'मुस्लिम औरतें ज्यादा बच्चे पैदा करती हैं' इस झूठ का खुलासा करता सरकारी आंकड़ा

Published on: December 15, 2016
नई दिल्ली। मुस्लिम औरतों को लेकर एक सरकारी आंकड़ा पेश किया गया है जिसमें बताया गया है कि मुस्लिम औरतें शादी करने और बच्चा पैदा करने में अन्य समुदाय की औरतों से काफी पीछे हैं। इस आंकड़े ने उन लोगों को एक झटका देने का काम किया है जो यह सवाल उठाते रहें हैं कि मुस्लिम औरतें ज्यादा बच्चें पैदा करती है और मुस्लिम धर्म देश की जनसंख्या बढ़ाने का सबसे बड़ा जिम्मेदार है।

Muslim women
 
इसके अलावा भी अन्य धर्म की तुलना में मुस्लिम महिलाओं को लेकर यह धारणा बनी है कि वो ज्यादा सशक्त या आधुनिक विचारों की नहीं हैं। सरकार की तरफ से जारी किए गए ये आंकड़े लोगों में बने इस धारणे को भी तोड़ते नजर आएंगे।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार 20 से 34 साल आयु वर्ग की नौजवान मुस्लिम महिलाओं में शादी करने की दर भी दूसरे समुदाय से कम है। साल 2011 के आंकड़ों के अनुसार 20 से 39 साल उम्र की 33 लाख 70 हजार मुस्लिम महिलाएं अविवाहित थीं। साल 2011 तक देश में कुल मुस्लिम महिलाओं की आबादी दो करोड़ 10 लाख थी यानी करीब 12.87 प्रतिशत महिलाएं अविवाहित थीं।  
 
साल 2001 से साल 2011 की जनगणना के बीच 20-39 आयु वर्ग की बिना बच्चे वाली मुस्लिम महिलाओं की संख्या में 39 प्रतिशत बढ़ गई है। इस मामले में मुस्लिम महिलाएं केवल बौद्ध महिलाओं (45 प्रतिशत) से पीछे थीं। इसी आयु वर्ग की हिंदू महिलाओं में 2001 से 2011 के बीच ये दर 29.5 प्रतिशत रही। साल 2011 की जनगणना के अनुसार बिनाबच्चों वाली विवाहित महिलाओं की संख्या पिछली जनगणना की तुलना में 31 प्रतिशत बढ़कर 2.73 करोड़ थी, जबकि 2001 की जनगणना में ऐसी महिलाओं की संख्या 2.08 करोड़ थी।
 
सामाजिक कार्यकर्ताओं के अनुसार शहरी इलाकों में युवा मुस्लिम महिलाएं इन विकल्पों का ज्यादा चुनाव कर रही हैं। भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन की संयोजक नूर जहां साफिया नीयाज कहती हैं, “समुदाय की सामाजिक आर्थिक स्थिति बदलने की वजह से महिलाएं ज्यादा चुनाव कर रही हैं। अब महिलाओं के पास पहले की तुलना में ज्यादा विकल्प उपलब्ध हैं।” इश्तराक एजुकेशन सोसाइटी की जनरल सेक्रेटरी और एसोसिएशन ऑफ मुस्लिम प्रोफेशनल्स की सदस्य रूबीना फिरोज कहती हैं, “ये चलन ग्रामीण इलाकों में शायद न हो लेकिन शहरी इलाकों में मुस्लिम महिलाएं पहले से ज्यादा सशक्त  हुई हैं।”
 
साल 2001 से साल 2011 के जनगणना के आंकड़ों के अनुसार 20 से 39 आयु वर्ग की मुस्लिम महिलाओं में शादी न करने वाली मुस्लिम महिलाओं की संख्या करीब दोगुनी हो गई। 2001-2011 के दशक में विवाह न करने वाली मुस्लिम महिलाओं की संख्या में 94 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई जो दूसरे समुदायों की तुलना में काफी अधिक है। 2001-2011 के दशक में शादी न करने वाली बौद्ध महिलाओं की संख्या में 72.78 प्रतिशत, हिंदू महिलाओं में 69.13 प्रतिशत और सिख महिलाओं में 66.21 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।

Courtesy: National Dastak
 

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