महाराष्ट्र शक्ति विधेयक 2020: नागरिक संगठनों ने नए प्रावधानों की निंदा की

Written by sabrang india | Published on: December 14, 2020
महाराष्ट्र सरकार ने इसी हफ्ते शक्ति बिल को मंजूरी दी है, जिसमें महिलाओं और बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों पर सख्त सजा का प्रावधान किया गया है। लगभग 28 संगठनों, छह कानूनी पेशेवरों, प्रोफेसरों, सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री, गृह मंत्री, कानून और न्यायपालिका मंत्री और महाराष्ट्र की महिला और बाल विकास मंत्री को पत्र  लिखकर इस बिल का विरोध किया है और सीएम उद्धव ठाकरे से अपील की है कि इस बिल को विधानसभा में टेबल ना किया जाए। 


इन संगठनों ने इसे एक खराब कानून बताते हुए कहा है कि ये एक महिला विरोधी सोच रखता है। साथ ही ये मौलिक अधिकरों के भी खिलाफ जाता है। मुख्यमंत्री को लिखे इस खत में अलग-अलग क्षेत्रों के 92 लोगों के हस्ताक्षर हैं। महाराष्ट्र विधानसभा का 14 और 15 दिसंबर को शीत सत्र है। इसी दौरान ये बिल विधानमंडल में पेश किया जाएगा।

इस हफ्ते बुधवार को महिलाओं और बच्चों के खिलाफ जघन्य अपराधों पर लगाम लगाने के लिए महाराष्ट्र के मंत्रिमंडल ने बुधवार को कठोर सजा के प्रावधान वाले एक विधेयक के मसौदे को मंजूरी दे दी है। शक्ति एक्‍ट के नाम से जाने जाने वाले इस एक्‍ट में रेप के दोषियों के लिए मृत्युदंड, आजीवन कारावास और भारी जुर्माना सहित कड़ी सजा और मुकदमे की त्वरित सुनवाई के प्रावधान हैं।

प्रस्तावित कानून को राज्य में लागू करने के लिए विधेयक के मसौदे में भारतीय दंड संहिता, सीआरपीसी और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम की प्रासंगिक धाराओं में संशोधन करने का प्रस्ताव है।

गृह मंत्री अनिल देशमुख ने बताया कि मंत्रिमंडल ने एक बैठक में विधेयक के मसौदे को मंजूरी दे दी और इसे आगामी शीतकालीन सत्र के दौरान राज्य विधानमंडल में पेश किया जाएगा। देशमुख ने बताया है कि इसमें 15 दिनों के भीतर किसी मामले में जांच पूरी करने और 30 दिन के भीतर सुनवाई का प्रावधान है।

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