इतिहास
November 5, 2018
रोजी रोटी हक की बातें जो भी मुंह पर लाएगा
कोई भी हो, निश्चय ही वह कम्युनिस्ट कहलायेगा।
ऐसा मैं नहीं कह रहा। यह तो स्पष्ट विचारों के धनी सीधे कथन वाले बाबा नागार्जुन दशकों पहले कह गए थे जो आज भी प्रासंगिक है। बिखरे बाल, बेतरतीब दाढ़ी, गहरी नीली आँखों, चेहरे पर झुर्रियां बस यही चेहरा बन जाता है आखों के सामने जब कोई बाबा नागार्जुन का नाम लेता है। आज उसी जन कवि बाबा नागार्जुन की...
October 25, 2018
ऐसा लगता है कि उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी नाम बदलने का अभियान चला रहे हैं। हाल में उन्होंने उत्तरप्रदेश के प्रसिद्ध शहर इलाहबाद का नाम बदलकर प्रयागराज करने की घोषणा की है। प्रयाग में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का संगम है और शायद इसी कारण उन्होनें हमारे शहरों के नाम से इस्लामिक शब्दों को हटाने के अभियान के तहत इस शहर का नाम बदलने का निर्णय लिया है। वैसे इलाहबाद का नाम...
September 1, 2018
ताकि लोकतंत्र के प्रेशर कूकर में विस्फोट न हो.
लाहौर,12 फ़रवरी 1983, विरोध रैली में कविता सुनते हुए हबीब जालिब. चित्र का श्रेय: मैमूना शिराज़ी के ट्विटर पोस्ट से.
भारत में आज जिस प्रकार से संविधान के सिपाहियों पर शिकंजे लगाए जा रहे हैं, और देश भर के बुद्धिजीवियों, लेखकों, कवियों, वकीलों तथा मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर बेबुनियाद इलज़ाम लगा कर गिरफ़्तार किया जा रहा है. ऐसे में हबीब जालिब जैसे...
August 24, 2018
जिस भेद-भाव ने एकलव्य से अंगूठे के रूप में उसका परिश्रम, उसकी प्रतिभा छीनी थी, क्या वह आज भी भारतीय समाज में व्यापक नहीं है? रोहित से लेकर कई दलित, प्रतिभावान युवक भारतीय विश्विद्यालयों में खुद को अकेला पाते है। अपने साथ वे न समाज को और न ही गुरु द्रोणाचार्य को खड़ा पाते है। ऐसे में कितने एकलव्य स्वयं ही अपना अस्तित्व मिटा देने पर मजबूर हो रहे है। एक युवा प्रतिभा द्वारा बनाई हुई...
July 27, 2018
करीब ढाई महीने की जद्दोजहद के बाद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने जिस नेता को राजस्थान में भाजपा की सरकार दोबारा बनवाने के लिए कमान सौंपने का निश्चय किया था, उसी नेता ने अब न केवल मॉब लिंचिंग का समर्थन कर दिया है, बल्कि इतिहास को लेकर ऐसा तथ्य भी गढ़ दिया है कि बड़े-बड़े इतिहासकार चकरा जाएंगे।
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बात राजस्थान भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष मदनलाल सैनी की है...
May 19, 2018
सर्वेश्वर दयाल सक्सेना, एक साहित्यकार कवि थे. इस वीडियो में मयंक सक्सेना इसी कवि के कई कविताएँ पढ़ कर सुना रहे हैं. यह कविताओं के नाम है; 'भेड़िए की आंखें सुर्ख हैं', 'गुर्राता है भेड़िया और' देश 'कागज पर बना नक्शा नहीं होता'.
April 28, 2018
केंद्र की मोदी और यूपी की योगी सरकार पर अब तक सरकारी संपत्तियों, प्रतीकों और सांस्कृतिक विरासत को भगवाकरण करने के आरोप लगते रहे हैं।ताजमहल का नाम बदलने की चर्चा भी कई बार सुर्खियों में रह चुकी है, लेकिन भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब देश की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर माने जाने वाले लाल किला को किसी कॉरपोरेट घराने ...
April 16, 2018
पिछले कुछ वर्षों से, सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा भारत के प्रथम प्रधानमंत्री और आधुनिक भारत के निर्माता जवाहरलाल नेहरु की विरासत को नज़रंदाज़ और कमज़ोर करने के अनवरत और सघन प्रयास किये जा रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों में उनका नाम लेने से बचा जा रहा है और कई स्कूली पाठ्यपुस्तकों में से उन पर केन्द्रित अध्याय हटा दिए गए हैं। राष्ट्रीय अभिलेखागार की भारत छोड़ो आंदोलन पर केन्द्रित...
April 14, 2018
जब देश की आज़ादी का भी, सदियों से चले आ रहे हिंदू धर्म के जाती प्रथा पर कोई असर नहीं पड़ा, तो आख़िरकार बाबासाहेब ने अपने लाखों साथियों के साथ १९५६ में बौद्ध धर्म की दीक्षा ले ली । सबरंगIndia में देखिए, उस दिन उनके द्वारा ली गयी २२ प्रतिज्ञाएं.
March 29, 2018
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्रों और प्रोफेसर्स पर पिछले दिनों पुलिस ने बर्बरता पूर्वक लाठियां बरसाईं. इसके बाद फिर से उनपर हमला हुआ. छात्रों और प्रोफेसर्स के संघर्ष पर गौहर राजा ने एक कविता लिखी है. इसमें सभी पहलुओं को ध्यान में रखा गया है. यहां दर्सगाहें का मतलब यूनिवर्सिटी है. पढ़िए.....
दर्सगाहों पे हमले नए तो नहीं
इन किताबों पे हमले नए तो नहीं
इन सवालों पे हमले नए तो नहीं...