सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, ‘समलैंगिकता’ अब भारत में अपराध नहीं

Written by Sabrangindia Staff | Published on: September 7, 2018
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को समलैंगिकता पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है जिसके मुताबिक भारत में अब समलैंगिक यौन संबंध अपराध की श्रेणी से बाहर होंगे। कोर्ट में आईपीसी की धारा 377 को चुनौती दी गई थी जिसके अनुसार समलैंगिकता को अपराध माना जाता था। 



आईपीसी की धारा 377 के मुताबिक जो कोई भी किसी पुरुष, महिला या पशु के साथ प्रकृति की व्यवस्था के खिलाफ सेक्स करता है, तो इस अपराध के लिए उसे 10 वर्ष की सजा या आजीवन कारावास से दंडित किए जाने का प्रावधान था। यह अपराध संज्ञेय अपराध की श्रेणी में था और यह गैर जमानती भी था।

कोर्ट के इस फैसले के बाद भारत दुनिया का 126 वां ऐसा देश बन गया है जहां समलैंगिक यौन संबंधों को वैधता दी गई है। 

बता दें कि दुनिया के कई देशों में अब भी समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी में रखा जाता है। यहां तक कई देशों में इसके लिए मौत की सजा तक दी जाती है। 

दुनिया में कुल 13 देश ऐसे हैं जहां गे सेक्स को लेकर मौत की सजा देने का प्रावधान है। यमन, सुडान, ईरान, सऊदी अरब, जैसे देशों में समलैंगिक रिश्ता बनाने पर मौत की सजा दी जाती है। सोमालिया और नाइजीरिया के कुछ भागों में भी इसके लिए मौत की सजा का प्रावधान है।

अफगानिस्तान, पाकिस्तान, कतर में भी मौत की सजा का प्रावधान है, मगर इसे लागू नहीं किया जाता है। इंडोनेशिया समेत कुछ देशों में गे सेक्स के लिए कोड़े मारने की सजा दी जाती है। जबकि अन्य कई देशों में भी इसे अपराध की श्रेणी में रखा गया है और कारावास की सजा दी जाती है।

कई ऐसे देश हैं जहां समलैंगिकता कानूनी तौर पर मान्य है। दुनिया के 26 देश ऐसे हैं जो समलैंगिकता को कानूनन सही करार दे चुके हैं।



नीदरलैंड ने सबसे पहले दिसंबर 2000 में समलैंगिक शादियों को कानूनी तौर पर सही करार दिया था। 2015 में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने भी समलैंगिक शादियों को वैधता प्रदान की थी।

नॉर्वे, स्वीडन, बेल्जियम, कनाडा, स्पेन, दक्षिण अफ्रीका, आइसलैंड, पुर्तगाल, अर्जेंटीना, डेनमार्क, उरुग्वे, न्यूजीलैंड, फ्रांस, ब्राजील, इंग्लैंड, स्कॉटलैंड, फिनलैंड, आयरलैंड, ग्रीनलैंड, कोलंबिया, जर्मनी, लग्जमबर्ग, माल्टा में भी समलैंगिक शादियों को मान्यता प्राप्त है।

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