मुंबई: प्रख्यात शिक्षाविद और कार्यकर्ता राम पुनियानी ने कहा है कि महाराष्ट्र सीआईडी से होने का दावा करते हुए तीन पुलिसकर्मी पासपोर्ट सत्यापन के नाम पर उनके घर पर आए और उनके तथा परिवार के लोगों के बारे में जानकारी लेने की कोशिश की।
हालांकि, एक शीर्ष अधिकारी ने मंगलवार को इनकार किया कि अपराध जांच विभाग (सीआईडी) ने इस तरह की कोई छानबीन की।
आईआईटी बॉम्बे में बॉयोमेडिकल इंजीनियरिंग पढ़ा चुके पुनियानी ने कहा कि नौ मार्च को अचानक पहुंचे पुलिसकर्मियों के इरादों पर उन्हें संदेह है।
आईआईटी बंबई के पूर्व प्रोफेसर ने मंगलवार को समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा से बात करते हुए कहा, ‘सीआईडी से होने का दावा करने वाले तीन पुलिसकर्मी शनिवार 9 मार्च दोपहर मेरे घर आए और मेरे तथा मेरे परिवार के सदस्यों के बारे में निजी जानकारी मांगी।’
पुनियानी (73) लोकतांत्रिक समाज में सांप्रदायिक राजनीति के खतरे, मानवाधिकार आदि विषयों पर सेमिनार और कार्यशाला करते रहे हैं। कई किताबें लिख चुके पुनियानी को राष्ट्रीय एकता के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार (2006), राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार (2007) मिल चुका है।
पुनियानी ने कहा कि तीनों पुलिसकर्मियों ने उन्हें और उनकी पत्नी को बताया कि वे पासपोर्ट आवेदन के सत्यापन के लिए आए हैं । हालांकि, पुनियानी दंपति ने किसी भी पासपोर्ट के लिए आवेदन नहीं किया था।
तीनों लोगों ने उनकी पत्नी के क्लीनिक के स्थान तथा बच्चों के करिअर के बारे में पूछा। बाद में उन लोगों ने इमारत के ग्राउंड फ्लोर पर घरेलू सहायकों से भी उन लोगों के बारे में बातचीत की।
पुनियानी ने आगे कहा कि उन लोगों ने उनसे और उनकी पत्नी से ठीक से बात की, किसी तरह डराया-धमकाया नहीं। हालांकि, उनके इरादों को लेकर चिंता होती है।
संपर्क किए जाने पर एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि महाराष्ट्र सीआईडी ने इस तरह की कोई छानबीन नहीं की। उन्होंने कहा, ‘हमारे पास पुनियानी से जुड़ा कोई मामला है ही नहीं तो सीआईडी क्यों छानबीन करेगी।’
हालांकि, एक शीर्ष अधिकारी ने मंगलवार को इनकार किया कि अपराध जांच विभाग (सीआईडी) ने इस तरह की कोई छानबीन की।
आईआईटी बॉम्बे में बॉयोमेडिकल इंजीनियरिंग पढ़ा चुके पुनियानी ने कहा कि नौ मार्च को अचानक पहुंचे पुलिसकर्मियों के इरादों पर उन्हें संदेह है।
आईआईटी बंबई के पूर्व प्रोफेसर ने मंगलवार को समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा से बात करते हुए कहा, ‘सीआईडी से होने का दावा करने वाले तीन पुलिसकर्मी शनिवार 9 मार्च दोपहर मेरे घर आए और मेरे तथा मेरे परिवार के सदस्यों के बारे में निजी जानकारी मांगी।’
पुनियानी (73) लोकतांत्रिक समाज में सांप्रदायिक राजनीति के खतरे, मानवाधिकार आदि विषयों पर सेमिनार और कार्यशाला करते रहे हैं। कई किताबें लिख चुके पुनियानी को राष्ट्रीय एकता के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार (2006), राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार (2007) मिल चुका है।
पुनियानी ने कहा कि तीनों पुलिसकर्मियों ने उन्हें और उनकी पत्नी को बताया कि वे पासपोर्ट आवेदन के सत्यापन के लिए आए हैं । हालांकि, पुनियानी दंपति ने किसी भी पासपोर्ट के लिए आवेदन नहीं किया था।
तीनों लोगों ने उनकी पत्नी के क्लीनिक के स्थान तथा बच्चों के करिअर के बारे में पूछा। बाद में उन लोगों ने इमारत के ग्राउंड फ्लोर पर घरेलू सहायकों से भी उन लोगों के बारे में बातचीत की।
पुनियानी ने आगे कहा कि उन लोगों ने उनसे और उनकी पत्नी से ठीक से बात की, किसी तरह डराया-धमकाया नहीं। हालांकि, उनके इरादों को लेकर चिंता होती है।
संपर्क किए जाने पर एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि महाराष्ट्र सीआईडी ने इस तरह की कोई छानबीन नहीं की। उन्होंने कहा, ‘हमारे पास पुनियानी से जुड़ा कोई मामला है ही नहीं तो सीआईडी क्यों छानबीन करेगी।’