहीं रही है. किसानों ने विरोध किया तो आनन फानन में 177.34 लाख के बजट से एक गुणवत्ताहीन एनिकट बना दिया गया. जमकर कमीशनखोरी चली. घोटाले की हद ये कि बिना नींव का ही एनिकट बना दिया गया जिसके नीचे से पानी रिसता रहता था. कई जगहों पर लोहे की छड़ के बिना ही दीवार बनाई गई थी.
इस बार प्रदेश में हुई तेज़ बारिश के चलते हटकुल नदी के इस एनिकट में पहली बार जलभराव हुआ जिसे ये गुणवत्ताहीन एनिकट सह नहीं पाया और आधा एनिकट बारिश के साथ ही बह गया. एनिकट के साथ जो नहर बननी थी वो अब तक पूरी नहीं हुई है. जिन किसानों की भूमि अधिग्रहित की गई थी उनमे से कईयों को चार साल बाद तक भी मुआवज़ा नहीं मिल पाया है.
छत्तीसगढ़ की विकासयात्रा का फीता काटने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह स्वयं आए थे. घपले घोटालों के बीच विकास यात्रा का रथ आँखों में पट्टी बांधे चला जा रहा है. आँखों पर इस पट्टी की ही करामत है शायद, के अमित शाह 50 सालों तक बीजेपी की जीत का दावा कर रहे हैं.