रवीश कुमार के पास कोई सचिवालय नहीं है, काश होता कोई

Written by Ravish Kumar | Published on: August 7, 2018
दोस्तों, मेरे पास कोई सचिवालय नहीं है। आए दिन लोगों के इतने मेसेज आते हैं कि सबको पढ़ना भी बस की बात नहीं रही। पढ़कर वादा करना भी मुश्किल है। तादाद इतनी है कि 90 फीसदी तो यूं ही पढ़कर डिलिट कर देना पड़ता है। कोई दस बीस नहीं, हर दिन पांच सौ से हज़ार तक मुझे मेसेज आते हैं। कैसे सब पढ़ सकता हूं और कैसे सबकी स्टोरी कर सकता हूं। मेरे पास उतने रिपोर्टर नहीं हैं। जो अधिकारियों से भी बात करे, उनकी जवाबदेही तय करे।



बहुतों की शिकायत या समस्या पढ़कर सहम जाता हूं कि लोगों पर क्या क्या बीत रही है। यह बात मैं यहां कई बार कह चुका हूं, प्राइम टाइम में भी बोलता हूं, इसलिए बेहतर है कि मुझे फोन करने से आप अपना संघर्ष वहां कीजिए जहां कोई नतीजा निकले। मैं भी जितना हो सकता है उतना तो करता ही हूं। दुख होता है, ना कर पाने से, ना बोलने से।

अपनी लड़ाई आप किसी अकेले को आउट सोर्स करके नहीं जीत सकते हैं। बार बार यह लिखते हुए भी पीड़ा होती है। वैसे इस बात की दाद देता हूं कि आप वाकई अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं। मीडिया से दूर चुपचाप और मज़बूत इरादों से। यही इस दौर का शानदार पक्ष है। मेरे फेसबुक पेज के इनबाक्स में अब कई हज़ार मेसेज हो चुके हैं। शायद 30,000 से ज्यादा। गालियां और धमकियां भरी हुई हैं। प्यार और तारीफें भी कम नहीं हैं। ज़ाहिर है आपकी समस्याओं तक पहुंचने के लिए मैं सारे मेसेज नहीं देख पाऊंगा। जैसी राजनीति और समाज आपने बनाई है, उसकी कीमत कुछ आप भी चुका रहे हैं। आज मैं आपके सामने उन समस्याओं का छोटा सा हिस्सा पेश कर रहा हूं जिसके लिए लोगों ने मुझे लिखा है। गाली देने वाले भी पढ़ें कि लोगों की परेशानियां क्या हैं, कैसे सिस्टम उनका गला घोंट रहा है।

क्या बिहार दारोगा परीक्षा में कोई धांधली हुई है?

बिहार दारोगा परीक्षा मेंस के नतीजों को लेकर छात्र लिख रहे हैं। इनका दावा है कि बिहार अवर सेवा आयोग की परीक्षा में धांधली हुई है। लिखने वालों का मेंस में नहीं हुआ है। इनका दावा है कि जब पीटी की परीक्षा में एक भी ओबीसी महिला पास नहीं थी तो मेंस में इनकी संख्या 291 कैसे हो सकती है? इस तरह के दावे कुछ और श्रेणियों के बारे में किए जा रहे हैं। जिनकी संख्या पीटी में कम थी मगर मेंस में दोगुनी हो गई है। इनका कहना है कि अगर पीटी में अत्यंत पिछड़ा वर्ग से 100 छात्र चुने गए हैं तो इन्हीं से मेंस के लिए भी चुने जाएंगे। यह संख्या मेंस में 200 कैसे हो सकती है। एक छात्र ने लिखा है कि उसे 73 नंबर आए हैं मगर उसका नाम नहीं है जबकि 64 नंबर पाने वालों के नाम हैं।

छात्र कहते हैं कि यह सारी जानकारी आयोग की वेबसाइट पर है। लिस्ट को देखने से समझा जा सकता है। पीटी के समय भी धांधली के आरोप लगे थे। प्रश्न पत्र लीक होने की बात हुई थी। मगर आयोग ने नहीं माना। धरना प्रदर्शन के बाद भी 22 जुलाई को मेंस की परीक्षा हुई और 13 दिनों में रिज़ल्ट आ गया। मेरे स्तर पर यह संभव नहीं है कि मैं दावों की जांच कर पाऊं। क्योंकि मैं अकेला बंदा हूं। मेरे पास कोई सचिवालय नहीं है। आयोग के अधिकारी मुझसे बात नहीं करते हैं। इसलिए फिलहाल यहां पर लिख रहा हूं ताकि बातें और स्पष्ट हों। ऐसा न हो कि मेरा नहीं हुआ है और उसका हुआ है तो ज़रूर कोई धांधली हुई होगी वाली बात हो जाए।

