बिजली पानी की समस्या से जूझ रहा राजस्थान का ढिंगाणा गांव, चुनाव बहिष्कार का ऐलान

Written by sabrang india | Published on: April 26, 2019
भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पांच साल सत्ता में रहने के बाद एक बार फिर से विकास के नाम पर वोट मांग रहे हैं। इसके बावजूद देशभर में कई जगह पर लोगों को विकास नजर नहीं आया और वे नाराज होकर चुनाव का ही बहिष्कार कर रहे हैं। ऐसा ही एक गांव है राजस्थान का ढींगाणा. यह गांव थार मरुस्थल से घिरा हुआ है। गांव के निवासियों को पेयजल, शिक्षा एवं चलने योग्य सड़क के अभाव में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। सरकार पर उनकी जरूरतों को अनदेखा करने का आरोप लगाते हुए सभी ग्रामीणों ने लोकसभा 2019 के चुनाव का बहिष्कार कर दिया है।

गांव में न तो लड़कियों के लिए सेकेन्डरी स्कूल है, न पक्की सड़क और न ही पर्याप्त पीने के पानी की व्यवस्था है। गांव वालों ने “विकास” शब्द कई बार सुना पर उनकी हालत में पिछले तीन–चार साल से भी कोई सुधार नहीं है।

ANI से बातचीत के दौरान एक ग्रामीण ने कहा, “जिला प्रसाशन में हमने कई बार शिकायत दर्ज़ कराई है पर उन्होंने कुछ नहीं किया। लोकसभा चुनाव का बहिष्कार ही हमारी आखिरी कोशिश है। आखिर ऐसी सरकारों को चुनें ही क्यों जो हमारी समस्याओं का हल न निकालती हो।”


गांव में सूखे झरनों और लाचार पड़ी प्यासी भेड़ बकरियों को दूर से ही देखा जा सकता है। गांव में वैसे स्कूल की नींव भी रखी जा चुकी है और पानी के लिए पाइप लाइन भी बिछा दी गई है, पर फिर भी अब तक न स्कूल बन सका और न ही गांव में पानी आया।

गांव की दुर्दशा के बारे में बात करते हुए एक ग्रामीण बलदेव चौधरी ने कहा– “हम सभी को प्यास बुझाने के लिए काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। बारिश न होने से गांव के झरने– तालाब सभी सूख गए हैं। शायद ही अब पानी का अब कोई स्त्रोत हमारे पास बचा है।”

बलदेव चौधरी ने कहा, “हमें मूलभूत चीजें मुहैय्या नहीं करायी जा रही हैं इसलिए हम सभी चुनाव का बहिष्कार करेंगे। चुनाव के दो महीनों से पहले पानी के टैंकर पहुंचाने से कुछ नहीं होना। हमें हमारी समस्या का पक्का हल चाहिए जिसकी हम तीन साल से मांग कर रहें हैं।” 

आरटीआई एक्टिविस्ट सोहन लाल पंवार, ने कहा– “बीते दो महीने से पानी के टैंकर गांव में पहुँचा कर सरकार ने भले ही अस्थायी हल निकाल लिया हो पर इससे कुछ नहीं होगा। पानी की कमी से इंसान ही नहीं पशु भी परेशान हैं। जिला प्रसाशन से बार बार अनुरोध करने पर जब कुछ न हुआ तब आपसी सहमती से हमने लोकसभा चुनाव का पूर्ण बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। पर इस बहिष्कार की सूचना मिलने के बाद भी कोई भी हमारा दुख सुनने नहीं आया।”

एक अन्य ग्रामीण बेलाराम ने कहा– “सड़कों की बहुत बुरी हालत है, हम चाहकर भी कहीं दूर सफर नहीं कर सकते। नींव पड़ने के बाद भी आज तक स्कूल की जमीन खाली पड़ी है। यहाँ लड़कियों के लिए कोई अन्य स्कूल भी नहीं है। यह सभी समस्या चार साल से है पर प्रसाशन इन्हें हल करने के लिए कोई भी कदम नहीं उठाती है।”

गांव वालों ने बताया कि हमेशा चुनाव आने पर वोट लेने के लिए जनप्रतिनिधि आया करते हैं। पर उसके बाद उनकी हालत जस की तस रह जाती है। फिलहाल राजस्थान में दो चरण में मतदान होगा– 29 अप्रैल और 6 मई। ऐसे में देखना यह है कि ढींगाणा गांव का लोकसभा चुनाव को बहिष्कृत करने पर क्या कोई असर सरकार पर पड़ेगा?

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