14 जुलाई को उत्तर प्रदेश मान्यताप्राप्त संवाददाता समिति के एक गुट के अध्यक्ष हेमंत तिवारी ने अपनी फ़ेसबुक दीवार पर एक ‘अद्भुत दिन’ के बारे में लिखा–
“पूर्वाह्न में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और डिप्टी सीएम केशव मौर्य के साथ आम की दावत, दोपहर में गोविंदाचार्य जी के साथ सुस्वादु भोजन और रात्रिभोज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ। गुरुवार भोजनोजित व्यस्तता में गुजरा। विचार विनिमय नितांत अभीष्ट।अद्भुत दिन । ”
इसके साथ ही उन्होंने कई तस्वीरें भी पोस्ट कीं जिससे सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से उनकी निकटता साबित होती है। गोविंदाचार्य से भी।
यह पोस्ट बताती है कि यूपी के पत्रकार नेताओं का सत्ताधीशों से कैसा राब्ता है। अब पहुँच दस्तरख़्वान तक है जहाँ राजनीति और पत्रकारिता की स्वादेंद्रियों का फ़र्क़ मिट जाता है।
बहरहाल, हफ़्ते भर के अंदर ही दूसरी ख़बर आ गई। पता चला है कि 20 जुलाई को विधानसभा की कार्यवाही की कवरेज में जुटे पत्रकारों को कैंटीन से धक्के मार कर निकाल दिया गया। उनके हाथ से प्लेटें तक छीन ली गईं।
आख़िर सरकार पत्रकार नेताओं और पत्रकारों के साथ व्यवहार में फ़र्क़ क्यों कर रही है ? क्या इस व्यवहार का कोई रिश्ता पत्रकार नेताओ के दस्तरख़्वान तक पहुँचने से भी है ? सोचिए..
नीचे इस सिलसिले में एक ख़बर है जो shagunewsindia.com से साभार ली जा रही है। मुख्य तस्वीर के लिए भी हैं हम आभारी हैं।
लखनऊ : विधानसभा में कुछ मंत्रियों के इशारे पर पत्रकारों के साथ इस दशक का सबसे बुरा बर्ताव हुआ। विधानसभा में पत्रकारों के हाथों से भोजन की थालियां छिनवा ली गई और आधा दर्जन से अधिक वरिष्ठ पत्रकारों जिसमें महिलाएं भी शामिल थी। पत्रकारों के हाथ पकड़कर उद्दंडता पूर्वक विधानसभा रक्षकों व मार्शलों ने हाथ से थाली छिनकर सभी पत्रकारों को कैंटीन से बाहर खदेड़ दिया।
धक्के मारकर कैंटीन से बाहर खदेड़ा गया पत्रकारों को
पत्रकारों के साथ इस तरह का बर्ताव करते हुए नियम कानून का हवाला देते हुए धक्के मार-मारकर कैंटीन से बाहर खदेड़ा गया और जमकर अभद्रता की गई, जिसको लेकर एक तरफ तो पत्रकारों में काफी रोष है तो वहीं दूसरी तरफ वहां मैजूद अधिकारी पत्रकारों की इस दूर्दशा पर हंसते रहे। नाराज़ पत्रकारों ने संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना का घेराव किया। बताया जाता है कि इधर कई दिनों से विधानसभा की हो रही रिपोर्टिंग से अफसर और मार्शल नाराज थे। फिलहाल मामला विधानसभा अध्य्क्ष तक पहुंच चुका है।
पत्रकारों ने भोजन करने से किया इंकार
यूपी वास्तव में इन दिनों उत्तम प्रदेश बन रहा है, ये उत्तम प्रदेश कैसे बन रहा है आज और कल की दो घटनाओं से समझा जा सकता है, ये दोनों घटनाएं लोकतंत्र के चौथे स्तंभ से जुड़ी हुई है….पहली घटना आज विधानसभा में चल रहे सत्र के दौरान घटी..दशकों से सत्र के दौरान ये व्यवस्था रही है कि जब भी विभागीय बजट पेश होते है सदन के सदस्यों व पत्रकार को सरकार की ओर से भोजन की व्यवस्था होती है…लेकिन आज बजट के बाद जब कैंटीन में पत्रकार भोजन के लिये गये तो विधानसभा के मार्शलों ने उन्हें खाना खाने से रोका…चूँकि खाने पर रोक की कोई पूर्व सूचना नही थी। इसलिये कई पत्रकारों ने प्लेटे उठा ली थी। उनसे प्लेटें तक छीन ली गई..हलांकि बाद में घटना की जानकारी होने पर संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना आये उन्होंने खेद प्रकट किया। लेकिन इस घटना से अपमानित सभी पत्रकारों ने भोजन करने से इंकार कर दिया।
सोशल मीडिया पर पत्रकार व पत्रकार संगठन कर रहे विरोध
तुम्हें पत्रकारिता की कसम !
