विकीलीक्स का दावा- आपके आधार डेटा में सेंध लगा रही अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए

Written by Girish Malviya | Published on: August 22, 2018
आपके आधार की जानकारी में अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने सेंध लगा दी है .....कल एडवर्ड स्नोडेन ने जो बोला है वह बहुत खतरनाक संकेत है. दरअसल विकिलीक्स ने यह पिछले साल ही बता दिया था कि सीआईए ने जिस कंपनी की मदद से आधार डाटा को हैक किया है उसी कंपनी ( क्रॉसमेच ) की इंडियन इकाई ने, आधार कार्ड बनाने वाली संस्था UIDIA को बॉयोमेट्रिक डाटा लेने के लिए सॉफ्टवेयर तैयार किया है एडवर्ड स्नोडेन ने यह पहले भी कहा है कि इस संबंध में अगर किसी को गिरफ्तारी करना चाहिए तो वह UIDAI ही है.



आपको शायद यकीन नही हो रहा होगा लेकिन यदि आप ध्यान से देखेंगे तो इस पोस्ट में यह पूरा खुलासा किया जा रहा है कि किस तरह ई कॉमर्स ओर डिजिटल पेमेंट से जुड़ी मल्टीनेशनल कम्पनियों ने आधार को अपना मुख्य टूल बनाते हुए मोदी सरकार पर आधार को अनिवार्य करने का दबाव बनवाया है.

दरअसल इस मॉडर्न ई-कॉमर्स का सिद्धांत वाक्य हैं कि जो जानकारियों/डाटा पर नियंत्रण रख रहा हैं, वह दुनिया के व्यापार और व्यवहार को नियंत्रित करेगा ओर ई-कॉमर्स एकाधिकार और उपनिवेशवाद का बेहद ख़तरनाक ज़रिया है.

कल ई कॉमर्स को लेकर एक रिपोर्ट का हवाला दिया जा रहा है उस रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल पहली शॉपिंग के बाद 5.4 करोड़ यूजर्स ने ऑनलाइन ट्रांजैक्शंस बंद कर दिए.

यह सर्वेक्षण किसने किया है यह जानना बेहद दिलचस्प है यह सर्वेक्षण ओमीडियार नेटवर्क द्वारा करवाया गया है और यही ओमीडियार नेटवर्क एक अमेरिकी कम्पनी आईडीसाइट को आधार कार्ड पर सर्वे करवाने के लिए फाइनेंस उपलब्ध कराता है ओर उस सर्वे में यह निष्कर्ष निकालकर दिखलाया जाता हैं कि 87 प्रतिशत लोग बैंकिंग और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए आधार की अनिवार्य लिंकिंग को स्वीकार करते हैं, इस सर्वे में आईडीसाइट के मुख्य सर्वेक्षण कर्ता रोनाल्ड अब्राहम यह दर्शाते हैं कि "यूआईडीएआई सर्वर से अवैध तौर पर डेटा की चोरी नहीं हुई है बल्कि अन्य सर्वर से हुई है.

आखिरकार इस तरह के दोनों सर्वे में एक ही कम्पनी का इन्वॉल्वमेंट होना क्या बताता है ?

ओमीडियार नेटवर्क वही है जिसका नाम पनामा पेपर्स में सामने आया था उस खुलासे में यह भी पता चला था कि जयन्त सिन्हा 2009 से 2013 तक ओमीडियार नेटवर्क में डायरेक्टर रह चुके हैं जो आज मोदी सरकार में वित्त एवं विमानन राज्यमंत्री बनकर बैठे हैं यही जयन्त सिन्हा ओमेदियार नेटवर्क के अधिकारी होते हुए भी बीजेपी से जुड़े थिंक टैंक इंडिया फाउंडेशन में निदेशक बने रहे, इंडिया फाउंडेशन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल के बेटे शौर्य डोवल की संस्था है जिसमे राम माधव जैसे लोग भी शामिल हैं.

यही जयंत सिन्हा ई-कामर्स में विदेशी निवेश की छूट की वकालत करते रहते थे जबकि उनकी पार्टी रिटेल सेक्टर में विदेशी निवेश को लेकर ज़ोरदार विरोध करने का नाटक करती थी ओर आज उन्होंने पिछले दरवाजे से ई कॉमर्स में विदेशी कम्पनियों को लाकर अपने नमक की कीमत अदा कर दी है.

ओमीडियार नेटवर्क पर फिलीपींस के राष्ट्रपति ने भी सीआईए से जुड़े होने और अपने देश के मीडिया की गतिविधियों में अनावश्यक हस्तक्षेप करने के आरोप लगाए हैं भारत मे सत्याग्रह ओर स्क्रॉल डॉट इन मे ओमीडियार नेटवर्क का पैसा लगा है.

एक ओर तथ्य पर आप गौर फरमाएं कि जब नोटबन्दी हुई थी तो उसके लगभग 1 महीना पहले यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी ऑफ इंटरनेशनल डेवलेपमेंट (यूएसएआईडी) ने ‘कैटलिस्टः कैशलेस पेमेंट पार्टनरशिप’ की स्थापना किए जाने का ऐलान किया था इस संस्था ने डिजिटल पेमेंट के संदर्भ में भारत के वित्त मंत्रालय से साझेदारी की है यह खुलासा जीरोहेज डॉट कॉम पर जॉर्ज्स वॉशिंग्टन ने अपने ब्लॉग में किया था.

इसकी वेबसाइट यदि आप देखेंगे तो यह पाएंगे कि सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और पेमेंट सेवा मुहैया कराने वाले क्षेत्रों के लोग शामिल हैं। वे डिजिटल पेमेंट्स या फिर उससे जुड़े डेटा को तैयार कर रुपए कमाना चाहते हैं, ओमीडियार नेटवर्क भी इसमे शामिल हैं.
ई कॉमर्स कंपनिया के लिए सरकार द्वारा अधिकृत डाटा ईंधन के मानिंद काम करता है और इसे वह किसी भी कीमत पर हासिल करना चाहती है.

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