बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में 31 अगस्त को आएगा SC का फैसला, आडवाणी समेत कई BJP नेता हैं आरोपी

Written by sabrang india | Published on: May 9, 2020
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में  फैसला सुनाने की तारीख 31 अगस्त तय की है। बाबरी विध्वंस मामले में बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती, मुरली मनोहर जोशी सहित कई बड़े चेहरे आरोपी है।



इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 19 अप्रैल 2017 को लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती के अलावा, जिन अभियुक्तों के खिलाफ इस मामले में साजिश का आरोप लगाया गया था, उनमें विनय कटियार और साध्‍वी ऋतम्बरा भी शामिल हैं। इनके अलावा केस के 3 अन्‍य और आरोपी गिरिराज किशोर, अशोक सिंघल और विष्‍णु हरि डालमिया का निधन हो चूका है।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को लखनऊ की स्‍पेशल सीबीआई कोर्ट को मस्जिद विध्‍वंस मामले का ट्रायल 31 अगस्‍त तक पूरा करने को कहा है। कोर्ट ने इस समय सीमा (31 अगस्त) में ही केस का फैसला सुनाने को भी कहा है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल जुलाई में ट्रायल कोर्ट के लिए यह समयसीमा 9 महीने की तय की थी, जो इस साल अप्रैल में खत्‍म हो गई।

इससे पहले सीबीआई कोर्ट के जज ने सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखकर कोविड 19 के कारण लगाए गए लॉकडाउन का हवाला देते हुए समयसीमा बढ़ाए जाने की मांग की थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को समय सीमा में बढ़ोतरी की है। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई अदालत से यह भी कहा है कि वो सुनवाई के लिए वीडियो कॉन्‍फ्रेंसिंग का इस्‍तेमाल करें। सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने यह भी कहा कि अगस्‍त की समय सीमा का उल्‍लंघन नहीं होना चाहिए।

न्यायमूति आरएफ नरिमन और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की पीठ ने वीडियो कॉन्‍ंफ्रेस के माध्यम से इस मामले की सुनवाई करते हुये विशेष अदालत में चल रहे मुकदमे की कार्यवाही पूरी करने के लिये नयी समय सीमा निर्धारित की। पीठ ने विशेष न्यायाधीश से कहा कि वह साक्ष्य कलमबंद करने और मुकदमे की सुनवाई के दौरान दायर आवेदनों पर सुनवाई पूरी करने के लिये वीडियो कांफ्रेन्स सुविधा का उपयोग करें।

पीठ ने कहा, ‘छह मई, 2020 के पत्र को ध्यान में रखते हुये साक्ष्य पूरे करने और फैसला सुनाने की अवधि 31 अगस्त, 2020 तक बढ़ाया जाता हैं। हालांकि, मूल समय सीमा और अब विस्तारित समय सीमा के मद्देनजर 31 अगस्तख् 2020 तक कार्यवाही पूरी करके फैसला सुनाने के प्रयास होने चाहिए।

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