पंजाब विस. में पारित हुआ स्वर्ण मंदिर में महिलाओं को शबद कीर्तन की अनुमति देने वाला प्रस्ताव

Published on: November 8, 2019
चंडीगढ़: पंजाब विधानसभा ने गुरुवार को सर्वसम्मति ने एक प्रस्ताव पारित कर अकाल तख्त और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) से कहा कि अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के गर्भगृह में महिलाओं को भी शबद कीर्तन की इजाजत दी जाए।



इस बारे में एक प्रस्ताव राज्य सरकार के मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा द्वारा लाया गया, जिन्होंने कहा कि सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव ने जीवन भर जाति और लिंग आधारित भेदभाव के खिलाफ संघर्ष किया और महिलाओं के खिलाफ इस भेदभाव का भी अंत होना चाहिए।

उन्होंने अकाली नेता के इस दावे को भी खारिज किया कि सिख ‘रहत मर्यादा’ (आचार संहिता) के अनुसार सिख महिला को दरबार साहिब में कीर्तन करने की इजाजत नहीं है।

बाजवा ने कहा कि अकाली नेता जागीर कौर ने भी महिलाओं को पवित्र दरबार साहिब में कीर्तन सेवा करने की इजाजत देने की इच्छा जताई है। बाजवा ने कहा, ‘सिख इतिहास में महिलाओं के प्रति किसी भेदभाव का कोई उल्लेख नहीं है।’ फिलहाल स्वर्ण मंदिर में सिर्फ पुरुष ही कीर्तन कर सकते हैं।

बाजवा को टोकते हुए अकाली विधायक परमिंदर सिंह ढींडसा ने कहा कि इस प्रस्ताव के माध्यम से यह जताने की कोशिश की जा रही है कि अकाल तख्त या एसजीपीसी महिलाओं को स्वर्ण मंदिर में शबद गायन से जान-बूझकर मना कर रहा है। शुरुआत में शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) ने इस प्रस्ताव का विरोध किया था, लेकिन बाद में वह इसके समर्थन में आ गया। मालूम हो कि स्वर्ण मंदिर सिख धर्मावलंबियों का सबसे पावन धार्मिक स्थल या सबसे प्रमुख गुरुद्वारा है। इसे हरमंदिर साहिब या दरबार साहिब के नाम से भी जाना जाता है।

अमृतसर का नाम वास्तव में उस सरोवर के नाम पर रखा गया है जिसका निर्माण सिख समुदाय के गुरु राम दास ने किया था। स्वर्ण मंदिर गुरुद्वारा इसी सरोवर के बीचोबीच स्थित है। इस गुरुद्वारे का बाहरी हिस्सा सोने का बना हुआ है, इसलिए इसका नाम स्वर्ण मंदिर पड़ा।

स्वर्ण मंदिर को कई बार नष्ट भी किया गया, लेकिन जितनी बार भी इसे नष्ट किया गया है, दोबारा बनाया गया। अफगान हमलावरों ने 19वीं शताब्दी में इसे पूरी तरह नष्ट कर दिया था। तब महाराजा रणजीत सिंह ने इसे दोबारा बनवाया था और इसे सोने की परत से सजाया था।

 

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