डिजीटल हाजिरी और आधार बेस्ड पेमेंट की अनिवार्यता से परेशान मनरेगा मजदूर, 100 दिवसीय धरना जारी

Written by sabrang india | Published on: March 20, 2023
दिल्ली के जंतर-मंतर पर 13 फ़रवरी से मनरेगा मज़दूरों का 100 दिन का धरना चल रहा है, अलग-अलग राज्य के मज़दूर बारी-बारी से इसमें शामिल हो रहे हैं। ये मजदूर केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह से मुलाकात का वक्त मांग रहे हैं लेकिन मंत्री को कोई परवाह नहीं नजर आती। 


 
नरेगा (राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) संघर्ष मोर्चा ने संसद के निचले सदन में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के हालिया बयान को लेकर उन पर निशाना साधा है। जिसमें उन्होंने दावा किया था कि ग्रामीण विकास मंत्रालय को "राष्ट्रीय मोबाइल निगरानी प्रणाली (NMMS) डिजिटल-हाजिरी ऐप से संबंधित कोई शिकायत नहीं मिली है।"

सिंह के बयान पर प्रतिक्रिया करते हुए, मोर्चा (ग्रामीण श्रमिक संगठनों का एक गठबंधन) ने एक बयान में इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे वे NMMS ऐप और आधार-आधारित भुगतान प्रणाली (ABPS) में अनियमितताओं की ओर संबंधित मंत्रालय का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं।

इन दोनों प्रणालियों को क्रमशः 1 जनवरी, 2023 और 1 फरवरी, 2023 को नरेगा मजदूरी भुगतान प्राप्त करने और डिजीटल हाजिरी के लिए श्रमिकों के लिए अनिवार्य कर दिया गया है।
 
नरेगा संघर्ष मोर्चा ने एक बयान में कहा कि उसने NMMS ऐप और ABPS में अनियमितताओं पर ध्यान आकर्षित करने के लिए लिखित शिकायत, सोशल मीडिया पोस्ट, प्रतिनिधिमंडल आदि विभिन्न तरीकों से मंत्रालय तक पहुंचने कोशिश की है लेकिन कोई कामयाबी नहीं मिली है। 

100 दिन की रोज़गार गारंटी के लिए 100 दिन का धरना, जिसमें कोशिश की जा रही है कि हर वक़्त धरना स्थल पर 100 मजदूर मौजूद रहें। 13 फरवरी से शुरू हुए इस धरना में कभी बिहार से आए मजदूर दिखते हैं, तो कभी पश्चिम बंगाल से आए।  आजकल झारखंड के मजदूर अपना दर्द लेकर पहुंचे हैं। 

फरवरी 2023 में, कई मनरेगा मजदूरों ने दिल्ली के जंतर मंतर पर NMMS के अनिवार्य उपयोग के खिलाफ विरोध करना शुरू कर दिया। श्रमिकों ने शिकायत की कि उनमें से कई को भुगतान नहीं मिला क्योंकि ऐप काम के दिनों को प्रदर्शित करने में विफल रहा।

जंतर-मंतर विरोध शुरू होने के बाद से 15, 17 और 20 फरवरी को ग्रामीण विकास मंत्रालय के कई दौरे किए जा चुके हैं। मोर्चा का कहना है कि कार्यकर्ताओं का एक प्रतिनिधिमंडल आखिरकार 20 फरवरी को संयुक्त सचिव अमित कटारिया से मिला। उसके बाद, एक पश्चिम बंगाल से प्रतिनिधिमंडल मिलने का समय लेने के लिए सिंह के आवास पर गया। हालांकि, वे ऐसा करने में असफल रहे।

मोर्चा का कहना है कि मंत्रालय ने उसकी शिकायतों और विरोध को नज़रअंदाज़ किया है।



मोर्चा के बयान में कहा गया है, "हम एक अभूतपूर्व स्थिति में पहुंच गए हैं, जहां एनएमएमएस या एबीपीएस से संबंधित तकनीकी समस्याओं के कारण कई नरेगा कार्यकर्ता बिना भुगतान के काम करते हैं। यह घोर अन्यायपूर्ण, अस्वीकार्य और अवैध है।" 

इसके अलावा, मोर्चा ने "नरेगा श्रमिकों के लिए डिजिटल उत्पीड़न और उनके परिणामों की जमीनी वास्तविकताओं पर मंत्रालय को संक्षिप्त करने का अवसर" देने की मांग की है।

मनरेगा मजदूरों को क्या परेशानी पेश आ रही है?
न्यूजक्लिक की रिपोर्ट के मुताबिक, मनरेगा के मजदूरों को ऐप बेस्ड हाजिरी के लिए दो-दो बार जाना पड़ रहा है इसका असर क्या हो रहा है ये हमें समझाने की कोशिश की सभील नाथ ने जो झारखंड के लातेहार में 'मनरेगा वाच' के साथ काम करते हैं वे बताते हैं कि'' पहले मस्टर रोल ( Muster roll) ( हाजिरी की शीट ) में एक बार ही हाजिरी लगती थी जिसकी वजह से लोग आते थे अपना काम पांच से छह घंटे में ख़त्म कर दूसरा काम भी कर सकते थे लेकिन अब उन्हें काम ख़त्म होने के बाद भी दूसरी हाजिरी के लिए रुकना पड़ेगा और बिना काम के वो सात से आठ घंटे एक ही जगह बैठे रह जाएंगे, दूसरा जिन जगहों पर काम हो रहा है वहां नेटवर्क की समस्या रहती है, मान लीजिए मनरेगा मजदूर आए हैं, उन्होंने काम भी किया है लेकिन अगर समय पर फोटो के साथ हाजिरी अपलोड नहीं कर पाए तो वे बेकार चला जाएगा''  दूसरा वे बताते हैं कि ''आधार आधारित भुगतान प्रणाली ( ABPS) के तहत कई गड़बड़ी हो जा रही हैं जैसे अगर किसी का ग़लती से आधार या जॉब कार्ड किसी दूसरे के बैंक से लिंक हो जा रहा है तो काम करने वाले मजदूर को तो लगेगा कि हमारा पैसा आ रहा है जबकि वे पैसा तो किसी दूसरे के खाते में जा रहा है और जब उसे पता चलता है और वे उसे ठीक करवाने पहुंचता है तो पेपर वर्क में ही महीनों गुज़र जाता है ये लोग इतने जानकार नहीं है।  ये मजदूरी करें या फिर बैंक के चक्कर लगाएं''?  

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