पत्रकार संगठनो !!! ऐलान करो..आह्वान करो.. अपील करो.. अहद करो :-
कवरेज के दौरान पत्रकार फ्री के पत्तल नही चाटें
जो खाने पर टूटें, उन्हे पत्रकार ना माना जाये
पठनीय सामग्री जरूर लें। गिफ्ट, बैग, फाइल, फोल्डर या कोई भी डग्गा ना लें
डग्गा बटोरने और खाने-पीने वाले कथित पत्रकारो को चिन्हित करो।
इनका बहिष्कार करो। इन्हे फर्जी साबित करो
इससे लालची/फर्जी/डग्गामार कथित पत्रकारो की भीड़ भी छट जायेगी।
कार्यक्रमो, प्रेस मीट, प्रेस वार्ताओ के सरकारो गैर सरकारी आयोजको को पत्र लिखें। जो खाने-पीने या गिफ्ट का इन्तजाम करेगा, सम्पूर्ण मीडिया कर्मी उसका बहिष्कार करेंगे।
पत्रकार संगठनो, वरिष्ठ पत्रकारों, जिम्मेदार और सक्रिय पत्रकारों, विधानसभा सत्र के दौरान तुम्हारी बिरादरी के लोगो के हाथो से खाने की प्लेट छीन ली गयीं। इससे ज्यादा अपमान क्या होगा! गलती सरकारी तंत्र की ही नहीं आपकी बिरादरी के बेगैरत लोगों की भी है। प्रायश्चित करने का एक ही तरीका है।
विभिन्न पत्रकार संगठनो ऐलान करो- विधानसभा मे प्लेट छीनने की घटना के बाद कोई भी पत्रकार कवरेज के दौरान कुछ-खायेगा नही। किसी प्रेस कांफ्रेंस या कही भी कवरेज के लिये आये पत्रकार ना सूक्ष्म जलपान ना विशाल जलपान, ना रात्रिभोज ना दोपहर भोज, कुछ भी नही करेगे।
कोई गिफ्ट, फाइल, बैग, किसी किस्म के डग्गे या खाने-पीने की परम्परा खत्म हो। इसे असंवैधानिक माना जाये। इसे पत्रकारिता के उसूल के खिलाफ माना जाये। इसे रिश्वत माना जाये।
पत्रकार संगठोनो यदि तुम ये अहद नही करोगे। ये अपील और आह्वान नही करोगे, तो तुम्हे पत्रकारिता और पत्रकारों के इस अशोभनीय अपराध का जिम्मेदार माना जायेगा। गिफ्ट और खाने-पीने को लेकर पत्रकारिता की धूमिल होती छवि का गुनाहगार माना जायेगा। ये तुम्हाया फर्ज भी है और जिम्मेदारी भी।
-नवेद शिकोह
Courtesy: Media Vigil
“पूर्वाह्न में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और डिप्टी सीएम केशव मौर्य के साथ आम की दावत, दोपहर में गोविंदाचार्य जी के साथ सुस्वादु भोजन और रात्रिभोज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ। गुरुवार भोजनोजित व्यस्तता में गुजरा। विचार विनिमय नितांत अभीष्ट।अद्भुत दिन । ”
इसके साथ ही उन्होंने कई तस्वीरें भी पोस्ट कीं जिससे सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से उनकी निकटता साबित होती है। गोविंदाचार्य से भी।
यह पोस्ट बताती है कि यूपी के पत्रकार नेताओं का सत्ताधीशों से कैसा राब्ता है। अब पहुँच दस्तरख़्वान तक है जहाँ राजनीति और पत्रकारिता की स्वादेंद्रियों का फ़र्क़ मिट जाता है।
बहरहाल, हफ़्ते भर के अंदर ही दूसरी ख़बर आ गई। पता चला है कि 20 जुलाई को विधानसभा की कार्यवाही की कवरेज में जुटे पत्रकारों को कैंटीन से धक्के मार कर निकाल दिया गया। उनके हाथ से प्लेटें तक छीन ली गईं।
आख़िर सरकार पत्रकार नेताओं और पत्रकारों के साथ व्यवहार में फ़र्क़ क्यों कर रही है ? क्या इस व्यवहार का कोई रिश्ता पत्रकार नेताओ के दस्तरख़्वान तक पहुँचने से भी है ? सोचिए..
