खबर आ रही है कि भारत की संप्रुभता और अखंडता विरोधी गतिविधियों के आरोप में सरकार ने चीन के 47 और ऐप्स पर बैन लगा दिया है। राष्ट्रीय सुरक्षा और यूजर प्राइवेसी को लेकर 275 ऐप भी सरकार के निशाने पर आ गए हैं। इसमें पबजी और अली एक्सप्रेस जैसे ऐप भी शामिल हैं।
आप कहेंगे कि बार बार आप पेटीएम के पीछे क्यों पड़े रहते हो। दरअसल चीनी इन्वेस्टमेंट कंपनियों का अपना इको सिस्टम होता है। इनमें ऑनलाइन स्टोर्स, पेमेंट गेटेवेज, मैसेजिंग सर्विसेस वगैरह शामिल हैं। कोई भी चीनी फर्म भारतीय कंपनी में निवेश करने के बाद उसे अपने इको सिस्टम में शामिल कर लेती है। इसका मतलब कंपनी के लिए यह होता है कि उसका अपने डाटा पर कोई कंट्रोल नहीं रह जाता।
आमतौर पर वेंचर कैपिटलिस्ट्स के कंशोर्टियम द्वारा निवेश किए जाने पर कोई एक पार्टनर स्टार्टअप को सलाह देने लगता है। चीनी इन्वेस्टर स्टार्टअप को तकनीकी जरूरतों के लिए चाइनीज सॉल्यूशन्स का इस्तेमाल करने पर जोर डालते हैं। अगर स्टार्टअप ऐसा करता है तो उसका अपने डाटा पर नियंत्रण नहीं रह जाता।
इसलिए अगर किसी चाइनीज ऐप्स पर प्रतिबंध लगाना है तो वह पेटीएम ही होनी चाहिए। कुछ हफ्ते पहले गलवान घाटी में सीमा विवाद के बाद केंद्र सरकार ने चीन के 59 ऐप्स पर बैन लगाया था पिछले हफ्ते ही भारत सरकार ने भारत में चल रही कम से कम 7 ऐसी कंपनियों की पहचान की है, जिनका कथित रूप से सीधे तौर पर या फिर अप्रत्यक्ष रूप से चीन की सेना से संबंध है इसमें उनमें अलीबाबा, टेंसेंट, हुवावे, एक्सइंडिया स्टील्स लिमिटेड (जो भारत और चीन के बीच सबसे बड़ा ज्वाइंट वेंचर है), जिंज़िंग कैथे इंटरनेशनल ग्रुप (जिसने छत्तीसगढ़ में एक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट 1000 करोड़ रुपये के निवेश से शुरू की है।) चाइना इलेक्ट्रॉनिक्स टेक्नोलॉजी ग्रुप कॉरपोरेशन और एसएआईसी मोटर कॉरपोरेशन लिमिटेड ( एसयूवी एमजी हेक्टर की पैरेंट कपंनी) हैं।
पेटीएम में विजय शेखर शर्मा की हिस्सेदारी सिर्फ 15.7 फीसदी हिस्सेदारी ही है बाकी सारी हिस्सेदारी अलीबाबा और अन्य विदेशी कम्पनियो की है चीनी अलीबाबा ग्रुप और उसकी सहयोगी ऐंट फाइनेंशियल के पास पेटीएम को चलाने वाली कम्पनी वन97 कम्युनिकेशंस के सबसे ज्यादा शेयर है।
अगर पब जी पर बैन लगाने की बात की जा रही है तो देश को तो सबसे बड़ा नुक्सान पेटीएम पुहंचा रहा है उस पर बैन क्यों नहीं लगाया जा रहा है जब अलीबाबा चीन की सेना से जुड़ा हुआ है जैसा आप ही कह रहे है तो उस पर बैन लगाने से आपको रोक कौन रहा है?
आप कहेंगे कि बार बार आप पेटीएम के पीछे क्यों पड़े रहते हो। दरअसल चीनी इन्वेस्टमेंट कंपनियों का अपना इको सिस्टम होता है। इनमें ऑनलाइन स्टोर्स, पेमेंट गेटेवेज, मैसेजिंग सर्विसेस वगैरह शामिल हैं। कोई भी चीनी फर्म भारतीय कंपनी में निवेश करने के बाद उसे अपने इको सिस्टम में शामिल कर लेती है। इसका मतलब कंपनी के लिए यह होता है कि उसका अपने डाटा पर कोई कंट्रोल नहीं रह जाता।
आमतौर पर वेंचर कैपिटलिस्ट्स के कंशोर्टियम द्वारा निवेश किए जाने पर कोई एक पार्टनर स्टार्टअप को सलाह देने लगता है। चीनी इन्वेस्टर स्टार्टअप को तकनीकी जरूरतों के लिए चाइनीज सॉल्यूशन्स का इस्तेमाल करने पर जोर डालते हैं। अगर स्टार्टअप ऐसा करता है तो उसका अपने डाटा पर नियंत्रण नहीं रह जाता।
इसलिए अगर किसी चाइनीज ऐप्स पर प्रतिबंध लगाना है तो वह पेटीएम ही होनी चाहिए। कुछ हफ्ते पहले गलवान घाटी में सीमा विवाद के बाद केंद्र सरकार ने चीन के 59 ऐप्स पर बैन लगाया था पिछले हफ्ते ही भारत सरकार ने भारत में चल रही कम से कम 7 ऐसी कंपनियों की पहचान की है, जिनका कथित रूप से सीधे तौर पर या फिर अप्रत्यक्ष रूप से चीन की सेना से संबंध है इसमें उनमें अलीबाबा, टेंसेंट, हुवावे, एक्सइंडिया स्टील्स लिमिटेड (जो भारत और चीन के बीच सबसे बड़ा ज्वाइंट वेंचर है), जिंज़िंग कैथे इंटरनेशनल ग्रुप (जिसने छत्तीसगढ़ में एक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट 1000 करोड़ रुपये के निवेश से शुरू की है।) चाइना इलेक्ट्रॉनिक्स टेक्नोलॉजी ग्रुप कॉरपोरेशन और एसएआईसी मोटर कॉरपोरेशन लिमिटेड ( एसयूवी एमजी हेक्टर की पैरेंट कपंनी) हैं।
पेटीएम में विजय शेखर शर्मा की हिस्सेदारी सिर्फ 15.7 फीसदी हिस्सेदारी ही है बाकी सारी हिस्सेदारी अलीबाबा और अन्य विदेशी कम्पनियो की है चीनी अलीबाबा ग्रुप और उसकी सहयोगी ऐंट फाइनेंशियल के पास पेटीएम को चलाने वाली कम्पनी वन97 कम्युनिकेशंस के सबसे ज्यादा शेयर है।
अगर पब जी पर बैन लगाने की बात की जा रही है तो देश को तो सबसे बड़ा नुक्सान पेटीएम पुहंचा रहा है उस पर बैन क्यों नहीं लगाया जा रहा है जब अलीबाबा चीन की सेना से जुड़ा हुआ है जैसा आप ही कह रहे है तो उस पर बैन लगाने से आपको रोक कौन रहा है?