कितनी हरी भरी थी वो
मेरी वादी तेरी वादी
मां के प्यार भरे आँचल सी
बच्ची की किलकारी जैसी
सोलह सिंगारों वाली दुल्हन
दादी की दुआओं जैसी
उगते सूरज सी सुन्दर वो
सांझ की फैली लाली जैसी
पूरे चाँद की रातों में
जूही समन की खुशबू जैसी
सरसों के पीले खेतों सी
कच्चे रस्तों के गीतों जैसी
जीवन में कमियां तो थी
हम लेकिन मस्त क़लन्दर से थे
प्यार की पूड़ी प्रीत का हलुआ
बाँट के आपस में खाते थे.
मंदिर तुम हम मस्जिद जाते
वापस आकर घुल मिल जाते थे
हम कितने भोले भाले थे
हम कितने सीधे सादे थे
दुनिया की चालाकी से
हम कितने अनजाने थे
कितनी ख़ुशी भरी थी वो
मेरी धरती तेरी धरती
किसको इसकी ख़ुशी न भायी ?
किसकी इसको नज़र लग गई ?
मेरी वादी तेरी वादी
मां के प्यार भरे आँचल सी
बच्ची की किलकारी जैसी
सोलह सिंगारों वाली दुल्हन
दादी की दुआओं जैसी
उगते सूरज सी सुन्दर वो
सांझ की फैली लाली जैसी
पूरे चाँद की रातों में
जूही समन की खुशबू जैसी
सरसों के पीले खेतों सी
कच्चे रस्तों के गीतों जैसी
जीवन में कमियां तो थी
हम लेकिन मस्त क़लन्दर से थे
प्यार की पूड़ी प्रीत का हलुआ
बाँट के आपस में खाते थे.
मंदिर तुम हम मस्जिद जाते
वापस आकर घुल मिल जाते थे
हम कितने भोले भाले थे
हम कितने सीधे सादे थे
दुनिया की चालाकी से
हम कितने अनजाने थे
कितनी ख़ुशी भरी थी वो
मेरी धरती तेरी धरती
किसको इसकी ख़ुशी न भायी ?
किसकी इसको नज़र लग गई ?