नीचे इस सिलसिले में एक ख़बर है जो shagunewsindia.com से साभार ली जा रही है। मुख्य तस्वीर के लिए भी हैं हम आभारी हैं।
विधानसभा में पत्रकारों के हाथों से भोजन की थालियां छिनवा ली, मार्शलों ने सभी पत्रकारों
को कैंटीन से बाहर खदेड़ा
लखनऊ : विधानसभा में कुछ मंत्रियों के इशारे पर पत्रकारों के साथ इस दशक का सबसे बुरा बर्ताव हुआ। विधानसभा में पत्रकारों के हाथों से भोजन की थालियां छिनवा ली गई और आधा दर्जन से अधिक वरिष्ठ पत्रकारों जिसमें महिलाएं भी शामिल थी। पत्रकारों के हाथ पकड़कर उद्दंडता पूर्वक विधानसभा रक्षकों व मार्शलों ने हाथ से थाली छिनकर सभी पत्रकारों को कैंटीन से बाहर खदेड़ दिया।
धक्के मारकर कैंटीन से बाहर खदेड़ा गया पत्रकारों को
पत्रकारों के साथ इस तरह का बर्ताव करते हुए नियम कानून का हवाला देते हुए धक्के मार-मारकर कैंटीन से बाहर खदेड़ा गया और जमकर अभद्रता की गई, जिसको लेकर एक तरफ तो पत्रकारों में काफी रोष है तो वहीं दूसरी तरफ वहां मैजूद अधिकारी पत्रकारों की इस दूर्दशा पर हंसते रहे। नाराज़ पत्रकारों ने संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना का घेराव किया। बताया जाता है कि इधर कई दिनों से विधानसभा की हो रही रिपोर्टिंग से अफसर और मार्शल नाराज थे। फिलहाल मामला विधानसभा अध्य्क्ष तक पहुंच चुका है।
पत्रकारों ने भोजन करने से किया इंकार
यूपी वास्तव में इन दिनों उत्तम प्रदेश बन रहा है, ये उत्तम प्रदेश कैसे बन रहा है आज और कल की दो घटनाओं से समझा जा सकता है, ये दोनों घटनाएं लोकतंत्र के चौथे स्तंभ से जुड़ी हुई है….पहली घटना आज विधानसभा में चल रहे सत्र के दौरान घटी..दशकों से सत्र के दौरान ये व्यवस्था रही है कि जब भी विभागीय बजट पेश होते है सदन के सदस्यों व पत्रकार को सरकार की ओर से भोजन की व्यवस्था होती है…लेकिन आज बजट के बाद जब कैंटीन में पत्रकार भोजन के लिये गये तो विधानसभा के मार्शलों ने उन्हें खाना खाने से रोका…चूँकि खाने पर रोक की कोई पूर्व सूचना नही थी। इसलिये कई पत्रकारों ने प्लेटे उठा ली थी। उनसे प्लेटें तक छीन ली गई..हलांकि बाद में घटना की जानकारी होने पर संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना आये उन्होंने खेद प्रकट किया। लेकिन इस घटना से अपमानित सभी पत्रकारों ने भोजन करने से इंकार कर दिया।
सोशल मीडिया पर पत्रकार व पत्रकार संगठन कर रहे विरोध
तुम्हें पत्रकारिता की कसम !
पत्रकार संगठनो !!! ऐलान करो..आह्वान करो.. अपील करो.. अहद करो :-
कवरेज के दौरान पत्रकार फ्री के पत्तल नही चाटें
जो खाने पर टूटें, उन्हे पत्रकार ना माना जाये
पठनीय सामग्री जरूर लें। गिफ्ट, बैग, फाइल, फोल्डर या कोई भी डग्गा ना लें
डग्गा बटोरने और खाने-पीने वाले कथित पत्रकारो को चिन्हित करो।
इनका बहिष्कार करो। इन्हे फर्जी साबित करो
इससे लालची/फर्जी/डग्गामार कथित पत्रकारो की भीड़ भी छट जायेगी।
कार्यक्रमो, प्रेस मीट, प्रेस वार्ताओ के सरकारो गैर सरकारी आयोजको को पत्र लिखें। जो खाने-पीने या गिफ्ट का इन्तजाम करेगा, सम्पूर्ण मीडिया कर्मी उसका बहिष्कार करेंगे।
पत्रकार संगठनो, वरिष्ठ पत्रकारों, जिम्मेदार और सक्रिय पत्रकारों, विधानसभा सत्र के दौरान तुम्हारी बिरादरी के लोगो के हाथो से खाने की प्लेट छीन ली गयीं। इससे ज्यादा अपमान क्या होगा! गलती सरकारी तंत्र की ही नहीं आपकी बिरादरी के बेगैरत लोगों की भी है। प्रायश्चित करने का एक ही तरीका है।
विभिन्न पत्रकार संगठनो ऐलान करो- विधानसभा मे प्लेट छीनने की घटना के बाद कोई भी पत्रकार कवरेज के दौरान कुछ-खायेगा नही। किसी प्रेस कांफ्रेंस या कही भी कवरेज के लिये आये पत्रकार ना सूक्ष्म जलपान ना विशाल जलपान, ना रात्रिभोज ना दोपहर भोज, कुछ भी नही करेगे।
कोई गिफ्ट, फाइल, बैग, किसी किस्म के डग्गे या खाने-पीने की परम्परा खत्म हो। इसे असंवैधानिक माना जाये। इसे पत्रकारिता के उसूल के खिलाफ माना जाये। इसे रिश्वत माना जाये।
पत्रकार संगठोनो यदि तुम ये अहद नही करोगे। ये अपील और आह्वान नही करोगे, तो तुम्हे पत्रकारिता और पत्रकारों के इस अशोभनीय अपराध का जिम्मेदार माना जायेगा। गिफ्ट और खाने-पीने को लेकर पत्रकारिता की धूमिल होती छवि का गुनाहगार माना जायेगा। ये तुम्हाया फर्ज भी है और जिम्मेदारी भी।
-नवेद शिकोह
Courtesy: Media Vigil