नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया बंगाल दौरे पर मचे विवाद को लेकर अपना पक्ष रखा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि शिष्टाचार के नाते प्रधानमंत्री से मिली थी। पीएम हमारे राज्य में इसलिए मिली थी। लेकिन, पीएम के दौरे की वजह से मुझे इंतजार करना पड़ा और विपक्ष के नेता का बैठक में उपस्थित रहने का क्या मतलब है। उन्होंने कहा कि ये बैठक प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की नहीं थी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जब भी बंगाल आते हैं, राज्य में विवाद और गलतफहमी की स्थिति पैदा होती है।

ममता ने कहा कि जिस दिन मैंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, राज्यपाल ने हमारे खिलाफ बयान देने में एक मिनट का वक्त नहीं गंवाया। एक दिन के भीतर बंगाल में केंद्रीय टीम भेज दी गई। 48 घंटे के भीतर महिला आयोग की टीम भेजी गई। बंगाल की मुख्यमंत्री ने सवाल उठाते हुए कहा कि गुजरात में तूफान से मची तबाही का जायजा लेने के लिए जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य का दौरा किया तब विपक्ष के नेता को क्यों नहीं बुलाया गया। उन्होंने कहा कि ये सब इसलिए हो रहा है कि बंगाल की जनता ने टीएमसी को अपार जनसमर्थन दिया है।
ममता ने कहा कि अगर बंगाल की जनता की भलाई के लिए प्रधाानमंत्री मुझसे अपना पैर छूने के लिए भी कहते हैं, तो मैं ऐसा करने के लिए तैयार हूं, लेकिन मेरा अपमान नहीं होना चाहिए। बंगाल की मुख्यमंत्री ने सवाल उठाते हुए पूछा कि "साइक्लोन पर समीक्षा बैठक अगर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के बीच होनी थी, तो बीजेपी नेताओं और राज्यपाल को बुलाया गया। मैंने अपमानित महसूस किया।" साइक्लोन से हुए नुकसान पर पीएम मोदी के साथ बैठक में हिस्सा ना लेने के सवाल पर बंगाल की मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने मेरा अपमान किया। मेरी छवि बिगाड़ने के लिए ट्वीट किया गया।
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ओडिशा और पश्चिम बंगाल के चक्रवात ‘‘यास’’ से प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण किया था। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री से कलाइकुंडा हवाई पट्टी पर मुलाकात की और ‘यास’ से हुए नुकसान पर उन्हें एक रिपोर्ट सौंपी और सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों के पुनर्विकास के लिए 20,000 करोड़ रुपये के पैकेज की मांग की।
हालांकि ममता बनर्जी, मोदी की अध्यक्षता में समीक्षा बैठक में शामिल नहीं हुई। बैठक में राज्यपाल जगदीप धनखड़, राज्य के भाजपा विधायक एवं विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी और रायगंज से सांसद तथा केंद्रीय महिला और बाल विकास राज्य मंत्री देबाश्री चौधरी मौजूद थे।एक अधिकारी ने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री आईं, कुछ कागजात प्रधानमंत्री को सौंपे और चली गईं। उन्होंने समीक्षा बैठक में भाग नहीं लिया। यह एक ऐसा दिन है जब हम सभी को केंद्र सरकार से सहायता मांगने के लिए एकजुट होना चाहिए था। संकट के दौरान राजनीति की कोई गुजांइश नहीं है।’’ बाद में बनर्जी ने एक ट्वीट में कहा कि पश्चिम बंगाल में चक्रवात के बाद की स्थिति के बारे में प्रधानमंत्री को अवगत कराने के बाद, वह दीघा में राहत और पुनर्विकास कार्य की समीक्षा करने के लिए चली गई थीं।

ममता ने कहा कि जिस दिन मैंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, राज्यपाल ने हमारे खिलाफ बयान देने में एक मिनट का वक्त नहीं गंवाया। एक दिन के भीतर बंगाल में केंद्रीय टीम भेज दी गई। 48 घंटे के भीतर महिला आयोग की टीम भेजी गई। बंगाल की मुख्यमंत्री ने सवाल उठाते हुए कहा कि गुजरात में तूफान से मची तबाही का जायजा लेने के लिए जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य का दौरा किया तब विपक्ष के नेता को क्यों नहीं बुलाया गया। उन्होंने कहा कि ये सब इसलिए हो रहा है कि बंगाल की जनता ने टीएमसी को अपार जनसमर्थन दिया है।
ममता ने कहा कि अगर बंगाल की जनता की भलाई के लिए प्रधाानमंत्री मुझसे अपना पैर छूने के लिए भी कहते हैं, तो मैं ऐसा करने के लिए तैयार हूं, लेकिन मेरा अपमान नहीं होना चाहिए। बंगाल की मुख्यमंत्री ने सवाल उठाते हुए पूछा कि "साइक्लोन पर समीक्षा बैठक अगर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के बीच होनी थी, तो बीजेपी नेताओं और राज्यपाल को बुलाया गया। मैंने अपमानित महसूस किया।" साइक्लोन से हुए नुकसान पर पीएम मोदी के साथ बैठक में हिस्सा ना लेने के सवाल पर बंगाल की मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने मेरा अपमान किया। मेरी छवि बिगाड़ने के लिए ट्वीट किया गया।
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ओडिशा और पश्चिम बंगाल के चक्रवात ‘‘यास’’ से प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण किया था। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री से कलाइकुंडा हवाई पट्टी पर मुलाकात की और ‘यास’ से हुए नुकसान पर उन्हें एक रिपोर्ट सौंपी और सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों के पुनर्विकास के लिए 20,000 करोड़ रुपये के पैकेज की मांग की।
हालांकि ममता बनर्जी, मोदी की अध्यक्षता में समीक्षा बैठक में शामिल नहीं हुई। बैठक में राज्यपाल जगदीप धनखड़, राज्य के भाजपा विधायक एवं विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी और रायगंज से सांसद तथा केंद्रीय महिला और बाल विकास राज्य मंत्री देबाश्री चौधरी मौजूद थे।एक अधिकारी ने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री आईं, कुछ कागजात प्रधानमंत्री को सौंपे और चली गईं। उन्होंने समीक्षा बैठक में भाग नहीं लिया। यह एक ऐसा दिन है जब हम सभी को केंद्र सरकार से सहायता मांगने के लिए एकजुट होना चाहिए था। संकट के दौरान राजनीति की कोई गुजांइश नहीं है।’’ बाद में बनर्जी ने एक ट्वीट में कहा कि पश्चिम बंगाल में चक्रवात के बाद की स्थिति के बारे में प्रधानमंत्री को अवगत कराने के बाद, वह दीघा में राहत और पुनर्विकास कार्य की समीक्षा करने के लिए चली गई थीं।