सिंघु बॉर्डर: धरने पर बैठे किसानों पर पुलिस ने दर्ज की एफआईआर

Written by sabrang india | Published on: December 11, 2020
कृषि कानूनों के विरोध में सिंघु बॉर्डर की रेड लाइट पर धरने पर बैठे किसानों के खिलाफ पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। किसानों पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन ना करने और महामारी एक्ट और अन्य धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।



किसान 29 नवंबर को लामपुर बॉर्डर से दिल्ली की सीमा में घुस आए थे और सिंघु बॉर्डर की रेड लाइट पर बैठ गए थे। वे रोड को ब्लॉक करके बैठे हैं। खबरों के मुताबिक, किसानों के खिलाफ एफआईआर 7 दिसंबर को अलीपुर थाने में दर्ज की गई है।

बता दें कि केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के विरोध में सिंघु बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन 15 दिनों से जारी है। किसानों की मांग है कि सरकार कृषि कानूनों को वापस ले. जबकि, सरकार संशोधन के लिए तैयार है। सरकार का स्पष्ट कहना है कि वो तीनों कानूनों को वापस नहीं लेगी। दोनों पक्ष अपने-अपने रुख पर अड़े हैं, जिसकी वजह से टकराव बढ़ता जा रहा है।

बता दें कि कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गुरुवार को सरकार का पक्ष सामने रखा और किसानों से आंदोलन खत्म करने की अपील की। वहीं कृषि मंत्री के बाद किसानों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। किसान नेता बूटा सिंह ने कहा, ‘हमने 10 दिसंबर तक का अल्टीमेटम दिया है। अगर प्रधानमंत्री हमारी बात नहीं सुनते हैं और कानून को रद्द नहीं करते हैं तो हम रेलवे ट्रैक को ब्लॉक कर देंगे। आज की बैठक में फैसला लिया गया कि देश के सभी लोग पटरियों पर उतरेंगे। संयुक्त किसान मंच एक तारीख तय करेगा और इसकी घोषणा करेगा।

भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि यदि केंद्र 15 में से हमारी 12 मांगों पर सहमत हो रहा था, इसका मतलब है कि बिल सही नहीं हैं, तो उन्हें नष्ट क्यों नहीं किया जाना चाहिए। हमने एसएसपी पर एक कानून की मांग की थी, लेकिन वे अध्यादेश के माध्यम से 3 बिल लाए थे। हमारा विरोध शांतिपूर्वक जारी रहेगा।

वहीं, भारतीय किसान यूनियन के बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि केंद्र सरकार ने माना है कि कानून व्यापारियों के लिए बनाए गए हैं। यदि कृषि राज्य का विषय है, तो उन्हें इसके बारे में कानून बनाने का अधिकार नहीं है।

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