नौकरी से सेवानिवृत्त होकर अंबानी के रिलायंस को क्यों जॉइन कर रहे हैं शीर्ष सरकारी अधिकारी?

Written by Girish Malviya | Published on: August 28, 2020
मुकेश अम्बानी को एक काम बखूबी आता है कि सरकारी और अर्ध सरकारी संस्थानों के बड़े-बड़े पदों से रिटायर होने वाले अधिकारियों को जोड़ लो, उनसे यह भी पता चल जाता है कि सरकार की पॉलिसी किस ओर जा रही है, साथ ही मिनिस्ट्री में उनकी पकड़ और पुहंच का लाभ उठा मौका मिल जाता है। जरा एक बार रिलायंस में काम कर रहे सरकारी अधिकारियों की लिस्ट तो देखिए।



30 जून को इंडियन ऑयल के चेयरमैन के पद से रिटायर हुए संजीव सिंह अब रिलायंस की सेवा करने जा रहे हैं। इससे पहले इंडियन ऑयल के एक और पूर्व चेयरमैन सार्थक बेहुरिया को रिलायंस अपने सीनियर एडवाइजर के तौर पर नियुक्त कर चुकी है। अब रिलायंस ब्रिटिश पेट्रोलियम के साथ फ्यूल रिटेल बिजनेस में जोर-शोर से उतरने जा रही है। हिंदुस्तान पेट्रोलियम पर भी रिलायंस की आंखे लगी हुई हुई हैं, वो भी बिकने जा रही है। संजीव सिंह जी वहां भी बढ़िया काम मे आएंगे।

कुछ साल पहले रिलायंस इंडस्ट्रीज ने भारतीय स्टेट बैंक की पूर्व चेयरमैन अरुंधति भट्टाचार्य को कंपनी के बोर्ड में स्वतंत्र निदेशक नियुक्त किया था, आज एसबीआई जियो पेमेंट बैंक में पार्टनर बना हुआ है।

ठीक ऐसे ही रिलायंस इंडस्ट्रीज ने पूर्व केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) केवी चौधरी को स्वतंत्र निदेशक बनाया था। चौधरी 1978 बैच के भारतीय राजस्व सेवा अधिकारी हैं। वह 2014 में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के प्रमुख बने थे। के.वी. चौधरी बहुत महत्वपूर्ण पद पर थे उनकी रिलायंस पर नियुक्ति पर भी काफी सवाल उठे थे।

आपको याद होगा कुछ साल पहले 'जियो यूनिवर्सिटी' को बनने से पहले देश के छह बेहतरीन इंस्टीट्यूट में शामिल हो गयी थी। दरअसल जिओ के लिए इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस का चयन करनेवाली कमिटी के सामने प्रजेंटेशन देने में एचआरडी मिनिस्ट्री के पूर्व सचिव विनय शील ओबरॉय भी शामिल थे जो 2017 में रिटायर होने के बाद रिलायंस में एजुकेशन के क्षेत्र में एडवाइजर के पद पर जॉइन हो गए थे।

यानी देश मे खुला खेल फर्रुखाबादी चल रहा है। टॉप के अधिकारियों को खुला ऑफर है कि रिटायर होने के बाद रिलायंस शामिल हो जाओ। कुछ सालों बाद भारत का ऑफिशियल नाम रिलायंस रिपब्लिक भी हो सकता है।

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