छत्तीसगढ़ से प्रकाशित पत्रिका अखबार के आज के पहले पन्ने पर ये ख़बर है कि यहां के भिलाई शहर में बीती 31 जुलाई से 30 अगस्त के बीच यानि एक महीने के अन्दर डेंगू रोग से 36 लोगों की मौत हो चुकी है. ये सिर्फ़ एक शहर का आंकड़ा है, प्रदेश के बाकी इलाकों में भी डेंगू से होने वाली मौतों की संख्या लगातार बढ़ रही है. इन 36 मौतों के बाद प्रदेश के स्वस्थ्य मंत्री अजय चंद्राकर की नींद टूटी और उन्होंने वहां के अस्पतालों का दौरा किया, कहा कि मौतें बर्दाश्त नहीं की जाएंगी. वहां की व्यवस्था-अव्यवस्था उन्हें समझ में आई या नहीं ये तो मालूम नहीं पर उनके लौटने के चार घंटे के अन्दर ही अस्पताल में डेंगू से एक और मौत हुई और उसके 12 घंटे के अन्दर फिर एक मौत हुई. जिन दो लड़कियों की मौत हुई उनमे से एक को डेंगू की रिपोर्ट पॉज़िटिव आने के बाद भी अस्पताल में भर्ती करने की बजाए घर भेज दिया गया था. हालत बिगड़ने पर परिजन उसे फिर अस्पताल लाए जहां उसकी मौत हो गई.
छत्तीसगढ़ की स्वस्थ्य सेवाएं कितनी बीमार हैं और यहां का स्वस्थ्य महकमा मरीज़ों के प्रति कितना लापरवाह है इसका अहसास यहां के किसी भी सरकारी अस्पताल या मेडिकल कॉलेज में कदम रखते ही हो जाता है.
बीजेपी की सरकार को विज्ञापन वाली सरकार यूं ही नहीं कहते हैं जिस 20 पन्नों के अखबार की ये ख़बर है उसके 19 पन्नों पर प्रदेश की बीजेपी सरकार की उपलब्धियों से भरे विज्ञापन छपे हैं. उससे भी बड़ी मज़े की बात ये कि जिस पन्ने पर भिलाई शहर में डेंगू से हुई मौत की ख़बर छपी है उसी पन्ने पर छपे विज्ञापन में प्रधानमन्त्री और मुख्यमंत्री ठहाका मारते दिख रहे हैं और उसी भिलाई शहर के विकास का हवाला देकर बस्तर में विकास करने का वादा कर रहे हैं.