घाटी में कश्मीरी पंडित की हत्या को लेकर विरोध प्रदर्शन जारी

Written by sabrang india | Published on: May 18, 2022
कश्मीर घाटी में लगातार विरोध प्रदर्शन होना असामान्य है और कश्मीरी पंडित कर्मचारियों द्वारा धरना प्रदर्शन आज सातवें दिन में प्रवेश कर गया है।  अपने कश्मीरी पंडित सहयोगी राहुल भट की आतंकवादियों के हाथों हत्या से नाराज और दुखी प्रदर्शनकारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले जम्मू-कश्मीर प्रशासन के साथ-साथ केंद्र सरकार से जवाब, कार्रवाई और आश्वासन मांग रहे हैं।



समाचार रिपोर्टों के अनुसार, विरोध प्रदर्शन एक सप्ताह के करीब पहुंचने को है ऐसे में उन्हें वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों द्वारा 'आश्वासन' दिया गया है कि 'घाटी में स्थायी शांति जल्द ही लौट आएगी क्योंकि सुरक्षा बल डेढ़ साल के भीतर सभी आतंकवादियों को खत्म कर देंगे।'

कश्मीरी पंडित कहते हैं, 'हमने बार-बार हत्याएं देखी हैं ... हमारी सुरक्षा सुनिश्चित करें वरना हमें अपनी नौकरी छोड़ने के लिए मजबूर किया जाएगा .... अगर यह 'नया कश्मीर' का सपना है तो हमें खेद है कि विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं ... हमारे कश्मीरी मुस्लिम और कश्मीरी सिख भाई कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं... हमारा साथ दे रहे हैं, हम उनके शुक्रगुजार हैं।'



राहुल भट बडगाम में राजस्व विभाग में पीएम पैकेज कर्मचारी के रूप में काम करते थे, और 12 मई को चदूरा में तहसील कार्यालय में उनके कार्यस्थल पर आतंकवादियों द्वारा गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई थी। उस दिन से सैकड़ों कश्मीरी पंडित, खासकर कर्मचारी, सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और भट परिवार के लिए न्याय के साथ- साथ समुदाय से सुरक्षा की मांग कर रहे हैं।

समाचार एजेंसी की रिपोर्ट में कहा गया है, कश्मीर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक विजय कुमार ने प्रदर्शनकारियों से 'राजनीतिक दलों के बहकावे में न आने' का आग्रह किया। 

प्रवासियों के लिए प्रधानमंत्री रोजगार पैकेज के तहत घाटी में लौटे ये कश्मीरी पंडित कर्मचारी विभिन्न स्थानों पर (खासकर बडगाम, अनंतनाग और गांदरबल में) अपनी प्रवासी कॉलोनियों के पास विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। “हम सुरक्षित नहीं हैं। हमें यहां से सुरक्षित रास्ता दें। पुलिस हम पर हंस रही थी," जैसे नारे लगा रहे हैं। उनका कहना है कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन ने उनके समुदाय के लिए कुछ नहीं किया है।



नई रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रदर्शनकारियों ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन के प्रतीक पुतलों को भी जलाया और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के खिलाफ 'एलजी तुम एक काम करो, कुर्सी छोड़ आराम करो', 'वी वांट जस्टिस', 'एडमिनिस्ट्रेशन डाउन-डाउन' जैसी नारेबाजी की।

न्यूज रिपोर्ट्स के अनुसार, आईजीपी विजय कुमार ने दो विरोध स्थलों का दौरा किया और कश्मीरी पंडितों से कहा, 'आपको डरने की ज़रूरत नहीं है, आपको यहां से नहीं जाना चाहिए। यदि आप जम्मू या किसी अन्य स्थान पर जाते हैं, तो वह पाकिस्तान और आतंकवादियों का एजेंडा है। इसलिए हमें दुश्मन के एजेंडे को हराने के लिए मिलकर काम करना होगा।'

उन्होंने वादा किया, 'पुलिस, सेना और सीआरपीएफ मिलकर उन सभी (आतंकवादियों) को डेढ़ साल के भीतर खत्म कर देंगे। इससे एक स्थायी शांति आएगी। इसके लिए आपको धैर्य रखना होगा और राजनीतिक दलों के बहकावे में नहीं आना होगा।'

उन्होंने कथित तौर पर प्रदर्शनकारियों से केवल अपनी कॉलोनियों के अंदर धरना प्रदर्शन करने के लिए कहा, 'मैंने अन्य शिविरों का भी दौरा किया है, वे वहां भी विरोध कर रहे हैं लेकिन कॉलोनी के भीतर। सड़क पर बैठना खतरनाक है क्योंकि आतंकवादी बाइक या कैब से गुजरते समय ग्रेनेड फेंक सकते हैं।'

कुमार ने कथित तौर पर कहा कि 'विरोध करना कोई अपराध या पाप नहीं है' लेकिन "सड़क पर धरने पर बैठना पूरी तरह से असुरक्षित है; आप अंदर धरने पर बैठ सकते हैं। जब सेना पुलिस और सीआरपीएफ पर हमला किया जाता है, तो नागरिक चुप बैठे होते हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि 'शिविरों (कालोनियों) की सुरक्षा बढ़ाई जाएगी। दूर-दराज के क्षेत्रों में तैनात कर्मचारियों को जिला मुख्यालय लाया जाएगा। सुरक्षा प्रदान करने के अलावा दूसरा पहलू आतंकवादियों की संख्या को कम करना है। अभी उनकी संख्या हताशा से काफी कम हो गई है; वे ऑफ-ड्यूटी पुलिसकर्मियों या अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों या प्रवासी मजदूरों जैसे सॉफ्ट टारगेट को निशाना बना रहे हैं।'

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