नई दिल्ली। देशभर की सेंट्रल यूनिवर्सिटीज में सीट कटौती क्यों की गई, इसपर भारत सरकार का जवाब आ गया है। इस मामले पर छात्रों में गुस्से का माहौल है। छात्र लगातार इसके विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं। इस मामले पर राज्यसभा में डीपी त्रिपाठी ने सवाल पूछा। उन्होंने पूछा.. मानव संसाधन विकास मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे किः
(क) क्या जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में आगामी अकादमिक वर्ष से एम॰फिल॰/पीएच॰डी॰ की सीटों की संख्या कम करने के लिए विनियम बनाया गया है?
(ख) यदि हां, तो इस निर्णय के पीछे क्या कारण और उद्देश्य हैं?
(ग) क्या यह निर्णय विश्वविद्यालय अनुदान आयोग मानदंडों के भीतर है और संबंधित प्राधिकरण/मंत्रालय द्वारा इसका सत्यापन किया गया है?
इस मामले पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय में राज्य मंत्री डॉ. महेंद्र नाथ पाण्डेय का जवाब इस प्रकार है....
यूजीसी अधिनियम, 1956 के अनुसार विश्वमविद्यालय शिक्षा का संवर्धन एवं समन्वय, शिक्षण के मानकों का निर्धारण एवं अनुसरण, विश्वुविद्यालयों में परीक्षा एवं शोध कार्य की जिम्मेदारी यूजीसी की है। शोध की गुणवत्ता को बनाए रखने तथा अवमानक शोध डिग्रियों से बचने के लिए यूजीसी (एम.फिल/पीएच.डी डिग्री प्रदान करने के लिए न्यूरनतम मानक एवं प्रक्रिया) विनियम, 2016 अधिसूचित किया गया है।
यूजीसी (एम.फिल/पीएच.डी डिग्री प्रदान करने के लिए न्यूनतम मानक एवं प्रक्रिया) विनियम, 2016 अन्य बातों के साथ-साथ उच्चतर शिक्षा में गुणवत्तापपरक अकादमिक शोध के लिए अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराने हेतु एम.फिल/पीएच.डी कार्यक्रम में प्रवेश हेतु विस्तृत पात्रता मानदण्ड, ऐसे कार्यक्रम की अवधि, प्रवेश प्रक्रिया, शोध पर्यवेक्षक का आबंटन, पाठ्यक्रम की आवश्यककताओं, शोध परामर्श समिति का गठन आदि का निर्धारण करता है। ये विनियम अनिवार्य प्रकृति के हैं तथा सभी विश्वरविद्यालयों पर लागू होते हैं। तद्नुसार, जेएनयू ने यूजीसी विनियम, 2016 को अपनाया है तथा इन विनियमों को ध्यांन में रखते हुये शैक्षणिक वर्ष 2017-18 के लिए एम.फिल/पीएच.डी अध्ययन कार्यक्रमों में प्रवेश हेतु इन्हें विश्वविद्यालय के ई-विवरण पत्र में शामिल किया गया है।
Edited By- Bhavendra Prakash
Courtesy: National Dastak
(क) क्या जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में आगामी अकादमिक वर्ष से एम॰फिल॰/पीएच॰डी॰ की सीटों की संख्या कम करने के लिए विनियम बनाया गया है?
(ख) यदि हां, तो इस निर्णय के पीछे क्या कारण और उद्देश्य हैं?
(ग) क्या यह निर्णय विश्वविद्यालय अनुदान आयोग मानदंडों के भीतर है और संबंधित प्राधिकरण/मंत्रालय द्वारा इसका सत्यापन किया गया है?
इस मामले पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय में राज्य मंत्री डॉ. महेंद्र नाथ पाण्डेय का जवाब इस प्रकार है....
यूजीसी अधिनियम, 1956 के अनुसार विश्वमविद्यालय शिक्षा का संवर्धन एवं समन्वय, शिक्षण के मानकों का निर्धारण एवं अनुसरण, विश्वुविद्यालयों में परीक्षा एवं शोध कार्य की जिम्मेदारी यूजीसी की है। शोध की गुणवत्ता को बनाए रखने तथा अवमानक शोध डिग्रियों से बचने के लिए यूजीसी (एम.फिल/पीएच.डी डिग्री प्रदान करने के लिए न्यूरनतम मानक एवं प्रक्रिया) विनियम, 2016 अधिसूचित किया गया है।
यूजीसी (एम.फिल/पीएच.डी डिग्री प्रदान करने के लिए न्यूनतम मानक एवं प्रक्रिया) विनियम, 2016 अन्य बातों के साथ-साथ उच्चतर शिक्षा में गुणवत्तापपरक अकादमिक शोध के लिए अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराने हेतु एम.फिल/पीएच.डी कार्यक्रम में प्रवेश हेतु विस्तृत पात्रता मानदण्ड, ऐसे कार्यक्रम की अवधि, प्रवेश प्रक्रिया, शोध पर्यवेक्षक का आबंटन, पाठ्यक्रम की आवश्यककताओं, शोध परामर्श समिति का गठन आदि का निर्धारण करता है। ये विनियम अनिवार्य प्रकृति के हैं तथा सभी विश्वरविद्यालयों पर लागू होते हैं। तद्नुसार, जेएनयू ने यूजीसी विनियम, 2016 को अपनाया है तथा इन विनियमों को ध्यांन में रखते हुये शैक्षणिक वर्ष 2017-18 के लिए एम.फिल/पीएच.डी अध्ययन कार्यक्रमों में प्रवेश हेतु इन्हें विश्वविद्यालय के ई-विवरण पत्र में शामिल किया गया है।
Edited By- Bhavendra Prakash
Courtesy: National Dastak