नई दिल्ली। देश के संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के पड़पोते राजरतन अंबेडकर ने एक वीडियो पोस्ट के जरिए हाथरस कांड की पोल खोलकर रख दी है। राजरतन ने वीडियो में हाथरस के जिला प्रशासन और मेडिकल स्टाफ की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए हैं। राजरत्न अंबेडकर ने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश में जंगलराज है और हाथरस के पीडि़त परिवार की लड़ाई अंबेडकर परिवार लड़ेगा।
अपने वीडियो पोस्ट में वह यह कहते हुए सुनाई दे रहे हैं कि 'आज सुबह पांच बजे हम हाथरस के लिए निकले। हाथरस के एसपी ने हमें गांव तक जाने से रोका। फिर भी हम वहां सपा-बसपा के प्रदर्शन में शामिल हुए। फिर मेरी यहां पर जिलाधिकारी से एक घंटे तक चर्चा हुई। एफआईआर और मेडिकल की कॉपी हम लोगों ने देखी है। इसलिए मैं यह सच देश और दुनिया के लोगों को बताना चाहता हूं।'
राजरतन आगे कहते हैं कि 'किसी की साइकिल भी गुम हो जाती है तो दो पन्नों की एफआईआर है। पहली बात तो यह बात को अजीब लगती होगी कि जब ब्राह्मणों की बच्ची से बलात्कार होता है तो उसकी पहचान छिपा कर रखते हैं, उसका नाम भी नहीं पता होता है। निर्भया का नाम बताइए मुझे क्या है? लेकिन हमारी बच्ची का पहले दिन से उसकी पहचान बतायी गई कि वह मनीषा वाल्मिकी है, यानि वह वाल्मिकी समुदाय से है बाकि किसी को आंदोलन करने की जरूरत नहीं है।'
'एफआईआर हम लोगों ने देखा सिर्फ चार वाक्यों का एफआईआर है, गैंगरेप केस का सिर्फ चार वाक्यों का एफआईआर लिखा गया है। चार वाक्यों में क्या है मां का नाम, भाई का नाम और मनीषा का नाम लिखा है। ये तीनों रात की साढ़े नौ बजे खेत पर बाजरा काटने गये थे। भाई घर में घास रखने जाता है, फिर जो ठाकुर लड़का है वह मनीषा का गला दबाता है और उतने में मां चिल्लाती है और भाई दौड़ कर आ जाता है और ये ठाकुर लड़का भाग जाता है। बस इतना ही वाकिया एफआईआर में बताया गया है। अब पुलिस की थ्येरी क्या है ये देखिए। पुलिस की थ्येरी है कि उसने सिर्फ गला दबाया था और भाई आ गया तो वह भाग गया, फिर लड़की गिर गई और गिरने के बाद एक ईंट पर गले के पीछे का भाग टकरा गया और जबान बाहर आई और जबान बाहर आने के बाद दांतों के नीचे वह कट गयी।'
'14 सितंबर को यह गैंगरेप होता है, 22 सितंबर को मेडिकल होता है। आठ दिनों के बाद मेडिकल रिपोर्ट की जाती है। मेडिकल रिपोर्ट कहती है कि कहीं भी शरीर पर चोट नहीं है। इसलिए मैने कहा कि लड़की को कुछ हुआ ही नहीं वो अपने आप मर गई। क्योंकि मेडिकल रिपोर्ट कहता है न तो बलात्कार की कोशिश की गई है, खरोंच तक नहीं मेडिकल रिपोर्ट में। जितने भी मेडिकल डॉक्टर्स हैं सारे ठाकुर हैं, खुद डीएम ठाकुर हैं, गुनहगार ठाकुर हैं, सभी लोग यहां पर ठाकुर हैं। इसलिए इनपर कोई बात न आये, इन्होंने मेडिकल रिपोर्ट दूसरे जिले से बनवाई है।'
'आज मैं सुप्रीम कोर्ट के वकील साथ में लेकर गया था। उनकी सारी थ्येरी हमने सुनी और देखिए मेरे पर किस तरह का प्रेशर था। मुझे डीएम कहता है कि आप यहां से घोषणा करो कि रेप हुआ ही नहीं था। इस तरह का दबाव मेरे ऊपर आ सकता है, तो सोचिए पीड़ित परिवार पर कितना होगा। हमको परिवार से मिलने नहीं दिया जा रहा है। गांव को बंद करके रखा हुआ है और कह रहे हैं कि गांव में तनाव है। तो यह तनाव किसने पैदा किया? पूरी पुलिस और मेडिकल स्टाफ इसमें शामिल है।'
'पुलिस प्रशासन इतने निचले स्तर पर गिरी हुई है उत्तर प्रदेश की कि सही में जंगलराज क्या होता है वहां पर जाकर देखलो। यह नैचुरल है कि पीड़ित परिवार यह केस नहीं लड़ेंगे। क्योंकि एक बच्ची को वह गंवा चुके हैं, वह अपने बेटे और बीवी को नहीं गंवाना चाहते हैं। इसलिए उनके ऊपर बहुत प्रेशर है। जब हमने उनसे पूछा कि आपने रात के ढाई बजे उस बच्ची के शव को क्यों जलाया तो कहते हैं कि ये परिवार उस शव को लेकर बार्गेनिंग कर रही थी कि एक लाख दो, दो लाख दो, दस लाख दो और जब फिर जब इनका पच्चीस लाख पर डन हो गया तब शव को जला दिया। ये पुलिस की थ्येरी है।'
