बदनामी से डर गई योगी सरकार: एंटी-रोमियो कैंपेन को दिया नया नाम

Written by सबरंगइंडिया स्टाफ | Published on: May 20, 2017

पिछले दिनों यूपी में एंटी रोमियो अभियान के तहत पुलिस को युवाओं के साथ बदतमीजी की छूट देकर योगी सरकार ने काफी बदनामी बटोरी थी। इसलिए अब इस अभियान की री-ब्रांडिंग की जा रही है। स्क्वाड का नया नाम नारी सुरक्षा बल रखा गया है।


Anti-Romeo squad in action: Punishing a brother and his sister. Photo credit: Newscrunch

छेड़खानी के नाम पर सरेआम युवाओं को परेशान करने वाले योगी सरकार ने अपने एंटी-रोमियो स्क्वाड को नया नाम दिया है। दरअसल पिछले दिनों एंटी रोमियो में अभियान के तहत पुलिस को युवाओं के साथ बदतमीजी की छूट देकर योगी सरकार ने काफी बदनामी बटोरी थी। इसलिए अब इस अभियान की री-ब्रांडिंग की जा रही है। स्क्वाड का नया नाम नारी सुरक्षा बल रखा गया है।

मोदी के सत्ता में आते ही मार्च में एंटी रोमियो स्क्वाड बन गया था। अपने गठन के तुरंत बाद इसने यूपी के 11 जिलों में अभियान शुरू कर दिया और पार्कों, मॉल और दूसरे सार्वजनिक जगहों पर युवा जोड़ों को पकड़ कर सजा देनी शुरू कर दी।

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने इसके गठन की इजाजत देते हुए कहा था कि स्क्वाड अभियान चलाए, लेकिन कानून हाथ में न ले। लेकिन इसके नाम पर एंटी रोमियो दलों ने सरेआम युवाओं के साथ मारपीट शुरू कर दी। उनसे सार्वजनिक जगहों पर माफी मंगवाई गई और उठक-बैठक लगवाई गई। मुर्गा बनवाया गया। अभियान के खिलाफ युवाओं में गुस्सा बढ़ने लगा। युवा वोटरों यूपी में बीजेपी का अपना अच्छा-खासा समर्थन दिया था। लिहाजा इस अभियान की नकारात्मक छवि से सरकार डर गई। उसे लगा कि युवा नाराज हो जाएंगे तो यूपी सरकार को उनका समर्थन घटने लगेगा।

यूपी सरकार के मंत्री ने यह तो नहीं बताया कि इस अभियान की री-ब्रांडिंग क्यों की जा रही है लेकिन उनकी बातों से लगा कि सरकार इसके निगेटिव प्रचार से सतर्क हो गई है। सरकार और बीजेपी अपने यहां के कट्टर तत्वों को भी नाराज नहीं करना चाहती। इसलिए उसने बीच का रास्ता निकाला है और अब एंटी रोमियो दल को नारी सुरक्षा बल का नया दिया है।

लेकिन सिर्फ नया नाम देने से ही छेड़खानी के खिलाफ शुरू इस अभियान के तहत युवाओं को सरेआम दंडित करने का सिलसिला नहीं रुकेगा।

दरअसल इस मामले को ठीक तरह से हैंडल न कर पाने की वजह से योगी सरकार की बदनामी राष्ट्रीय ही नहीं अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भी हुई है। लिहाजा अभियान को नया देना ही काफी नहीं होगा।

स्क्वाड को नारी सुरक्षा के प्रति संवेदनशील बनने की ट्रेनिंग देनी होगी। उनकी कम्यूनिकेशन स्किल बेहतर बनानी होगी। उन्हें इस तरह से प्रशिक्षित करना होगा जिससे वह लड़कियों से छेड़खानी के मामले निपटाने के वक्त शालीनता और संवेदनशीलता से पेश आए।
 

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