मोदी सरकार भारतीय किसानों के जीवनयापन के सबसे महत्वपूर्ण स्त्रोत पर गहरी चोट करने जा रही है ......भारत में दूध किसानों का सबसे महत्वपूर्ण उत्पाद है.किसानों के लिए यह नगदी का प्रमुख स्रोत है. दूध की बिक्री से जो रोजाना आमदनी होती है वह किसान परिवार के जीवन यापन करने में बड़ी सहायता करती है अब मोदी सरकार जो नया RCEP समझौता करने जा रही है इस मुक्त व्यापार समझौते में डेयरी उत्पाद को शामिल करने के प्रस्ताव है। अगर यह लागू हो गया तो विदेशों से भारत में दूध का आयात किया जाएगा। इससे दूध उत्पादन करने वाले भारतीय किसानों के आमदनी बुरी तरह से प्रभावित हो जाएगी।
डेरी उत्पादों को रीजनल कांप्रिहेंसिव इकॉनोमिक पार्टनरशिप (आरसीईपी) के दायरे में लाने से देश के 6.5 करोड़ दुग्ध उत्पादन करने वाले किसान प्रभावित होंने जा रहे हैं यह बहुत बड़ी संख्या है
आपको आश्चर्य होगा यह जानकर कि धान और गेहूं की तुलना में दूध का उत्पादन अधिक होता है. एक अनुमान के मुताबिक साल 2018-19 में 1877.5 लाख मिट्रिक टन दूध का उत्पादन हुआ. जबकि इसी समय अवधि में धान का उत्पादन 1746.3 मिट्रिक टन और गेहूं का 1021.9 मिट्रिक टन उत्पादन हुआ.साल में दूध के कुल उत्पादन का मूल्य 3,14,387 करोड़ रुपये है जोकि धान और गेहूं के कुल उत्पाद के मूल्यों के योग से ज्यादा है।
डेरी उत्पादकों को आशंका है कि डेरी उत्पादों को आरसीईपी में शामिल किए जाने से आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड से आयात शुल्क मुक्त दूध का पॉउडर व अन्य दुग्ध उत्पाद भारत आएगा, जो काफी सस्ता होगा। इससे देश के डेरी उत्पादकों व किसानों को नुकसान होगा। फिलहाल दूध या उसके उत्पादों पर 30 से 60 फीसदी आयात कर लगाकर आयात को नियंत्रित किया जाता है. लेकिन RCEP समझौते के बाद परिस्थितियां तेजी से बदल जाएगी......भारतीय किसान यूनियन का मानना है कि इस समझौते को लागू करने से देश को 60 हजार करोड़ के राजस्व का नुकसान होगा।
ऐसा नही है कि भारत डेयरी उत्पाद पर कोई अनोखा टैक्स लगा रहा था कनाडा सभी डेयरी उत्पादों पर 208% का शुल्क लगाता है। यूरोपीय संघ उच्च अवशिष्ट और कीटनाशकों का नाम लेकर युक्तियुक्त प्रतिबंध लगाता है, ऑस्ट्रेलिया भारत से गैर-प्रतिधारित डेयरी उत्पादों की अनुमति नहीं देता है। दक्षिण अफ्रीका, मैक्सिको, वेनेजुएला और चिली जैसे देश भारत से डेयरी उत्पादों के आयात की अनुमति नहीं देते हैं।
भारतीय डेयरी उद्योग जिन लाखों लोगों को रोजगार देता है, उसमे 70% से अधिक महिलाएं हैं और 69% संख्या सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित वर्गों के हैं।डेयरी उत्पाद भारतीय किसान के लिए सबसे अधिक फायदे वाला व्यापार है संगठित क्षेत्र में एक भारतीय डेयरी उत्पादक को उपभोक्ता रूपए का 60% से अधिक हिस्सा मिलता है, जबकि न्यूजीलैंड स्थित निर्माता को 30% ही रख पाता है शायद यही बात मोदी सरकार को बर्दाश्त नहीं हो रही है.
