नई दिल्ली। केंद्र सरकार की कथनी और करनी में फर्क गुरुवार को देखने में आया। जब यूजीसी ने देश भर के कई विश्वविद्यालयों में सोशल डिस्क्रिमिनेशन रिसर्च सेंटर्स को दिए जा रहे फंड में कटौती कर दी। देश भर में यूजीसी के फंड से इस तरह कई सेंटर चलाए जाते हैं। प्रधानमंत्री ने बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की 125 जयंती पर कहा था कि दलितों को आगे बढ़ने के लिए उनकी सरकार नई योजनाएं लागू करेगी।
टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने इन केंद्रों के फंड में कटौती कर दी। इन केंद्रों की स्थापना 11वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान की गई थी। वहीं 12वीं पंचवर्षीय योजना में इन केंद्रो को दोबारा रिन्यू किया गया। 13वीं पंचवर्षीय योजना में इन केंद्रों को रिन्यू किए जाने की उम्मीद की जा रही थी। यूजीसी ने तमाम विश्वविद्यालयों को सर्कुलर जारी करके कहा है कि इन केंद्रों को मिलने वाला फंड 31 मार्च से नहीं दिया जाएगा।
यूजीसी की अवर सचिव सुषमा राठौर को मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से मिले संदेश में कहा गया कि 12वीं पंचवर्षीय योजना के अंत में इन केंद्रों को कोई सहायता राशि नहीं दी जाएगी। 12वीं पंचवर्षीय योजना के बाद यूजीसी इस समावेशी नीति के लिए जिम्मेदार नहीं होगा। न ही यूजीसी द्वारा किसी मुद्दे पर विचार किया जाएगा।
यूजीसी और मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक ये आदेश उन सभी केंद्रों को भेज दिया गया है जिन्हें विश्वविद्यालय के रूप में विकसित नहीं किया जा सका है। इस मसले पर दिल्ली विश्वविद्यालय के अंबेडकरवादी और राजनीति विज्ञान के शिक्षक एन सुकुमार का कहना है कि बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर की विचारधारा मानने वाले दलित रिसर्चर्स की विडंबना है कि इन केंद्रों को बंद किया जा रहा है और इसके एवज में सरकार वैदिक शिक्षा पर फंड देगी। दिल्ली के जवाहर लाल विश्वविद्यालय में एक ऐसे ही सेंटर को बंद करने का आदेश दिया गया है।
Courtesy: National Dastak
टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने इन केंद्रों के फंड में कटौती कर दी। इन केंद्रों की स्थापना 11वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान की गई थी। वहीं 12वीं पंचवर्षीय योजना में इन केंद्रो को दोबारा रिन्यू किया गया। 13वीं पंचवर्षीय योजना में इन केंद्रों को रिन्यू किए जाने की उम्मीद की जा रही थी। यूजीसी ने तमाम विश्वविद्यालयों को सर्कुलर जारी करके कहा है कि इन केंद्रों को मिलने वाला फंड 31 मार्च से नहीं दिया जाएगा।
यूजीसी की अवर सचिव सुषमा राठौर को मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से मिले संदेश में कहा गया कि 12वीं पंचवर्षीय योजना के अंत में इन केंद्रों को कोई सहायता राशि नहीं दी जाएगी। 12वीं पंचवर्षीय योजना के बाद यूजीसी इस समावेशी नीति के लिए जिम्मेदार नहीं होगा। न ही यूजीसी द्वारा किसी मुद्दे पर विचार किया जाएगा।
यूजीसी और मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक ये आदेश उन सभी केंद्रों को भेज दिया गया है जिन्हें विश्वविद्यालय के रूप में विकसित नहीं किया जा सका है। इस मसले पर दिल्ली विश्वविद्यालय के अंबेडकरवादी और राजनीति विज्ञान के शिक्षक एन सुकुमार का कहना है कि बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर की विचारधारा मानने वाले दलित रिसर्चर्स की विडंबना है कि इन केंद्रों को बंद किया जा रहा है और इसके एवज में सरकार वैदिक शिक्षा पर फंड देगी। दिल्ली के जवाहर लाल विश्वविद्यालय में एक ऐसे ही सेंटर को बंद करने का आदेश दिया गया है।
Courtesy: National Dastak