अपने वीडियो पोस्ट में वह यह कहते हुए सुनाई दे रहे हैं कि 'आज सुबह पांच बजे हम हाथरस के लिए निकले। हाथरस के एसपी ने हमें गांव तक जाने से रोका। फिर भी हम वहां सपा-बसपा के प्रदर्शन में शामिल हुए। फिर मेरी यहां पर जिलाधिकारी से एक घंटे तक चर्चा हुई। एफआईआर और मेडिकल की कॉपी हम लोगों ने देखी है। इसलिए मैं यह सच देश और दुनिया के लोगों को बताना चाहता हूं।'
राजरतन आगे कहते हैं कि 'किसी की साइकिल भी गुम हो जाती है तो दो पन्नों की एफआईआर है। पहली बात तो यह बात को अजीब लगती होगी कि जब ब्राह्मणों की बच्ची से बलात्कार होता है तो उसकी पहचान छिपा कर रखते हैं, उसका नाम भी नहीं पता होता है। निर्भया का नाम बताइए मुझे क्या है? लेकिन हमारी बच्ची का पहले दिन से उसकी पहचान बतायी गई कि वह मनीषा वाल्मिकी है, यानि वह वाल्मिकी समुदाय से है बाकि किसी को आंदोलन करने की जरूरत नहीं है।'
'एफआईआर हम लोगों ने देखा सिर्फ चार वाक्यों का एफआईआर है, गैंगरेप केस का सिर्फ चार वाक्यों का एफआईआर लिखा गया है। चार वाक्यों में क्या है मां का नाम, भाई का नाम और मनीषा का नाम लिखा है। ये तीनों रात की साढ़े नौ बजे खेत पर बाजरा काटने गये थे। भाई घर में घास रखने जाता है, फिर जो ठाकुर लड़का है वह मनीषा का गला दबाता है और उतने में मां चिल्लाती है और भाई दौड़ कर आ जाता है और ये ठाकुर लड़का भाग जाता है। बस इतना ही वाकिया एफआईआर में बताया गया है। अब पुलिस की थ्येरी क्या है ये देखिए। पुलिस की थ्येरी है कि उसने सिर्फ गला दबाया था और भाई आ गया तो वह भाग गया, फिर लड़की गिर गई और गिरने के बाद एक ईंट पर गले के पीछे का भाग टकरा गया और जबान बाहर आई और जबान बाहर आने के बाद दांतों के नीचे वह कट गयी।'
'14 सितंबर को यह गैंगरेप होता है, 22 सितंबर को मेडिकल होता है। आठ दिनों के बाद मेडिकल रिपोर्ट की जाती है। मेडिकल रिपोर्ट कहती है कि कहीं भी शरीर पर चोट नहीं है। इसलिए मैने कहा कि लड़की को कुछ हुआ ही नहीं वो अपने आप मर गई। क्योंकि मेडिकल रिपोर्ट कहता है न तो बलात्कार की कोशिश की गई है, खरोंच तक नहीं मेडिकल रिपोर्ट में। जितने भी मेडिकल डॉक्टर्स हैं सारे ठाकुर हैं, खुद डीएम ठाकुर हैं, गुनहगार ठाकुर हैं, सभी लोग यहां पर ठाकुर हैं। इसलिए इनपर कोई बात न आये, इन्होंने मेडिकल रिपोर्ट दूसरे जिले से बनवाई है।'
'आज मैं सुप्रीम कोर्ट के वकील साथ में लेकर गया था। उनकी सारी थ्येरी हमने सुनी और देखिए मेरे पर किस तरह का प्रेशर था। मुझे डीएम कहता है कि आप यहां से घोषणा करो कि रेप हुआ ही नहीं था। इस तरह का दबाव मेरे ऊपर आ सकता है, तो सोचिए पीड़ित परिवार पर कितना होगा। हमको परिवार से मिलने नहीं दिया जा रहा है। गांव को बंद करके रखा हुआ है और कह रहे हैं कि गांव में तनाव है। तो यह तनाव किसने पैदा किया? पूरी पुलिस और मेडिकल स्टाफ इसमें शामिल है।'
'पुलिस प्रशासन इतने निचले स्तर पर गिरी हुई है उत्तर प्रदेश की कि सही में जंगलराज क्या होता है वहां पर जाकर देखलो। यह नैचुरल है कि पीड़ित परिवार यह केस नहीं लड़ेंगे। क्योंकि एक बच्ची को वह गंवा चुके हैं, वह अपने बेटे और बीवी को नहीं गंवाना चाहते हैं। इसलिए उनके ऊपर बहुत प्रेशर है। जब हमने उनसे पूछा कि आपने रात के ढाई बजे उस बच्ची के शव को क्यों जलाया तो कहते हैं कि ये परिवार उस शव को लेकर बार्गेनिंग कर रही थी कि एक लाख दो, दो लाख दो, दस लाख दो और जब फिर जब इनका पच्चीस लाख पर डन हो गया तब शव को जला दिया। ये पुलिस की थ्येरी है।'