लखनऊ। गृहमंत्रालय की स्क्रीनिंग कमेटी ने यूपी के तीन आईपीएस अधिकारियों को सरकारी सेवा के उपयुक्त नहीं पाते हुए समय से पहले ही रिटायमेंट दे दिया है। तीनों अधिकारियों पर गंभीर आरोपों की बात कही गई है। रिटायर किये गए तीनों आईपीएस अधिकारियों में पहला नाम अमिताभ ठाकुर का है। पहले से ही चर्चित अमिताभ ठाकुर ने अपने रिटायर होने की जानकारी ट्विटर पर भी दी। अमिताभ ठाकुर फिलहाल आईजी रूल्स एंड मैनुअल के पद पर थे।
अमिताभ ठाकुर के अलावा आईपीएस राजेश कृष्ण और आईपीएस राकेश शंकर को रिटायर किया गया है। राजेश कृष्ण सेना नायक 10वीं बटालियन बाराबंकी में तैनात थे। उनका नाम आज़मगढ़ में पुलिस भर्ती घोटाले में आया था। वहीं, राकेश शंकर डीआईजी स्थापना की पोस्ट पर थे। देवरिया शेल्टर होम प्रकरण में राकेश शंकर की भूमिका संदिग्ध मानी गई थी।
अमिताभ ठाकुर 1992 बैच के आईपीएस के साथ-साथ कवि व लेखक हैं। अमिताभ ठाकुर का विवादों से हमेशा नाता रहा। कई बार सत्ता में बैठे लोगों को अमिताभ से परेशानी हुई। पिछली अखिलेश सरकार में मुलायम सिंह से विवाद का ऑडियो वायरल होने के बाद निलंबित कर दिए गए थे। इसके बाद अमिताभ ठाकुर ने अखिलेश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था।
अमिताभ के खिलाफ पांच विभागीय कार्रवाई भी हुई थी। उनके खिलाफ आरोप था कि 16 नवम्बर 1993 को आईपीएस की सेवा प्रारंभ करते समय अपनी संपत्ति का ब्योरा शासन को नहीं दिया था। इसके साथ ही उन्होंने 1993 से 1999 तक का वर्षवार संपत्ति विवरण शासन को एकमुश्त दिया।
आरोपपत्र में यह भी था कि अमिताभ ठाकुर के वर्षवार वार्षिक संपत्ति विवरण में काफी भिन्नताएं हैं। उन्होंने अपनी पत्नी व बच्चों के नाम से काफी संख्या में चल एवं अचल संपत्तियां, बैंक व पीपीएफ जमा की हैं। उनको ऋण व उपहार प्राप्त हुए थे, किन्तु उन्होंने इसकी सूचना शासन को नहीं दी।
इसके बाद अमिताभ ठाकुर कोर्ट पहुंच गए। कोर्ट के आदेश के उन्हें फिर बहाल किया गया। उन्होंने ड्यूटी तो ज्वाइन कर ली पर उसके लाइम लाइट में नहीं आए। आज गृहमंत्रालय ने समय से पहले उन्हें रिटायर कर दिया।
अमिताभ ठाकुर के अलावा आईपीएस राजेश कृष्ण और आईपीएस राकेश शंकर को रिटायर किया गया है। राजेश कृष्ण सेना नायक 10वीं बटालियन बाराबंकी में तैनात थे। उनका नाम आज़मगढ़ में पुलिस भर्ती घोटाले में आया था। वहीं, राकेश शंकर डीआईजी स्थापना की पोस्ट पर थे। देवरिया शेल्टर होम प्रकरण में राकेश शंकर की भूमिका संदिग्ध मानी गई थी।
अमिताभ ठाकुर 1992 बैच के आईपीएस के साथ-साथ कवि व लेखक हैं। अमिताभ ठाकुर का विवादों से हमेशा नाता रहा। कई बार सत्ता में बैठे लोगों को अमिताभ से परेशानी हुई। पिछली अखिलेश सरकार में मुलायम सिंह से विवाद का ऑडियो वायरल होने के बाद निलंबित कर दिए गए थे। इसके बाद अमिताभ ठाकुर ने अखिलेश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था।
अमिताभ के खिलाफ पांच विभागीय कार्रवाई भी हुई थी। उनके खिलाफ आरोप था कि 16 नवम्बर 1993 को आईपीएस की सेवा प्रारंभ करते समय अपनी संपत्ति का ब्योरा शासन को नहीं दिया था। इसके साथ ही उन्होंने 1993 से 1999 तक का वर्षवार संपत्ति विवरण शासन को एकमुश्त दिया।
आरोपपत्र में यह भी था कि अमिताभ ठाकुर के वर्षवार वार्षिक संपत्ति विवरण में काफी भिन्नताएं हैं। उन्होंने अपनी पत्नी व बच्चों के नाम से काफी संख्या में चल एवं अचल संपत्तियां, बैंक व पीपीएफ जमा की हैं। उनको ऋण व उपहार प्राप्त हुए थे, किन्तु उन्होंने इसकी सूचना शासन को नहीं दी।
इसके बाद अमिताभ ठाकुर कोर्ट पहुंच गए। कोर्ट के आदेश के उन्हें फिर बहाल किया गया। उन्होंने ड्यूटी तो ज्वाइन कर ली पर उसके लाइम लाइट में नहीं आए। आज गृहमंत्रालय ने समय से पहले उन्हें रिटायर कर दिया।