आयोग को अपनी तरफ से छात्रों के सवालों के जवाब दे देन चाहिए। यह राज्य व्यवस्था के लिए ठीक नहीं है। अविश्वास का बढ़ना किसी के हित में नहीं होता है। ऐसी कोई बात नहीं है जो तर्कपूर्ण तरीके से समझाई नहीं जा सकती है। कहीं शिकायत करने वाले छात्रों के समझने में गड़बड़ी तो नहीं हुई है। छात्र चाहते हैं कि सीबीआई जांच करें। इस देश के छात्रों को ही पता नहीं है कि सीबीआई की क्या हालत है। सीबीआई की किस जांच का कौन सा नतीजा निकला है, उसका अध्ययन कर लेना चाहिए। एस एस सी के छात्रों ने कई दिन तक सीबीआई जांच की मांग की, कोई ऐसा नतीजा निकला जो छात्र नहीं जानते थे।

बिहार से सिपाही भर्ती परीक्षा को लेकर भी बहुत से छात्रों ने संपर्क किया है। क्या करें। हम आपके साथ हुई नाइंसाफियों को समझ रहे हैं। आप हिन्दू मुस्लिम करते रहे। चैनल और राजनीति को यह भरोसा आपने ही दिया कि आप इस वक्त हिन्दू मुस्लिम का फैसला करना चाहते हैं। जब आप लोगों से पूछता हूं तो यही जवाब मिलता है कि सर मैं हिन्दू मुस्लिम नहीं करता। मगर हकीकत आपको भी मालूम है। अपनी न सही, दूसरों की तो मालूम है।

किसी तरह से सवाल करने वालों को कुचला गया, मीडिया गोदी मीडियो हो गया, यह सब आपकी आंखों के सामने ही तो हुआ। सवाल करने वालों को गालियां देते रहें, यकीन न हो तो इसी पोस्ट के कमेंट में देख लें, अब जब पत्रकारिता का सिस्टम ढहा दिया गया है तो आपको समस्या का समाधान पत्रकारिता से कैसे मिलेगा।

कृषि शिक्षा में यह सब क्या हो रहा है जी

गुजरात कृषि विश्वविद्यालय के छात्रों ने लिखा है क वे कृषि में निजीकरण के ख़िलाफ आंदोलन कर रहे हैं। बहुत सी ऐसी एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी खुल गई हैं जिन्हें ICAR से मान्यता प्राप्त नहीं है। इनकी डिग्रा मान्य नहीं है फिर इन्हें कालेज खोलने दिया जा रहा है। अब वे मांग कर रहे हैं कि उन्हें सरकारी विश्वविद्यालयों में भी एडमिशन लेने की अनुमति दी जाए। हमारा सवाल है कि यह कैसे हो सकता है। एक यूनिवर्सिटी के पास 500 एकड़ ज़मीन होनी चाहिए। प्रयोगशाला होनी चाहिए। लेकिन कोई भी प्राइवेट एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी इस पात्रता को पूरा नहीं करती है। कृपया हमारी मदद करें।

मुकेश ने लिखा है कि कृषि सेक्टर और कृषि शिक्षा पर कुछ कीजिए। इनके लिए कोई नियामक संस्था नहीं है। प्राइवेट यूनिवर्सिटियां खुलती जा रही हैं जो सिर्फ डिग्री बांट रही हैं। वर्षों से सरकारों ने एग्रीकल्चर और अलायड साइंस को पेशेवर डिग्री घोषित कर रखा है। सिर्फ डिग्री धारक को ही कृषि उपकरण के निर्माण, बीज, कीटनाशक दवा की दुकान और वितरण का काम मिलगा लेकिन इस आदेश को वापस ले लिया गया है। अब कोई भी बोगस डिप्लोमा लेकर ये सब हासिल कर सकता है। मैं एग्रीकल्चर में बी. टेक. हूं। बीएससी एग्रीकल्चर और इंजनीयरिंग छात्रों में भेदभाव होता है। कई सरकारी नौकरियों में पात्रता भी नहीं लिखी होती है। 