गुजरात के तकरीबन 75 हजार डेयरी फार्म में काम करने वाली औरतों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिठ्ठी लिखकर दूध और अन्य दुग्ध उत्पादों को RCEP समझौते से बाहर रखने की गुहार लगाई है। लेकिन कौन सुनता है?
मोदी सरकार कहती है कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी लेकिन जिस क्षेत्र की सहायता से वास्तव में यह काम किया किया जा सकता है मोदी सरकार उसे ही बर्बाद करने पर तुली हुई है........
(लेखक आर्थिक मामलों के जानकार हैं।)
डेरी उत्पादों को रीजनल कांप्रिहेंसिव इकॉनोमिक पार्टनरशिप (आरसीईपी) के दायरे में लाने से देश के 6.5 करोड़ दुग्ध उत्पादन करने वाले किसान प्रभावित होंने जा रहे हैं यह बहुत बड़ी संख्या है
आपको आश्चर्य होगा यह जानकर कि धान और गेहूं की तुलना में दूध का उत्पादन अधिक होता है. एक अनुमान के मुताबिक साल 2018-19 में 1877.5 लाख मिट्रिक टन दूध का उत्पादन हुआ. जबकि इसी समय अवधि में धान का उत्पादन 1746.3 मिट्रिक टन और गेहूं का 1021.9 मिट्रिक टन उत्पादन हुआ.साल में दूध के कुल उत्पादन का मूल्य 3,14,387 करोड़ रुपये है जोकि धान और गेहूं के कुल उत्पाद के मूल्यों के योग से ज्यादा है।
डेरी उत्पादकों को आशंका है कि डेरी उत्पादों को आरसीईपी में शामिल किए जाने से आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड से आयात शुल्क मुक्त दूध का पॉउडर व अन्य दुग्ध उत्पाद भारत आएगा, जो काफी सस्ता होगा। इससे देश के डेरी उत्पादकों व किसानों को नुकसान होगा। फिलहाल दूध या उसके उत्पादों पर 30 से 60 फीसदी आयात कर लगाकर आयात को नियंत्रित किया जाता है. लेकिन RCEP समझौते के बाद परिस्थितियां तेजी से बदल जाएगी......भारतीय किसान यूनियन का मानना है कि इस समझौते को लागू करने से देश को 60 हजार करोड़ के राजस्व का नुकसान होगा।
ऐसा नही है कि भारत डेयरी उत्पाद पर कोई अनोखा टैक्स लगा रहा था कनाडा सभी डेयरी उत्पादों पर 208% का शुल्क लगाता है। यूरोपीय संघ उच्च अवशिष्ट और कीटनाशकों का नाम लेकर युक्तियुक्त प्रतिबंध लगाता है, ऑस्ट्रेलिया भारत से गैर-प्रतिधारित डेयरी उत्पादों की अनुमति नहीं देता है। दक्षिण अफ्रीका, मैक्सिको, वेनेजुएला और चिली जैसे देश भारत से डेयरी उत्पादों के आयात की अनुमति नहीं देते हैं।
भारतीय डेयरी उद्योग जिन लाखों लोगों को रोजगार देता है, उसमे 70% से अधिक महिलाएं हैं और 69% संख्या सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित वर्गों के हैं।डेयरी उत्पाद भारतीय किसान के लिए सबसे अधिक फायदे वाला व्यापार है संगठित क्षेत्र में एक भारतीय डेयरी उत्पादक को उपभोक्ता रूपए का 60% से अधिक हिस्सा मिलता है, जबकि न्यूजीलैंड स्थित निर्माता को 30% ही रख पाता है शायद यही बात मोदी सरकार को बर्दाश्त नहीं हो रही है.
गुजरात के तकरीबन 75 हजार डेयरी फार्म में काम करने वाली औरतों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिठ्ठी लिखकर दूध और अन्य दुग्ध उत्पादों को RCEP समझौते से बाहर रखने की गुहार लगाई है। लेकिन कौन सुनता है?
मोदी सरकार कहती है कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी लेकिन जिस क्षेत्र की सहायता से वास्तव में यह काम किया किया जा सकता है मोदी सरकार उसे ही बर्बाद करने पर तुली हुई है........
(लेखक आर्थिक मामलों के जानकार हैं।)