उत्तर प्रदेश के हाथरस जा रहे केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन की जमानत के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई की। इस मामले में यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल किया है। यूपी सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि प्रतिवादी राज्य को सिद्दीकी को अपने वकीलों से मिलने में कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने कहा कि कोई आपत्ति नहीं थी और कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने स्पष्ट रूप से आरोपों का खंडन किया कि सिद्दीकी कप्पन को एक वकील तक पहुंच से वंचित किया गया था।
यूपी सरकार का कहना है कि सिद्दीकी कप्पन की रिहाई के लिए केरल यूनियन ऑफ़ वर्किंग जर्नलिस्ट्स की याचिका सही नहीं है। यूपी सरकार ने कहा कि कप्पन वकीलों के संपर्क में हैं।
यूपी सरकार का कहना है कि कप्पन पीएफआई के सचिव हैं लेकिन एक पत्रकार के रूप में हाथरस जा रहे थे। उन्होंने जिस अखबार का पत्रकार होने की बात कही है वो 2018 में बंद हो गया था। यूपी सरकार के जवाब पर सुप्रीम कोर्ट ने कप्पन के वकील कपिल सिब्बल से पूछा कि क्या उन्होंने यूपी सरकार का जवाब देखा? इस पर सिब्बल ने जवाब दिया कि उन्हें रिपोर्ट नहीं मिली है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा यूपी सरकार ने जवाब में कहा कि कप्पन को कोर्ट में पेश किया गया था, आप कह रहे थे कि आपको जानकारी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारे पहले के आदेश के बारे में बहुत ग़लत रिपोर्टिंग हुई, यह कहा गया था कि हमने आपको राहत से इनकार किया है। इस पर सिब्बल ने कहा कि गलत रिपोर्टिंग को लेकर उनका कोई लेना-देना नहीं है, हर रोज गलत रिपोर्टिंग हो रही है।
गलत रिपोर्टिंग को लेकर तुषार मेहता ने कहा कि ऐसी रिपोर्ट्स को स्पष्ट किया जाना चाहिए कि कहां गलत रिपोर्टिंग की गई।
मामले की सुनवाई के दौरान सिब्बल ने कहा कि सॉलिसीटर जनरल कह रहे हैं यह मामला हाईकोर्ट भेज दिया जाए, जबकि हम अपने मुवक्किल से जेल में मिल तक नहीं पाए हैं। एसजी ने कहा कि कप्पन से मिलकर वकील हस्ताक्षर लिख सकते हैं। सीजेआई ने एसजी के इस बयान को दर्ज कर लिया और सुनवाई एक हफ्ते के लिए टल गई है।
यूपी सरकार का कहना है कि सिद्दीकी कप्पन की रिहाई के लिए केरल यूनियन ऑफ़ वर्किंग जर्नलिस्ट्स की याचिका सही नहीं है। यूपी सरकार ने कहा कि कप्पन वकीलों के संपर्क में हैं।
यूपी सरकार का कहना है कि कप्पन पीएफआई के सचिव हैं लेकिन एक पत्रकार के रूप में हाथरस जा रहे थे। उन्होंने जिस अखबार का पत्रकार होने की बात कही है वो 2018 में बंद हो गया था। यूपी सरकार के जवाब पर सुप्रीम कोर्ट ने कप्पन के वकील कपिल सिब्बल से पूछा कि क्या उन्होंने यूपी सरकार का जवाब देखा? इस पर सिब्बल ने जवाब दिया कि उन्हें रिपोर्ट नहीं मिली है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा यूपी सरकार ने जवाब में कहा कि कप्पन को कोर्ट में पेश किया गया था, आप कह रहे थे कि आपको जानकारी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारे पहले के आदेश के बारे में बहुत ग़लत रिपोर्टिंग हुई, यह कहा गया था कि हमने आपको राहत से इनकार किया है। इस पर सिब्बल ने कहा कि गलत रिपोर्टिंग को लेकर उनका कोई लेना-देना नहीं है, हर रोज गलत रिपोर्टिंग हो रही है।
गलत रिपोर्टिंग को लेकर तुषार मेहता ने कहा कि ऐसी रिपोर्ट्स को स्पष्ट किया जाना चाहिए कि कहां गलत रिपोर्टिंग की गई।
मामले की सुनवाई के दौरान सिब्बल ने कहा कि सॉलिसीटर जनरल कह रहे हैं यह मामला हाईकोर्ट भेज दिया जाए, जबकि हम अपने मुवक्किल से जेल में मिल तक नहीं पाए हैं। एसजी ने कहा कि कप्पन से मिलकर वकील हस्ताक्षर लिख सकते हैं। सीजेआई ने एसजी के इस बयान को दर्ज कर लिया और सुनवाई एक हफ्ते के लिए टल गई है।