हाल ही में संघ लोक सेवा आयोग ने टेक्निकल सहायक के 2000 पोस्ट निकाले। जिसके लिए सिर्फ बीएससी की डिग्री वाले ही पात्रता रखते थे। उसी तरह सिंचाई विभाग में जेई/ एसडी के पदों के लिए ज़्यादा डिग्री हो तो स्वीकार नहीं की जाती है। मेरे राज्य हरियाणा में कृषि विभाग में भर्ती का विज्ञापन ही नहीं आ रहा है। विज्ञापन आता भी है तो बहाली नहीं होती है। इसके लिए मृदा संरक्षक( soil conservation) का पद होता है। इसके लिए बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग की डिग्री मांगी जाती है। बीटेक नहीं। हमने इन मुद्दों को लेकर कई बार हड़ताल की है। सरकार झूठा वादा करके भूल जाती है। हम लोगों का एक फेसबुक पेज भी है Agringeers आप इस पर आकर विस्तार से देख सकते हैं।

रेल की परीक्षा और परीक्षा के नाम पर जीवन से खेल

एक छात्र ने लिखा है कि जिस दिन मेरा रेलवे का एग्ज़ाम है उसी दिन बाबा साहब भीमराव अंबेडकर मुजफ्फरपूर यूनिवर्स्टी का पहले साल का पेपर है। अब मैं क्या करूं। रेलवे का इम्हतान दूं या पार्ट वन की परीक्षा दे दूं।
सर मेरा सहायक लोको पायलट की परीक्षा 20 अगस्त को इंदौर में है। 19 अगस्त को पटना में बैंक की एक परीक्षा है। मैं कैसे भी चाहूं तो इंदौर टाइम पर नहीं पहुंच सकता। अगर आप मेरे लिए कुछ कर दें तो बहुत आभार होगा। मैंने रेलवे को बहुत शिकायत की मगर कोई जवाब नहीं आया।

झारखंड के गिरिडिह से एक छात्र ने लिखा है कि रेलवे टेक्निशियन की परीक्षा का सेंटर राउरकेला पढ़ा था। हज़ारीबाग ज़िले के छात्रों का सेंटर रांची में ही पड़ा है। हमने रेलवे का फार्म अनाउंस होने के तुरंत भरा था। फिर भी हमारा सेंटर दूर दिया गया है। जबकि रेलवे कहती है कि जिन्होंने देरी से फार्म भरा है उन्हीं का सेंटर दूर पड़ा है। हमारी प्राब्लम को टीवी पर दिखाइयेगा।

भर्तियां जो निकलती तो हैं मगर मिलती नहीं हैं

एस एस सी कांस्टेबल पर भी सीरीज़ बना दीजिए। ये भर्ती 2015 में आई थी। मेरे और बहुत से साथियों के 60 नंबर और 61 तक इन्होंने ज्वाइनिंग दी और फिर 7000 पोस्ट का कुछ नहीं किया। अब कहा जा रहा है कि वो पोस्ट इस बार की भर्ती में मिक्स होने जा रही है। हम लोगों ने तीन साल इंतज़ार किया कि अब भर्ती आएगी लेकिन आयोग द्वारा कुछ न्यूज़ नहीं आया। मेरा मेडिकल भी फिट था। फर्स्ट कट ऑफ से 2 नंबर भी ज्यादा था लेकिन नौकरी नहीं मिली। बहुत से भाइयों के साथ ऐसा हो चुका हूं। मैं उत्तराखंड से हूं।

मैं उत्तर प्रदेश का एक सामान्य नागरिक हूं जो बीटीसी का प्रशिक्षण ले रहा है। महोदय, आपको अवगत कराना चाहता हूं कि उत्तर प्रदेश में हमारी संख्या 8 लाख है। सभी बेरोज़गार हैं। परंतु NCTE( NATIONAL COUNCIL FOR TECH EDUCATION) ने इसे अनदेखा करके बीएड वालों को प्राथमिक शिक्षा में मौका देने का निर्णय किया है। महोदय, बीएड के पास जूनियर स्कूल के साथ TGT, PGT में मौका उपलब्ध है। हम बीटीसी के प्रशिक्षु मात्र प्राथमिक में ही शिक्षक बनने योग्य हैं। महोदय हमारी मदद करो।

