दिल्ली चुनाव के दौरान भाजपा नेताओं के भड़काऊ भाषण के बाद दंगे हुए: अल्पसंख्यक आयोग रिपोर्ट

Written by sabrang india | Published on: July 18, 2020
नई दिल्ली। दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग (डीएमसी) ने इस साल फरवरी में यहां हुए दंगों के लिए बीते गुरुवार को जारी अपनी फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट में भाजपा नेताओं पर उंगली उठायी और उन पर विधानसभा चुनाव के दौरान भाषण के जरिए कथित तौर पर लोगों को ‘उकसाने’ का आरोप लगाया।



डीएमसी के बयान के मुताबिक, ‘पूरे दिल्ली विधानसभा चुनाव प्रचार अभियान के दौरान दिसंबर 2019 से फरवरी 2020 तक दिल्ली भाजपा के नेताओं ने सीएए प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसा भड़काने के वास्ते लोगों को उकसाने वाले कई भाषण दिए।’

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, रिपोर्ट में कहा गया है कि भाजपा नेता कपिल मिश्रा द्वारा मौजपुर में दिए भाषण के बाद उत्तर-पूर्वी दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में दंगे भड़के थे। मिश्रा ने दिल्ली पुलिस को अल्टीमेटम देते हुए कहा था कि यदि पुलिस इन प्रदर्शनकारियों को नहीं हटाती है तो उनके लोग सड़क खाली कराने के लिए उतर जाएंगे।

मालूम हो कि उस समय शहर के विभिन्न हिस्सों में विवादित नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे थे।

आयोग की रिपोर्ट में कहा गया, ‘यह स्पष्ट है कि भाजपा नेताओं द्वारा एंटी-सीएए प्रदर्शन को बदनाम करने के लिए दिए गए भाषणों के बाद दंगे भड़के थे। विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों के खिलाफ अभद्र टिप्पणी की गई, जिसमें सांप्रदायिक बातें और हिंसा भड़काने की धमकी भी शामिल थी। शाहीन बाग प्रदर्शन की नकारात्मक छवि दिखाई गई ताकि एंटी-शाहीन बाग नैरेटिव तैयार किया जा सके।’

अल्पसंख्यक आयोग ने अपनी रिपोर्ट में प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों के आधार पर दंगे के दौरान हुए आकलन को भी पेश किया है और पुलिस कार्रवाई का भी विवरण दिया गया है।

उन्होंने कहा, ‘कुछ जगहों पर पुलिस बिल्कुल मूकदर्शक बनी रही, जबकि भीड़ लूटपाट, घर जलाना और हिंसा का कार्य कर रही थी। अन्य जगहों पर पुलिस ने उपद्रवियों को खुली छूट दे दी कि वे हिंसा का कार्य जारी रखें। कुछ उदाहरण यह भी दर्शाते हैं कि किस तरह से पुलिस और पैरामिलिटरी ऑफिसर ने उपद्रवियों को सुरक्षित इन क्षेत्रों से बाहर निकाला।’

रिपोर्ट को खारिज करते हुए दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता हरीश खुराना ने आयोग पर अपनी पार्टी के खिलाफ आधारहीन इल्जाम मढ़ने का आरोप लगाया।

पहले ही उपराज्यपाल अनिल बैजल और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सौंपी जा चुकी 130 पन्ने की इस रिपोर्ट में दिल्ली पुलिस पर भी ‘निष्क्रियता’ बरतने का आरोप लगाया गया है।

दिल्ली पुलिस के अतिरिक्त प्रवक्ता अनिल मित्तल ने कहा, ‘हमें दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग की ओर से अब तक कोई रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है। हम इसका अध्ययन करेंगे और फिर प्रतिक्रिया देंगे। हालांकि दिल्ली पुलिस लोगों को आगे आने और अपनी शिकायतें दर्ज करने के लिए प्रोत्साहित करती है। हमने एक मजबूत सार्वजनिक शिकायत प्रणाली भी स्थापित की है, अखबारों में विज्ञापन जारी किए हैं और लोगों को अपनी शिकायतें दर्ज करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए एक हेल्पलाइन नंबर शुरू किया है।’

वहीं खुराना ने कहा, ‘यह एक राजनीतिक रिपोर्ट है। क्या इसमें पार्षद ताहिर हुसैन का जिक्र किया गया है जो कि दंगों के संबंध में जेल में है?’ डीएमसी के कार्यालय में आयोग के अध्यक्ष जफरुल इस्लाम खान और 10 सदस्यीय फैक्ट फाइंडिंग समिति का नेतृत्व करने वाले एमआर शमशाद ने रिपोर्ट को जारी किया। रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्षों में हिंसा के लिए ‘बार-बार उकसावे’ का उल्लेख किया गया है।

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