रवीश जी, बीएड वाले 6 से 8 वीं तक के लिए पात्र होते हैं तो हम 6 से 8 में हम लोगों को मौका मिलना चाहिए लेकिन सरकार ने कहा है कि सीधी भर्ती आयेगी नहीं। सारी 6-8 की भर्ती प्रमोशन से भरी जाएगी। अगर हम लोग 1-5 तक पढ़ाने के लिए ही पात्र नहीं है तो कक्षा 6-8 में प्रमोशन कैसे होगा? प्रदेश में 12 लाख बीएड बेरोज़गार हैं। लेकिन भर्ती बीटीसी की आती है। LT ग्रेड की भर्ती 2014 में निकली थी। 10 जगह फार्म भरा लेकिन भर्ती रद्द हो गई। फिर 2016 में निकली जिसका अभी तक कुछ अता-पता नहीं है। TGT/PGT का 2011 का अभी तक कुछ क्लियर नहीं है। जो बीएड के नेता लोग हैं वो किसी न किसी पार्टी में सेट हो गए हैं। प्लीज़ हमारी स्टोरी प्राइम टाइम में दिखा दीजिए। आपका बहुत आभार होगा। बहुत टेंशन में हमारी ज़िंदगी बीत रही है। समझ नहीं आ रहा है कि क्या करा जाए। रवीश जी आप ही सहारा हैं।

मैंने एस एस सी LDC की परीक्षा 2017 में दी थी। 100 रुपया का फार्म भरा था। जब पीटी का रिज़ल्ट आया तो मेरे क्वेश्चन पेपर में 7 क्वेश्चन के जवाब एस एस सी ने ग़लत दिए। जब मैंने दावा किया तो इसके लिए मुझे प्रति प्रश्न 700 रुपये देकर फार्म भरने पड़े हैं। मैंने 700 रुपये लगा कर अपना ऑब्जेक्शन लगाया। ऐसे लाखों बच्चे थे जिन्होंने 4-5 क्वेश्चन के हिसाब से पैसे दिए। फिर नया जवाब आया तो उसमें मेरे नंबर बढ़ गए। पर जो ग़लती मैंने नहीं की थी उसका दंड मैं क्यों भरूं। होना ये चाहिए था कि अगर मेरे जवाब सही हैं तो मेरे उतने रूपये वापस हो जाने चाहिए थे।

बैंक वाले सुलग रहे हैं, अख़बारों में ख़बरें सुहानी हो रही हैं

सर IDBI बैंक के निजीकरण पर भी बात कीजिए। सरकार IDBI को LIC को बेच रही है जो उसे बाद में किसी कोरपोरेट के हाथों बेच देगी। हम कर्मचारी लोगों से कुछ नहीं पूछा गया। हम 9 से 10 अगस्त दो दिन हड़ताल पर हैं। सर, हमने दिन रात मेहनत करके ये सरकारी जॉब पाई है और जो बैंक में NPA हुए हैं, वो ऊपर के प्रबंधन की वजह से हुए हैं ।जिसका शिकार हम लोगों को बनाया जा रहा है। हम कर्मचारियों की समस्या को कोई मीडिया हाउस कवर नहीं कर रहा है। आपसे निवेदन है कि आप प्राइम टाइम में दिखाएं कि हमें किस तरह से परेशान किया जा रहा है। IDBI और LIC के संगठन साथ आ रहे हैं। कोलकाता में धरना प्रदर्शन भी शुरू हो गया है।

मैं बैंक से रिटायर हुए कर्मचारियों के संबंध में आपसे मिलना चाहता हूं। हमारे प्रतिनिधिमंडल ने सांसद आर के सिन्हा और मंत्री रामविलास पासवान से बात की है। दोनों ने इन्हें आश्वासन दिया है कि वे हमारी बात पीएमओ तक पहुंचाएंगे। जो लोग बैंकों में इस वक्त काम कर रहे हैं उनकी सैलरी पहले 2 प्रतिशत बढ़ाने की बात हुई अब 6 प्रतिशत का प्रस्ताव दिया गया है जिसे लेकर वे संतुष्ट नहीं हैं

अब आप ही बताइये कि एक अकेला क्या ऐसे बहुत से मुद्दे कर पाएगा...इसे चाहिए हमदर्द का टॉनिक शिंकारा।

अब आप सभी आमंत्रित हैं मुझे गाली देने के लिए। बताइयेगा कि जनता की बात लिखकर क्या ग़लती की है।

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